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उज्जैन का हरसिद्धि मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जिसे राजा विक्रमादित्य की तपोभूमि माना जाता है. यहां माता सती के हाथ की कोहनी गिरने से यह स्थान शक्तिपीठ बना.
उज्जैन का हरसिद्धि मंदिर शक्तिपीठ और राजा विक्रमादित्य की तपोभूमि.
हाइलाइट्स
- उज्जैन का हरसिद्धि मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है.
- राजा विक्रमादित्य ने हरसिद्धि मंदिर में बलि दी थी.
- माता सती की कोहनी गिरने से हरसिद्धि शक्तिपीठ बना.
Har Siddhi Mandir Ujjain : भारत देश में ही नहीं पूरी दुनिया में देवी मंदिर और देवी माता की पूजा का विशेष स्थान है. मां दुर्गा की महिमा का वर्णन दुर्गा सप्तशती के साथ हमारे सभी वेद और पुराणों में मिलता है. देशभर में मां हरसिद्धि के अनेकों मंदिर पाये जाते है. इन मंदिरों में उज्जैन में स्थित हरसिद्धि मंदिर को सबसे प्राचीन एवं शक्तिपीठ माना जाता है.माता की भक्ति प्राप्त करने के लिये स्वयं राजा विक्रमादित्य ने यहां 12 बार बलि दी थी आइये इसके बारे में विस्तार से समझते हैं.
उज्जैन स्थित हरसिद्धि मंदिर का इतिहास : महाकाल और शनिदेव की नगरी उज्जैन में स्थित माता हरसिद्धि का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. इसे राजा विक्रमादित्य की तपोभूमि माना जाता है. मां हरसिद्धि को परमारवंशीय राजाओं की कुलदेवी माना जाता है. इस मंदिर में राजा विक्रमादित्य ने प्रत्येक 12 वर्ष में अपने सर को काटकर बलि दी थी. 11 बार बलि देने पर उनका सर वापस आ गया था. बारहवीं बार जब सर वापस नहीं आया तो राजा विक्रमादित्य के शासन को पूर्ण मान लिया गया.
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हरसिद्धि मंदिर है शक्तिपीठ : उज्जैन नगर पर देवियों का विशेष पहरा है. यहां माता सती के शरीर का एक अंश गिरा था. माता सती के हाथ की कोहनी यहां गिरने से यह स्थान शक्तिपीठ माना गया. इसका वर्णन पुराणों में मिलता है.
मनोकामना होती है पूरी : इस मंदिर के प्रांगण में दो दीप जो लगभग 51 फीट ऊंचे हैं, स्थित हैं. इन दीपों की स्थापना राजा विक्रमादित्य ने ही कराई थी. इन दीप स्तंभों का इतिहास लगभग 2000 वर्षों से भी अधिक पुराना है. शक्तिपीठ होने के कारण इस मंदिर का तांत्रिक महत्व भी है. मान्यता है जब इस मंदिर में संध्याकालीन दीप प्रज्जवलित किए जाते हैं उस वक्त माता के समक्ष बोली गई मनोकामना पूर्ण हो जाती है.
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हरसिद्धि मंदिर का वास्तु डिजाइन : उज्जैन में स्थित माता हरसिद्धि मंदिर में मराठा कला की जटिल वास्तु नक्काशी की गई है. इसमें प्राचीन डिजाइनों का समावेशन भी किया गया है. मंदिर में स्थित दो दीप स्तंभ में 726 दीप लगे हैं. मंदिर में प्रवेश हेतु चार भाव प्रवेश द्वार अलग-अलग दिशाओं में स्थित हैं. आर्किटेक्ट से संबंधित छात्रों के लिए यहां सीखने के लिए बहुत कुछ है.