किशनगंज के ठाकुरगंज प्रखंड की दल्लेगांव पंचायत विकास की रोशनी से अछूत है। नेपाल सीमा से सटे इस पंचायत के लोगों को आज भी सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। यहां तक कि मृतकों के अंतिम संस्कार में भी ग्रामीणों को भ
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इस पंचायत में स्थित कब्रिस्तान एक नदी के पार है। जब किसी की मृत्यु होती है, तो परिजनों को पहले नाव से नदी पार करनी होती है, फिर रेत के टीलों पर करीब एक किलोमीटर पैदल चलकर शव को कब्रिस्तान तक पहुंचाना पड़ता है। बारिश के मौसम में यह स्थिति और भी गंभीर हो जाती है जब नदी में तेज धार बहने लगती है।
हाल ही में मोहम्मद जहुर आलम रजवी के चाचा जमील अख्तर के निधन पर यह समस्या फिर सामने आई। पूरब टोला कब्रिस्तान में जनाजे की नमाज अदा की गई, लेकिन वहां तक पहुंचने में अनेक लोग फिसलते, गिरते और भीगते हुए पहुंचे।
शादी और सामाजिक कार्यक्रम भी बनते हैं चुनौती
यह संकट केवल अंतिम संस्कार तक सीमित नहीं है। शादी-विवाह और अन्य सामाजिक आयोजनों के समय भी लोगों को आने-जाने में भारी परेशानी होती है। गांव में संपर्क मार्ग के अभाव के कारण मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाना भी मुश्किल हो जाता है।
स्थानीय लोग कर रहे सड़क और पुल की मांग
गांव के बुजुर्ग अली हुसैन और युवा नेता नसीम अख्तर ने कहा कि वर्षों से सड़क और पुल निर्माण की मांग की जा रही है, लेकिन हर बार आश्वासन ही मिला। ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि दल्लेगांव पंचायत को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए स्थायी पुल और पक्की सड़क का निर्माण कराया जाए।