इस्लामाबाद4 मिनट पहले
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झेलम में पानी छोड़े जाने के बाद नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिससे बाढ़ आ गई।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में शनिवार दोपहर झेलम नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिससे कई इलाकों में बाढ़ आ गई। इसके बाद अधिकारियों ने अलर्ट जारी कर स्थानीय लोगों को सुरक्षित जगहों पर जाने को कहा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रशासन ने हट्टियन बाला इलाके में वाटर इमरजेंसी की घोषणा की है। वहीं, मस्जिदों से भी लगातार चेतावनी जारी की जा रही है।
राजधानी मुजफ्फराबाद के डिप्टी कमिश्नर मुदस्सर फारूक ने स्थानीय निवासियों से झेलम नदी नजदीक के इलाकों में जाने से बचने को कहा है। उन्होंने झेलम में ज्यादा पानी छोड़े जाने को भारत की ओर से जानबूझकर उठाया गया कदम बताया।
लोगों को नदी से दूर रहने की चेतावनी
डिप्टी कमिश्नर फारूक ने कहा कि भारत ने झेलम नदी में सामान्य से ज्यादा पानी छोड़ दिया है, जिस वजह से बाढ़ आई है। अभी घबराने जैसी कोई बात नहीं है। फिर भी हमने लोगों को नदी वाले इलाके से दूर रहने और वहां पर जानवरों को भी न ले जाने की अपील की है।
वहीं, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) के डायरेक्टर ज्यादा पानी छोड़े जाने को लेकर कहा कि इस मामले में उन्हें कोई पूर्व चेतावनी नहीं मिली थी। उन्होंने आगे बताया कि पानी को मंगला बांध तक पहुंचने में समय लगेगा। फिलहाल निचले इलाके में सुरक्षा उपाय पहले ही लागू कर दिए गए हैं।
पहले पानी छोड़ने की जानकारी देता था भारत
रिपोर्ट्स के मुताबिक मुजफ्फराबाद के झेलम में हर सेकंड 22,000 घन फीट पानी बह रहा है। इससे गारी दुपट्टा, मझोई और मुजफ्फराबाद जैसे इलाकों में रहने वाले लोगों में चिंता बढ़ गई है।
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सिंधु जल संधि के तहत भारत पहले झेलम, चिनाब और सिंधु नदियों में पानी छोड़ने या फिर रोकने के मामलों में पाकिस्तान को सूचित करता था। लेकिन इस बार भारत की तरफ से इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई।
बाढ़ से अभी तक किसी नुकसान की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। भारत ने भी झेलम में ज्यादा पानी छोड़े जाने को लेकर कोई बयान नहीं दिया है।
भारत ने सिंधु जल समझौता रोका, पाक को चिट्ठी लिख दी जानकारी
भारत ने पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार मानते हुए 24 अप्रैल को सिंधु जल समझौता रोक दिया था। भारत ने पाकिस्तान को चिट्ठी लिखकर कहा कि यह संधि अच्छे संदर्भ में की गई थी, लेकिन अच्छे रिश्तों के बिना इसे बनाए नहीं रखा जा सकता। भारत की तरफ से पाकिस्तान को भेजा गया लेटर…
लेटर में क्या लिखा…5 पॉइंट में
- भारत सरकार की तरफ से पाकिस्तान सरकार को नोटिस भेजा जा रहा है। जिसमें संधि के अनुच्छेद XII (3) के तहत सिंधु जल संधि 1960 में संशोधन की मांग की गई है। इस लेटर में उन मुद्दों का हवाला दिया गया है जिसके चलते समझौते पर दोबारा विचार करने की आवश्यकता है।
- संधि के बाद से अब तक जनसंख्या में काफी बदलाव हुआ है। ऐसे में क्लीन एनर्जी डेवलपमेंट में तेजी लाने के लिए कुछ बदलाव करने जरूरी हो जाते हैं।
- किसी भी समझौते में सबसे जरूरी होता है कि उस संधि का सम्मान किया जाए। इसके बजाय पाकिस्तान की तरफ से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को निशाना बनाकर सीमा पार आतंकवाद जारी है।
- सुरक्षा से जुड़ी अनिश्चितताओं ने संधि के तहत भारत के अपने अधिकारों को बाधित किया है। इसके अलावा भारत के अनुरोध पर पाकिस्तान ने कोई रिएक्शन नहीं दिया। इस प्रकार उसने संधि का उल्लंघन किया है।
- इसलिए भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि सिंधु जल संधि 1960 को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाता है।
1960 में हुआ था सिंधु जल समझौता, 65 साल बाद रोका गया
1960 में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच ये समझौता हुआ था। समझौते में सिंधु बेसिन से बहने वाली 6 नदियों को पूर्वी और पश्चिमी हिस्से में बांटा गया था।
पूर्वी हिस्से की नदियों रावी, ब्यास और सतलुज के पानी पर भारत का पूरा अधिकार है। पश्चिमी हिस्से की नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम का 20% पानी भारत रोक सकता है।
वहीं, पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि के खत्म होने को एक्ट ऑफ वॉर बताया है। पाकिस्तानी सरकार ने कहा- अगर भारत सिंधु जल समझौते को रोकता है तो इसे एक्ट ऑफ वॉर यानी जंग की तरह माना जाएगा।
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