Kundli ke Pahle bhav se 12vein Bhav ka Arth: जन्म कुंडली को समझना आसान नहीं होता, लेकिन अगर इसके भावों को सही से समझ लिया जाए तो व्यक्ति अपने जीवन के कई रहस्यों को जान सकता है. कुंडली में कुल 12 भाव होते हैं और हर भाव हमारे जीवन के किसी न किसी हिस्से को दर्शाता है. जैसे कोई भाव धन से जुड़ा होता है, कोई शिक्षा से, कोई विवाह से तो कोई स्वास्थ्य से. इन भावों को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि यही भाव यह बताते हैं कि जीवन में सुख-दुख, लाभ-हानि और आगे चलकर क्या संभावनाएं हैं. जब भी कोई ज्योतिषी आपकी कुंडली देखता है, तो सबसे पहले वह यही देखता है कि किस भाव में कौन-सा ग्रह बैठा है और उसका प्रभाव क्या होगा. भाव ही वह आधार हैं जिन पर ग्रहों का असर पड़ता है और व्यक्ति के जीवन की दिशा तय होती है. अगर कोई भाव मजबूत है तो उस क्षेत्र में उन्नति होती है और अगर कमजोर है तो वहां रुकावटें आती हैं. आइए अब एक-एक करके जानते हैं कि कुंडली के ये 12 भाव कौन-कौन से हैं और उनका हमारे जीवन में क्या महत्व होता है. इस बारे में बता रहे हैं भोपाल स्थित ज्योतिषाचार्य रवि पाराशर.
पहला भाव (लग्न भाव): खुद का शरीर और स्वभाव
यह भाव व्यक्ति के शरीर, रंग, रूप, स्वभाव, आत्मविश्वास और सोच से जुड़ा होता है. इसे ही लग्न भाव कहा जाता है. यह भाव यह बताता है कि आप बाहर से कैसे दिखते हैं और आपका स्वभाव कैसा है. व्यक्ति की पहचान, उसकी आदतें और दूसरों पर प्रभाव डालने की क्षमता इसी भाव से जानी जाती है.
दूसरा भाव: पैसा, परिवार और बोलने का तरीका
यह भाव बताता है कि व्यक्ति की आर्थिक स्थिति कैसी होगी, वह कितना पैसा कमाएगा और परिवार से उसका संबंध कैसा रहेगा. साथ ही उसकी वाणी यानी बोलने का तरीका कैसा होगा, यह भी इसी भाव से देखा जाता है.
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तीसरा भाव: साहस, भाई-बहन और मेहनत
यह भाव बताता है कि व्यक्ति कितना साहसी है, कितनी मेहनत करता है और उसमें आत्मविश्वास कितना है. इसके अलावा छोटे भाई-बहनों से संबंध, यात्रा करने की रुचि और संचार कौशल भी इसी भाव से जुड़े होते हैं.
चौथा भाव: मां, घर और सुख
चौथा भाव मां, स्थायी संपत्ति, घर, वाहन, मानसिक सुख और आराम से जुड़ा होता है. यह भाव यह दर्शाता है कि व्यक्ति को जीवन में घर और मां का कितना साथ मिलेगा और उसके जीवन में सुख-शांति कितनी रहेगी.
पांचवां भाव: शिक्षा, संतान और सोच
यह भाव व्यक्ति की पढ़ाई, संतान सुख, मन की स्थिति, रचनात्मकता और प्रेम संबंधों से जुड़ा होता है. यह भाव यह भी बताता है कि व्यक्ति की बुद्धि कैसी है और वह किस क्षेत्र में आगे बढ़ सकता है.
छठा भाव: रोग, ऋण और शत्रु
यह भाव व्यक्ति के रोगों, कर्ज और विरोधियों से संबंधित होता है. यह यह दर्शाता है कि व्यक्ति कितनी जल्दी बीमार होता है, उसका शरीर कितना मजबूत है और वह अपने जीवन की समस्याओं से कैसे निपटता है.
सातवां भाव: विवाह, जीवनसाथी और साझेदारी
सातवां भाव विवाह, जीवनसाथी और व्यापारिक साझेदारी से जुड़ा होता है. यह भाव यह बताता है कि शादी कब होगी, जीवनसाथी कैसा होगा और वैवाहिक जीवन में सुख-दुख कैसा रहेगा.
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आठवां भाव: उम्र, रहस्य और अचानक बदलाव
यह भाव जीवन की अनिश्चितता, छिपी हुई बातें, लंबी उम्र, पैतृक संपत्ति और बड़े बदलावों से जुड़ा होता है. यह भाव यह भी दर्शाता है कि व्यक्ति को जीवन में अचानक लाभ या हानि कैसी होगी.
नौवां भाव: भाग्य, धर्म और ज्ञान
नौवां भाव भाग्य, धार्मिक आस्था, गुरु का साथ, उच्च शिक्षा और विदेश यात्रा से संबंधित होता है. यह भाव यह बताता है कि व्यक्ति का भाग्य कितना मजबूत है और वह जीवन में कितना धर्मिक या नैतिक रहेगा.
दसवां भाव: काम, पद और जिम्मेदारी
यह भाव व्यक्ति के कार्यक्षेत्र, नौकरी, समाज में प्रतिष्ठा और जिम्मेदारियों से जुड़ा होता है. यह यह दर्शाता है कि व्यक्ति किस काम में सफल होगा और वह समाज में कितनी पहचान बनाएगा.
ग्यारहवां भाव: आय, लाभ और इच्छाएं
यह भाव आय के स्रोत, धन लाभ, दोस्तों और मन की इच्छाओं की पूर्ति से जुड़ा होता है. यह भाव यह बताता है कि व्यक्ति को कितना धन मिलेगा और उसकी मनोकामनाएं किस हद तक पूरी होंगी.
बारहवां भाव: खर्च, विदेश और मोक्ष
बारहवां भाव हानि, खर्च, अस्पताल, जेल, आध्यात्मिकता, अकेलापन और मोक्ष से जुड़ा होता है. यह यह दर्शाता है कि व्यक्ति का जीवन अंत में कैसा रहेगा, उसमें त्याग की भावना कितनी होगी और वह सांसारिक बंधनों से कितनी दूरी बनाएगा.