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Shani Amavasya 2025 Upay: इस साल की पहली शनि अमावस्या चैत्र अमावस्या के दिन है. यदि आपकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या फिर शनि का दोष है तो आपको शनि अमावस्या के दिन ज्योतिष के कुछ उपायों को करना चाहिए….और पढ़ें
शनि अमावस्या 2025 उपाय.
हाइलाइट्स
- शनि अमावस्या 29 मार्च 2025 को है.
- शनि दोष कम करने के लिए शनि मंत्र का जाप करें.
- पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाएं.
इस साल की पहली शनि अमावस्या चैत्र अमावस्या के दिन है. शनि अमावस्या 29 मार्च शनिवार को है. इसकी तिथि 28 मार्च की शाम 7 बजकर 55 मिनट से 29 मार्च की शाम 4 बजकर 27 मिनट तक है. शनि अमावस्या का दिन शनि देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए अच्छा माना जाता है. यदि आपकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या फिर शनि का दोष है तो आपको शनि अमावस्या के दिन ज्योतिष के कुछ उपायों को करना चाहिए. इससे साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभाव कम होंगे. शनि देव की कृपा से कष्ट मिटेंगे. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं शनि अमावस्या पर शनि के उपायों के बारे में.
शनि अमावस्या 2025: शनि के उपाय
1. शनि अमावस्या के दिन जातक को शाम में यानि सूर्यास्त के बाद शनि देव का विधि विधान से पूजन करना चाहिए. शनि मंत्र का जाप और शनि स्तोत्र का पाठ करना आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा.
इसके लिए आप शनि अमावस्या को सूर्यास्त के बाद पश्चिम दिशा की ओर मुख करके काले रंग के कंबल वाले आसन पर बैठ जाएं. स्टील या लोहे के प्लेट में 100 ग्राम काला तिल, 100 ग्राम जौ, काले रंग के फूल, 5 सुपारी, चावल, गुलाब जामुन, धूप, दीप, लाल चंदन आदि रखें. फिर एक स्टील के दीपक में सरसों के तेल का दीप जलाएं. अपने सामने नारियल पर तिलक लगाकर रखें. फिर स्टील के लोटे में ही पानी भरकर रखें. उसके बाद शनि के बीज मंत्र का जाप करें. मंत्र जाप 3 माला करनी है. उसके बाद पूजा सामग्री को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें.
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2. शनि अमावस्या को शिव जी की पूजा करें. उसके बाद पीपल के पेड़ के पास जाएं. वहां पर शनि लघु स्तोत्र का पाठ करें. फिर काले तिल को छाछ या मट्ठे में डालकर पीपले के पेड़ की जड़ को अर्पित कर दें. उसके बाद शाम को उस पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाएं और शनि देव की पूजा करें. सरसों या फिर तिल के तेल का दीपक जलाएं. इस उपाय से शनि देव प्रसन्न होंगे और आपके सभी प्रकार के कष्टों को दूर करेंगे.
शनि लघु स्तोत्र
नमस्ते कोणसंस्थय पिङ्गलाय नमोस्तुते। नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोस्तु ते॥
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चान्तकाय च। नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो॥
नमस्ते यमदसंज्ञाय शनैश्वर नमोस्तुते। प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्य च॥
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3. शनि अमावस्या के अवसर पर शनि के वैदिक मंत्र ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीपतये शनयो रविस्र वन्तुनः या फिर शनि के बीज मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः का जाप करें. यह मंत्र जाप कम से कम 23 हजार बार करना है. उसके बाद हवन कराएं. साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि दोष के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए विधि विधान से शनि यंत्र पहन सकते हैं. इसके लिए किसी योग्य ज्योतिषाचार्य की मदद लें.