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Not film stars, cricketers and politicians | दिव्येंदु बोले- स्टार्स, क्रिकेटर और पॉलिटिशियन हमारे हीरो नहीं: प्रतीक गांधी ने कहा- पक्षी बचाने के लिए फायरमैन ने जान दी, वे असली हीरो


2 मिनट पहलेलेखक: वीरेंद्र मिश्र

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फिल्म ‘रईस’ में शाहरुख खान को डायरेक्ट कर चुके राहुल ढोलकिया ने फायर फाइटर्स (अग्निशमन दल) पर फिल्म ‘अग्नि’ का डायरेक्शन किया है। इस फिल्म के माध्यम से फायर फाइटर्स की जिंदगी पर प्रकाश डाला गया है, जो अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना दूसरों की जिंदगी बचाते हैं।

हाल ही में इस फिल्म को लेकर प्रतीक गांधी, दिव्येंदु शर्मा, सैयामी खेर और डायरेक्टर राहुल ढोलकिया ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। यह फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजॉन प्राइम वीडियो पर 6 दिसंबर को स्ट्रीम होगी।

बातचीत के दौरान दिव्येंदु शर्मा ने बताया कि फिल्म स्टार्स, क्रिकेटर और पॉलिटिशियन हमारे हीरो नहीं हैं। प्रतीक गांधी ने बताया कि एक पक्षी को बचाने के दरम्यान फायरमैन की करंट लगने से मौत हो गई थी। वे हमारे असली हीरो हैं।

पढ़िए सवाल जवाब के दौरान हुई बातचीत के कुछ और खास अंश…

सवाल- फिल्म ‘अग्नि’ से पहले आप शाहरुख का लेकर ‘रईस’ का डायरेक्शन कर चुके हैं। इस फिल्म को बनाने में इतना समय क्यों लग गया?

जवाब- कोई भी अच्छी चीज बनाने में समय लगता ही है। ‘रईस’ के सात साल के बाद यह फिल्म आ रही है। इस विषय पर फिल्म बनाने से पहले मुझे रिसर्च करने में काफी समय लग गया। फिल्म की शूटिंग के बाद काफी समय वीएफएक्स में भी लगा। वैसे भी अगर आप मेरी फिल्मोग्राफी देखें, तो मेरी हर फिल्म में समय लगा है। ‘कहता है दिल बार बार’,‘परजानिया’,’लम्हा’ और ‘रईस’ के बाद अब ‘अग्नि’ आ रही है।

सवाल- ‘फायर फाइटर्स’ पर फिल्म बनाने का ख्याल कैसे आया?

जवाब- हम अमेरिका या किसी और देश में जाते हैं, तो देखते है कि फायर फाइटर्स (अग्निशमन दल) को वहां बहुत इज्जत दी जाती है। उनके वहां स्टैच्यू बनाए जाते हैं। उनकी बहादुरी और काम से प्रेरित होकर लोग उनके जैसा बनना चाहते हैं। हमारे यहां ऐसा नहीं है। इस विषय पर फिल्म बनाने का ख्याल मुझे वहां से आया। हॉलीवुड में फायर फाइटर्स पर कई फिल्में बनी हैं, लेकिन बॉलीवुड में नहीं बनी है।

हमारी फिल्मों में आग बुझाने भी हीरो ही आता है। हम इस फिल्म के माध्यम से फायर फाइटर्स की जिंदगी पर प्रकाश डाल रहे हैं। जो हमारे रियल हीरोज हैं।

सवाल- प्रतीक, आप और दिव्येंदु की गहरी दोस्ती दर्शक फिल्म ‘मडगांव एक्सप्रेस’ में देख ही चुके हैं। ‘अग्नि’ की शूटिंग के दौरान आप दोनों के बीच किस तरह की केमिस्ट्री रही है?

