गया बार एसोसिएशन के अंदर की लड़ाई अब खुलकर सामने आ गई है। चुनाव और आय व्यय का लेखा जोखा और रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति की मांग को लेकर एसोसिएशन के कुछ सदस्य आरपार की लड़ाई के मूड में आ गए है।
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वकीलों के एक समूह का आरोप है कि एसोसिएशन दबंगई की बदौलत अपनी मनमानी कर रहा है। एसोसिएशन के पदाधिकारी बीते आठ सालों से काबिज हैं। हर दो साल पर चुनाव होना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यही नहीं बीते आठ सालों के आय व्यय का लेखा जोखा ऐसोशियेशन के सदस्यों को नहीं दिया गया, जो दिया गया उस पर मृत हो चुके कोषाध्यक्ष का दस्तखत है। यह कैसे सम्भव है।
दबंगई से नाम खारिज करने का आरोप
इसके अलावा जब चुनाव की बात आई तो रिटर्निंग आफिसर नियुक्त किए जाने का मसला उठा। दो लोग नामित किए गए। उसमें के एक नहीं आए। दूसरा जो मौजूद थे। उन्हें दबंगई से खारिज कर दिया गया और जो नहीं आये थे उन्हें आरओ बनाया गया। यह गलत है। ये बातें सीनियर वकील संजय सिंह और कुमार विनोद सिन्हा ने मीडिया के समक्ष कहीं।
जेनरल बॉडी (जीबी) की 17 जनवरी 2025 को हुई बैठक में 2016 से 2024 तक के आठ सालों का आय-व्यय प्रस्तुत किया गया। इसमें कई गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। अधिवक्ताओं ने इसे संविधान और कानून का उल्लंघन बताया।
आय-व्यय के ब्यौरे में कोषाध्यक्ष के रूप में कौशल किशोर के हस्ताक्षर हैं, जबकि अध्यक्ष कौशल किशोर, जिनका निधन हो चुका है। ऐसे में सवाल यह कि मृतक के हस्ताक्षर कैसे संभव हुए? अधिवक्ताओं ने इस पर कड़ा एतराज जताया।
आय-व्यय में करोड़ों के घोटाले का आरोप
चार सालों तक कोषाध्यक्ष के रूप में एस. राजेश आनंद का नाम दर्ज है, जबकि उन्होंने कभी चुनाव ही नहीं लड़ा। अधिवक्ताओं का आरोप है कि आय-व्यय में करोड़ों का घोटाला हुआ है। इसके बावजूद किसी निष्पक्ष चर्चा की अनुमति नहीं दी गई।
बैठक में रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में भीम सिंह का नाम रखा गया, लेकिन इसे बहुमत से खारिज कर दिया गया। इसके बजाय रतन कुमार सिंह का नाम प्रस्तावित किया गया, जिसे संविधान के विपरीत मानते हुए अस्वीकार कर दिया गया।
वकीलों की मांगें:
1. रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में भीम सिंह का नाम रद्द कर कानूनी रूप से सही व्यक्ति का चयन हो।
2. 2016-2024 के आय-व्यय की जांच चार्टर्ड अकाउंटेंट से कराई जाए।
3. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए बहुमत से स्वीकृत रिटर्निंग ऑफिसर रतन कुमार सिंह को बहाल किया जाए।
जीबी की बैठक में हुए इन विवादों ने संस्था की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।