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एक परिवार-जाति अलग…मां-बहन ST, भाई OBC में: प्रशासन को नहाल-निहाल समुदाय में कन्फ्यूजन, अटक गए जाति प्रमाण-पत्र – Khandwa News


छात्रों को अफसर एसटी सर्टिफिकेट जारी नहीं कर रहे हैं।

मध्यप्रदेश में नहाल और निहाल समुदाय को लेकर अफसरों को कन्फ्यूजन है। निहाल जाति के लोग अनुसूचित जनजाति (एसटी) कैटेगरी का जाति प्रमाण-पत्र मांग रहे हैं, लेकिन अफसरों ने इनकार कर दिया है।

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स्कॉलरशिप के लिए सर्टिफिकेट मांग रहे युवाओं ने दावा किया कि पूर्व में उनकी मां और बहन के नाम से एसटी कैटेगरी का सर्टिफिकेट जारी हो चुका है। अब हम लोगों को ओबीसी बताया जा रहा है। अफसर लोग हमें बेवजह परेशान कर रहे हैं।

बता दें कि खंडवा में नहाल जाति को जनजातीय सूची (ST) जबकि निहाल को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में रखा गया है।

पूर्व में निहाल जाति के लोगों को अनुसूचित जाति (ST) का सर्टिफिकेट जारी किया गया था।

नहाल – निहाल समुदाय में सिर्फ एक मात्रा का फर्क समाज के युवाओं का कहना है कि नहाल और निहाल समुदाय में एक मात्रा के सिवाय और कोई फर्क नहीं हैं। दोनों एक ही है और जनजाति समुदाय से आते हैं। कई शोध पत्रों और जांच रिपोर्ट में इसका जिक्र है। समाज के लोग एसटी कोटे से चुनाव लड़ते हैं। वर्तमान में हमारे कई रिश्तेदार एसटी कोटे से सरपंची और पार्षदी कर रहे हैं।

इधर, नहाल और निहाल समुदाय अलग-अलग है या नहीं, इसे लेकर एक आईएएस अफसर ने शासन से मार्गदर्शन मांगा है। वहीं खुद की जांच में दावा किया कि आवेदक एसटी कैटेगरी से नहीं है, वे लोग ओबीसी में आते हैं। पूर्व के अफसरों ने यदि गलती कर दी है तो उसे दोहरा नहीं सकते हैं।

यह पूरा मामला खंडवा जिले से सामने आया है, जहां पुनासा एसडीएम का दायित्व संभाल रहे आईएएस शिवम प्रजापति ने नहाल और निहाल को अलग-अलग माना है। नहाल समाज को एसटी कैटेगरी में जाति प्रमाण-पत्र जारी करने पर रोक लगा दी है।

निहाल समाज के छात्र-छात्राएं ST का प्रमाणपत्र बनवाने के लिए कलेक्ट्रेट के चक्कर काट रहे हैं।

मां तो किसी की बहन का सर्टिफिकेट बना, उलझे युवा बोले…

छात्रा बोली- कॉलेज में स्कॉलरशिप नहीं मिल पा रही डूब प्रभावित ग्राम ऐखंड की रहने वाली संध्या कटारे का कहना है कि वह सनावद (खरगोन) के डिग्री कॉलेज से बीए कर रही है। इस समय वह फायनल ईयर की स्टूडेंट हैं। कॉलेज वाले स्कॉलरशिप देने के लिए जाति प्रमाण-पत्र मांग रहे है। उन्हें डिजिटल प्रमाण-पत्र चाहिए। हमने एसटी कैटेगरी में एसडीएम ऑफिस में आवेदन किया, लेकिन उन्होंने आवेदन खारिज कर दिया। ऐसे में स्कॉलरशिप नहीं मिल पा रही हैं।

मां का एसटी सर्टिफिकेट दिखाया, बावजूद आवेदन खारिज ग्राम नेतनगांव के रहने वाले अंकित कलम ने बताया, मेरी मां का जाति प्रमाण-पत्र एसटी कैटेगरी का बना हुआ है। लेकिन एसडीएम इस कैटेगरी में मेरा जाति प्रमाण-पत्र बनाकर नहीं दे रहे हैं। पिता का निधन हो चुका है, मां का जाति प्रमाण-पत्र मानने को तैयार नहीं है। कहते हैं कि यहां पर ये जाति एसटी में नहीं पाई जाती है। जबकि 2023 में मेरी मां के नाम से जाति प्रमाण-पत्र बन चुका है।

