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अमेरिका बड़े पैमाने पर चीनी छात्रों का वीजा रद्द करेगा: कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े होने का शक, विदेश मंत्री बोले- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी


वॉशिंगटन17 मिनट पहले

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अमेरिका ने चीनी छात्रों के वीजा को बड़े पैमाने पर रद्द करने की घोषणा की है। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि विदेश मंत्रालय, गृह सुरक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर यह काम करेगा।

रुबियो ने बताया कि ऐसे चीनी छात्रों का वीजा रद्द किया जाएगा, जिनका चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से संबंध है या जो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पढ़ाई कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “हम भविष्य में चीन और हॉन्गकॉन्ग से आने वाले वीजा आवेदनों की जांच को और सख्त करेंगे।” अमेरिका का दावा है कि यह नीति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी है। CCP छात्रों के जरिए संवेदनशील जानकारी हासिल कर सकता है।

यह कदम अमेरिका में चीनी छात्रों की संख्या को कम करेगा और दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद तनाव को बढ़ा सकता है। यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब अमेरिकी सरकार ने विदेशी छात्रों के लिए नए वीजा इंटरव्यू पर रोक लगा दी है।

वहीं, जापानी सरकार ने स्थानीय विश्वविद्यालयों से अमेरिका से वापस आने वाले छात्रों को प्रवेश देने पर विचार करने को कहा है।

चीनी छात्रों और कम्युनिस्ट पार्टी का संबंध

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी चीन की एकमात्र सत्तारूढ़ पार्टी है और यह देश में शिक्षा, संस्कृति और समाज पर गहरा प्रभाव रखती है। अमेरिकी सरकार के मुताबिक कई चीनी छात्र, विशेष रूप से जो उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाते हैं, CCP से जुड़े हो सकते है।

चीनी विश्वविद्यालयों में CCP की विचारधारा को बढ़ावा देने वाले कई कोर्स पढ़ाए जाते है। कुछ मामलों में, CCP विदेश में पढ़ने वाले छात्रों पर नजर रखने के लिए चीनी छात्र संगठनों का उपयोग करती है।

ट्रंप प्रशासन का मानना है कि कुछ चीनी छात्र CCP के लिए जासूसी या तकनीकी जानकारी चुराने का काम कर सकते हैं। खासकर उन क्षेत्रों में जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील हैं, जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), क्वांटम कम्प्यूटिंग, और अन्य उन्नत तकनीकें।

छात्रों के वीजा रद्द होने से अमेरिका-चीन पर क्या असर पड़ेगा, 4 पाइंट से समझिए

  • देश छोड़ना पड़ेगा: चीनी छात्रों को डर है कि उनके वीजा रद्द हो सकते हैं, जिसके कारण उन्हें दूसरी यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर करना पड़ सकता है या देश छोड़ना पड़ सकता है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में 1,203 चीनी छात्र पढ़ रहे हैं, और इनमें से कई पर असर पड़ सकता है।
  • अमेरिका की छवि पर प्रभाव: चीन ने चेतावनी दी है कि ये कदम अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुँचाएंगे। कुछ चीनी छात्र अब ब्रिटेन या अन्य देशों में पढ़ाई के लिए विकल्प तलाश रहे हैं।
  • आर्थिक नुकसान: चीनी छात्र अमेरिकी विश्वविद्यालयों के लिए महत्वपूर्ण आय स्रोत हैं। 2023-24 में, लगभग 2,78,000 चीनी छात्रों ने अमेरिकी शिक्षा पर 14.3 अरब डॉलर से अधिक खर्च किए। इन नीतियों से विश्वविद्यालयों को वित्तीय नुकसान हो सकता है।
  • शैक्षिक संबंधों में कमी: अमेरिका और चीन के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान पहले से ही कम हो रहा है। 2019 में 3,72,532 चीनी छात्र अमेरिका में थे, जो 2023-24 में घटकर 2,78,000 रह गए। ये नीतियां इस कमी को और बढ़ा सकती हैं।

ट्रम्प ने स्टूडेंट वीजा के इंटरव्यू पर रोक लगाई

विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने मंगलवार को इंटरव्यू पर रोक लगाने के लिए एक आदेश जारी किया। आदेश का मकसद देश की यूनिवर्सिटीज में यहूदी विरोध और वामपंथी विचारों को रोकना है।

रुबियो ने दुनिया भर में अमेरिकी दूतावासों को आदेश जारी कर कहा- वे स्टूडेंट वीजा के लिए नए इंटरव्यू शेड्यूल न करें, क्योंकि ट्रम्प सरकार अमेरिका आने वाले छात्रों के सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच को और सख्त करने जा रही है।

उन्होंने आगे कहा- तत्काल प्रभाव से कांसुलर सेक्शन आगे के दिशानिर्देश जारी होने तक स्टूडेंट या एक्सचेंज विजिटर (F, M और J) वीजा के लिए नए अपॉइंटमेंट की इजाजत नहीं दे।

हालांकि, पहले से शेड्यूल किए गए इंटरव्यू हो सकते हैं, लेकिन लिस्ट में नए अपॉइंटमेंट नहीं जोड़े जाएंगे।

अधिकारी सोशल मीडिया पर लाइक्स और कमेंट जांच रहे

यह रोक F, M और J वीजा केटेगरी पर लागू होती है, जो ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय छात्रों और एक्सचेंज विजिटर्स को कवर करती हैं। दावा है कि ये इन प्रोग्राम्स के जरिए आने वाले छात्र अमेरिका सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं या यहूदी-विरोधी माहौल को बढ़ावा दे सकते हैं।

ट्रम्प सरकार ने अधिकारियों को इंस्टाग्राम, टिकटॉक और एक्स जैसे प्लेटफॉर्म पर पोस्ट, लाइक, कमेंट और शेयर की जांच करने के भी आदेश दिए हैं, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माने जाने वाले कंटेंट का पता लगाया जा सके।

द गार्जियन के मुताबिक अधिकारी मार्च से, उन छात्रों के सोशल मीडिया की जांच कर रहे हैं, जो फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों में शामिल थे। वे ऐसे पोस्ट के स्क्रीनशॉट ले रहे हैं, जिन्हें अपमानजनक माना जाता है, भले ही बाद में वह कंटेंट हटा दिया गया हो।

हालांकि इस आदेश में यह साफ तौर पर नहीं बताया गया है कि भविष्य में सोशल मीडिया जांच में क्या देखा जाएगा। पहले, सोशल मीडिया जांच केवल उन छात्रों के लिए लागू थी, जो फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों में शामिल थे।

हार्वर्ड में विदेश स्टूडेंट्स के एडमिशन पर भी रोक लगाई थी

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कुछ यूनिवर्सिटीज पर वामपंथी और यहूदी विरोधी विचारों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। पिछले हफ्ते उनकी सरकार ने इसी आधार पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के एडमिशन पर रोक लगा दी थी।

इसे लेकर अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी की सचिव क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड को लेटर लिखा था। इसमें उन्होंने लिखा था- ‘ट्रम्प प्रशासन हार्वर्ड को अपने कैंपस में हिंसा, यहूदी-विरोधी सोच को बढ़ावा देने और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समन्वय बनाने के लिए जिम्मेदार ठहराता है।’

इसके साथ यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे सभी विदेशी छात्रों को दूसरे संस्थानों में ट्रांसफर लेने के लिए कहा गया था। नहीं तो उन्हें देश छोड़ना पड़ सकता था। हालांकि बाद में मैसाचुसेट्स की कोर्ट ने ट्रम्प सरकार के इस फैसले पर अस्थाई रोक लगा दी थी।

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