विनायक चतुर्थी का व्रत ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी तिथि को रखा जाएगा. यह ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी व्रत है. इस बार विनायक चतुर्थी के दिन 2 शुभ योग बनेंगे और 2 प्रकार की भद्रा भी लगेगी. विनायक चतुर्थी की पूजा के समय सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा, जो व्यक्ति के मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक होगा. इस शुभ योग में प्रसन्न होकर गणपति बप्पा भक्तों पर कृपा बरसाएंगे. विनायक चतुर्थी को व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करते हैं, लेकिन इसमें चंद्रमा का दर्शन करना वर्जित होता है. आइए जानते हैं कि ज्येष्ठ की विनायक चतुर्थी कब है? विनायक चतुर्थी पूजा का मुहूर्त, शुभ योग और भद्रा का समय क्या है?
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी 2025 तारीख
वैदिक पंचांग के अनुसार, विनायक चतुर्थी के लिए जरूरी ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी तिथि 29 मई को रात 11 बजकर 18 मिनट से प्रारंभ होगी. यह तिथि 30 मई को रात 9 बजकर 22 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर विनायक चतुर्थी का व्रत 30 मई दिन शुक्रवार को रखा जाएगा.
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ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी मुहूर्त 2025
इस बार ज्येष्ठ की विनायक चतुर्थी की पूजा का मुहूर्त सुबह 10 बजकर 56 मिनट से है, जो दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक है. इस समय में ही आपको ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी की पूजा कर लेनी चाहिए.
सर्वार्थ सिद्धि योग में ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी 2025
विनायक चतुर्थी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहा है. व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह में 05:24 ए एम से 09:29 पी एम तक है, वहीं रवि योग भी सुबह 05:24 ए एम से 09:29 पी एम तक है. चतुर्थी के दिन वृद्धि योग दोपहर में 12 बजकर 57 मिनट से बनेगा. ये तीनों ही योग शुभ फल प्रदान करने वाले माने गए हैं. इसके अलावा व्रत के दिन पुनर्वसु नक्षत्र प्रात:काल से लेकर रात 09 बजकर 29 मिनट तक है. उसके बाद से पुष्य नक्षत्र होगा.
विनायक चतुर्थी पर 2 तरह की भद्रा
30 मई को विनायक चतुर्थी व्रत पर दो तरह की भद्रा लग रही है. एक भद्रा स्वर्ग की लगेगी और दूसरी धरती पर लगेगी. उस दिन भद्रा का समय सुबह में 10:14 ए एम से रात 09:22 पी एम तक है. पहले स्वर्ग की भद्रा सुबह 10:14 ए एम से दोपहर 03:42 पी एम तक रहेगी. इस भद्रा में आप शुभ कार्य कर सकते हैं. उसके बाद से धरती की भद्रा लगेगी. यह भद्रा दोपहर में 03:42 पी एम से रात 09:22 पी एम तक है. इस भद्रा में आप कोई शुभ कार्य न करें.
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विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व
विनायक चतुर्थी का व्रत रखने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं. उनकी कृपा से संकट, विघ्न और बाधाएं दूर होती हैं. जीवन में शुभता बढ़ती है और कार्य सफल होते हैं. जो व्यक्ति विनायक चतुर्थी का व्रत करता है, उसकी बुद्धि और ज्ञान में भी बढ़ोत्तरी होती है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)