एसटी कोटे से समाज के लोग सरपंच और पार्षद मूंदी के रहने वाले विपिन काजले के मुताबिक, कलेक्टर ने दो टूक कहा कि खंडवा जिले में निहाल जाति नहीं पाई जाती है। जबकि पुनासा जनपद पंचायत में ही नानखेड़ा, नेतनगांव और एखंड ग्राम पंचायत में एसटी कोटे से हमारे समाज के लोग सरपंच पद पर बैठे हैं। मूंदी नगर परिषद में भी एसटी कोटे के पार्षद पद पर समाज का व्यक्ति है। यदि हम लोग निहाल जाति से नहीं है तो सभी लोगों की भी जांच होना चाहिए।

जाति को लेकर अफसरों के तर्क…

कलेक्टर ऋषव गुप्ता बोले-

ट्राइबल रिपोर्ट के मुताबिक, खंडवा में निहाल जाति जनजातीय सूची में शामिल नहीं है। इस कारण आवेदन खारिज हुए हैं। यदि पूर्व में एसटी कैटेगरी के जाति प्रमाण-पत्र जारी हुए हैं तो अलग बात है। पूर्व में हुई गलती को बार-बार नहीं दोहरा सकते।

एसडीएम बोले- जांच रिपोर्ट वरिष्ठ कार्यालय को भेजी है पुनासा एसडीएम (आईएएस) शिवम प्रजापति ने बताया, आवेदन जांच में पता चला कि उक्त लाेग एसटी में नहीं आते हैं। जांच प्रकरण को एडीएम कार्यालय को प्रेषित किया गया है। यदि पूर्व में जाति प्रमाण-पत्र बने हैं तो यह मेरे संज्ञान में नहीं है। मेरे कार्यकाल के दौरान बगैर जांच के कोई प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया गया।

रहा सवाल, नहाल और निहाल समुदाय के अलग-अलग होने या एक होने का तो इसे लेकर कंफ्यूजन की स्थिति है। दोनों एक हैं या अलग-अलग है, इसके लिए शासन स्तर से स्पष्टीकरण मांगा गया है। स्थानीय लोगों के मुताबिक ये लोग ओबीसी (मानकर समुदाय) में आते हैं।

पूर्व एसडीएम बोले- जांच के बाद ही जारी किए सर्टिफिकेट पुनासा के पूर्व एसडीएम चंदरसिंह सोलंकी के मुताबिक, मेरे समक्ष भी निहाल समाज के लोगों ने एसटी कैटेगरी में जाति प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन किया था। जांच के दौरान जिन आवेदकों के पास 1960 के समय का रिकॉर्ड था, उन्हीं को डिजिटल प्रमाण-पत्र जारी किए गए थे।

समाज के प्रदेशाध्यक्ष बोले- शासन क्रॉस सर्वे भी करा चुका है आदिवासी निहाल समाज विकास संस्था के प्रदेशाध्यक्ष घनश्याम सोलंकी (बड़वानी) बताते हैं कि, जाति प्रमाण-पत्र को लेकर समाज का ऐसा कोई नेता नहीं है जो भोपाल जाकर बात रख सकें। जो अपनी-अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं, वो क्लियर होकर आ रहे हैं। उनके एसटी कैटेगरी में जाति प्रमाण-पत्र बने हैं। समाज के अधिकांश लोग मजदूर वर्ग से हैं। जब कोई सर्वे होता है, तब लोग मजदूरी के लिए घर से बाहर होते हैं।

रही बात नहाल और निहाल समाज की तो यह एक ही है। राजस्व रिकॉर्ड में नहाल और मानकर लिखा हुआ है। हम लोग निहाल है, आम बोलचाल की भाषा में लोग नहाल बोल देते हैं। जबकि मानकर ओबीसी में आते हैं। इसे लेकर शासन ने तीन बार क्रॉस सर्वे भी करवा लिया है।

सर्वे में यह सामने आया है कि नहाल, निहाल समाज एक है और जनजातीय समाज से रीति-भांति मिलती है। सर्वे की रिपोर्ट शासन के पास है। लेकिन वहां देखने वाला कोई नहीं है। घनश्याम सोलंकी के मुताबिक, नहाल और निहाल समाज के लोग प्रदेश के 12 जिलों में निवासरत हैं, जिनकी अनुमानित जनसंख्या 15 लाख से ज्यादा है।



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