जवाब- हमने ‘मडगांव एक्सप्रेस’ से पहले ही ‘अग्नि’ की शूटिंग कर ली थी। हमारी पहली मुलाकात फिल्म ‘अग्नि’ के ही सेट पर हुई थी। हमारी दोस्ती और दुश्मनी की शुरुआत उसी फिल्म से हुई थी। ‘मडगांव एक्सप्रेस’ में दर्शकों को हमारी दोस्ती दिखी थी। ‘अग्नि’ में दोस्ती और दुश्मनी दोनों दिखेगी।

सवाल- जब आपको ‘अग्नि’ के लिए अप्रोच किया गया, तब इस फिल्म और किरदार को लेकर आपकी क्या प्रतिक्रिया थी?

जवाब- मैं बहुत ही ज्यादा एक्साइटेड था। फायर फाइटर्स को हम रोज देखते हैं। बड़ी हैरानी होती है कि लोग उनके बारे में बात नहीं करते हैं। फायर फाइटर्स ऐसी फोर्स है, जिसको उतनी क्रेडिट नहीं दी जाती है। जिसके वे हकदार हैं। मैं इसमें फायर फाइटर की भूमिका निभा रहा हूं। इस किरदार की मानसिकता को समझने में मुझे काफी समय लगा। फायर फाइटर्स की कहानी हीरोइज्म (वीरता) से भरी पड़ी है।

हमने इस फिल्म में वही दिखाने की कोशिश की है। जब हमने इस फिल्म को दिल्ली और मुंबई के फायर फाइटर्स को दिखाई, तो उन्होंने धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसा ही होता है। मेरे लिए तो असली हीरो फायर फाइटर्स हैं।

सवाल- दिव्येंदु, आप रियल लाइफ में किसे हीरो मानते हैं?

जवाब- साइंटिस्ट और फायर फाइटर्स मेरे लिए रियल हीरो हैं। मुझे लगता है कि हम लोग साइंटिस्ट के बारे में बहुत कम बातें करते हैं। हमें पता ही नहीं कि साइंस की दुनिया में बड़ी-बड़ी डिस्कवरी कैसे हुई है? हम फिल्म स्टार्स, क्रिकेटर और पॉलिटिशियन की ही बात करते हैं। उन्हें हीरो मानते हैं, लेकिन साइंटिस्ट और फायर फाइटर्स के बारे में कोई बात नहीं करता है।

सवाल- सैयामी, आप इस फिल्म फीमेल फायर फाइटर की भूमिका निभा रही हैं। इस फिल्म से पहले फायर फाइटर्स के बारे में कितना जानती थीं?

जवाब- यह मेरे बड़ी शर्म की बात है कि मुझे नहीं पता था कि फीमेल भी फायर फाइटर्स में शामिल होती हैं। जब राहुल ढोलकिया जी ने मुझे फिल्म की स्क्रिप्ट दी, तब फीमेल फायर फाइटर्स के बारे में पता चला। उनका जीवन प्रतिदिन किए जाने वाले बलिदानों से भरा पड़ा है। यह फिल्म उनकी निष्ठा, साहस और बलिदान को सलाम करती है।

सवाल- प्रतीक, शूटिंग से पहले किसी रियल किरदार से आपका मिलना हुआ था?

जवाब- मैं कई लोगों से मिल चुका हूं। फायर फाइटर्स सिर्फ आग बुझाने के लिए नहीं होते हैं। उन्हें कई अलग-अलग काम के लिए भी बुलाया जाता है। अभी हाल ही में एक फायर फाइटर के फैमिली से मिला था। उन्होंने बताया कि एक पक्षी कहीं फंसी हुई थी, उसके लिए कॉल आया था। पक्षी जहां फंसी हुई थी उसके ऊपर बिजली की हाई-वोल्टेज तार थे।

पक्षी को बचाने के दरम्यान फायरमैन की करंट लगने से मौत हो गई। फायरमैन का मकसद सिर्फ जिंदगी बचानी होती है। वह जिंदगी चाहे किसी की भी हो, ऐसी सोच नॉर्मल इंसान नहीं रख सकता है। मेरे लिए तो फायरमैन सुपरहीरो हैं।



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