इंदौर के एमवाय अस्पताल के कायाकल्प–2 प्रोजेक्ट में लाखों के भ्रष्टाचार की शिकायत पर ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू की है। इसमें कई डॉक्टर जांच के घेरे में हैं। इन्हें नोटिस जारी कर बयान के लिए बुलाया गया है। खास बात यह कि इसमें चूहे मारने के ठेके के मामले मे
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जांच के घेरे में तत्कालीन डीन डॉ. महेश राठौर, एमवाय अधीक्षक डॉ. एडी भटनागर और उप अधीक्षक डॉ. सुनील नारंग, डॉ. सुमित शुक्ला, डॉ. राहुल रोकड़े, डॉ. वीएस पाल आदि शामिल हैं। इनमें डॉ. शुक्ला और रोकड़े के बयान अभी होने बाकी हैं।
ऐसे सामने आया मामला दरअसल एमवायएच के कायाकल्प के लिए 2014–15 में तत्कालीन कमिश्नर संजय दुबे ने प्रोजेक्ट कायाकल्य–2 शुरू किया था। उस दौरान दान और सीएसआर फंड के जरिए कायाकल्प किया जाना तय किया गया था। इसके लिए शहर के अलग–अलग समाज और संगठनों के साथ कॉर्पोरेट कंपनियां और बैंक भी कायाकल्प करने के लिए आगे आए थे और खासी राशि दान की थी। उस राशि को इकट्ठा किए जाने को लेकर एक अलग से बैंक अकाउंट भी खोला गया था। इसके तहत जो भी कायाकल्प किया जाना था, उसी फंड के जरिए किया गया। इसे लेकर प्लान तैयार किया गया था।
कायाकल्प के फंड से चूहे मारने वाली कंपनी को पेमेंट
कायाकल्प के दौरान एमवाय अस्पताल में चूहों की समस्या भी सामने आई थी। चूहों को मारने का ठेका लक्ष्मी पेस्ट कंट्रोल को दिया गया था। यह राशि एमवाय अस्पताल के अन्य फंड में से खर्च की जानी थी, लेकिन जिम्मेदारों ने कंपनी को भुगतान इसी कायाकल्प वाले फंड से कर दिया था। साथ ही यह भी आरोप लगाए गए कि बिना टेंडर प्रक्रिया पूरी किए ही काम अलॉट कर दिए गए। साथ ही सामान खरीदी में भी मनमानी किए जाने के आरोप लगे थे।