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Ganga Ki Katha: हिंदू धर्म में गंगा नदी को पवित्र और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. गंगा नदी न केवल एक नदी है बल्कि यह हमारी आस्था और संस्कृति का प्रतीक भी है. गंगा नदी के धरती पर आने की कहानी बेहद रोचक और पौ…और पढ़ें
गंगा नदी की कहानी
हाइलाइट्स
- भगीरथ की तपस्या से गंगा धरती पर आईं.
- शिव जी ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया.
- गंगा नदी को मां के समान पूजा जाता है.
Ganga Ki Katha: गंगा नदी भारत की सबसे बड़ी और पवित्र नदी है, जिसे कई नामों से जाना जाता है जैसे – जाह्नवी, गंगे, शुभ्रा, सप्तेश्वरी, निकिता, भागीरथी, अलकनंदा और विष्णुपदी. यह नदी मां के समान मानी जाती है, जो सबका कल्याण करती है. गंगा नदी पाप, दुख, रोग और कष्टों का नाश करती हैं और मोक्ष दिलाने वाली मानी जाती हैं. माना जाता है कि मृत्यु के समय जो व्यक्ति गंगा का जल पाता है, उसे मोक्ष प्राप्त होता है. गंगा नदी के धरती पर आने की कहानी बेहद रोचक और पौराणिक है. आइए जानते हैं कि कैसे गंगा नदी स्वर्ग से धरती पर आईं और भगवान शिव की जटाओं में कैसे समा गईं.
भगीरथ की तपस्या
एक समय की बात है जब सगर नाम के राजा ने एक विशाल यज्ञ किया था. इस यज्ञ में इंद्र देव ने यज्ञ का घोड़ा चुरा लिया था. घोड़े की खोज में सगर के पुत्रों ने पृथ्वी को खोद डाला था. इस क्रोध में महर्षि कपिल मुनि की तपस्या भंग हो गई और क्रोधित होकर उन्होंने सगर के सभी पुत्रों को भस्म कर दिया. सगर के वंश को बचाने के लिए उनके पौत्र भगीरथ ने घोर तपस्या की. भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें वरदान दिया कि वे गंगा को धरती पर ला सकते हैं. लेकिन गंगा का जल इतना तेज था कि वह पृथ्वी को नष्ट कर सकती थीं. इसलिए ब्रह्मा जी ने भगीरथ को भगवान शिव की शरण में जाने को कहा.
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शिव की जटाओं में गंगा
भगीरथ ने भगवान शिव की तपस्या की. प्रसन्न होकर शिव जी ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर लिया. गंगा का जल इतना तेज था कि शिव जी भी उसे सहन नहीं कर पा रहे थे. तब उन्होंने गंगा को अपनी जटाओं में ही बांध दिया.
गंगा का धरती पर आगमन
बहुत समय तक गंगा शिव की जटाओं में बंधी रहीं. भगीरथ की प्रार्थना पर शिव जी ने गंगा को अपनी जटाओं से मुक्त किया. गंगा धरती पर आईं और भगीरथ के पितरों को मोक्ष दिलाया.
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गंगा का महत्व
गंगा नदी को मां के समान पूजा जाता है. माना जाता है कि गंगा के जल में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. गंगा नदी भारत की संस्कृति और धर्म का एक अभिन्न अंग है. गंगा नदी की कहानी हमें सिखाती है कि धैर्य और लगन से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है. भगीरथ की तपस्या का फल उन्हें मिला और गंगा नदी धरती पर आईं.
धार्मिक पर्यटन
हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज, ऋषिकेश और गंगोत्री जैसे स्थान गंगा के किनारे स्थित हैं, जहां लाखों भक्त पूजा-अर्चना करने आते हैं. हरिद्वार और प्रयागराज में कुंभ मेला का आयोजन होता है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है.
March 16, 2025, 17:38 IST
कौन थे भगीरथ जिनकी तपस्या से धरती पर आईं मां गंगा?