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खबर हटके- दुनिया के सबसे डरावने आइलैंड पर रुका शख्स: इजराइल-ईरान वॉर से पहले US में पिज्जा ऑर्डर बढ़े; सोचने भर से AI जवाब देगा


9 मिनट पहले

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अगर आपको घूमने या फिर एडवेंचर करने के लिए कहीं जाना हो तो आप किस जगह जाएंगे। एक शख्स ने एडवेंचर करने के लिए 1.60 लाख मुर्दों वाले आइलैंड पर पूरी रात रुका।

वहीं अमेरिका के डिफेंस हेडक्वार्टर में इजराइल-ईरान वॉर से पहले पिज्जा ऑर्डर बढ़ गए। इससे पहले भी पिज्जा ऑर्डर बढ़ने से वॉर के संकेत मिले थे।

ऐसी ही कुछ रोचक खबरें जो बीते दिन दुनिया में चर्चा में रहीं। आइए जानते हैं…

1. दुनिया की सबसे डरावनी जगह पर पूरी रात रुका शख्स

यह आइलैंड इटली के नजदीकी समुद्री तट से 800 मीटर की दूरी पर स्थित है।

इटली के पास एक छोटा आइलैंड है, जिसका नाम है- पोवेगलिया आइलैंड। इसे दुनिया का सबसे डरावना आइलैंड कहा जाता है। यहां करीब 1.60 लाख लोगों की लाशें दफन हैं। यहां जाना आम लोगों के लिए पूरी तरह बैन है।

हाल ही में, आयरलैंड के दारा ताह अपने दोस्त के साथ आइलैंड पर वीडियो बनाने के लिए पुलिस से छिपकर पहुंचे। इस दौरान थर्मल और रेडियो डिवाइस से रातभर भूतों को खोजना शुरू किया। दारा ताह ने बताया कि, वे भूतों पर यकीन नहीं करते लेकिन रेडियो सिग्नल के जरिए उनको आइलैंड छोड़कर जाने के लिए कहा जा रहा था।

1960 के बाद से, यह आइलैंड वीरान पड़ा है। इसकी पहचान 1 लाख 60 हजार से ज्यादा लोगों की मौत वाली जगह के तौर पर होती है।

इस आइलैंड को दुनिया की सबसे डरावनी जगह क्यों कही जाती है? दरअसल इटली से थोड़ा दूर होने के कारण, साल 1776 के बाद से करीब 100 सालों तक आइलैंड पर प्लेग महामारी के शिकार लोगों को क्वारंटीन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।

नेशनल जियोग्राफिक के मुताबिक, इस आइलैंड पर करीब 1 लाख से ज्यादा प्लेग के शिकार लोग मर गए। फिर 20वीं सदी में इसे मेंटल अस्पताल बना दिया गया, जहां लोगों पर खतरनाक एक्सपेरिमेंट किए गए।

यहां जाना मना क्यों है? अथॉरिटीज के मुताबिक, करीब 60 सालों से वीरान पड़े आइलैंड पर इमारतें जर्जर हो चुकी हैं और कभी भी गिर सकती हैं। अगर कोई यहां घुसने की कोशिश करता है, तो उसे गंभीर चोट लगने का खतरा रहता है। किसी के लिए मदद पहुंचना कठिन है। यहां जाने के लिए खास परमिशन लेनी पड़ती है, जिसके लिए ठोस वजह होनी चाहिए।

2. पिज्जा डिलीवरी बढ़ने का युद्ध से कनेक्शन

क्या कोई पिज्जा बता सकता है कि दुनिया में कब जंग होने वाली है? जी हां, इजराइल-ईरान वॉर के बीच एक अजीबो-गरीब थ्योरी चर्चा में हैं, जिसे ‘पेंटागन पिज्जा इंडेक्स’ कहा जा रहा है।

इसके मुताबिक, जब भी अमेरिका के डिफेंस हेडक्वार्टर पेंटागन में पिज्जा की डिलीवरी अचानक बढ़ती है तो समझो कहीं न कहीं कोई बड़ा वैश्विक संकट या सैन्य कार्रवाई होने वाली है।

हाल ही में जब इजराइल ने ईरान पर हमला किया, तो ‘पेंटागन पिज्जा रिपोर्ट’ (जो इन पिज्जा ऑर्डर पर नजर रखती है) ने दावा किया कि ईरान में धमाकों से ठीक एक घंटा पहले पेंटागन में पिज्जा की डिलीवरी आसमान छू गई थी।

2024 में भी इजरायली हमलों के दौरान पिज्जा ऑर्डर बढ़ गए थे।

रिपोर्ट बताती है कि पेंटागन के पास पिज्जा रेस्टोरेंट जैसे वी, द पिज्जा, डॉमिनोज पिज्जा, डिस्ट्रिक्ट पिज्जा पैलेस, और एक्सट्रीम पिज्जा में अचानक बहुत ज्यादा पिज्जा ऑर्डर किए गए। ये जानकारी गूगल जैसी वेबसाइटों पर उनके ‘पॉपुलर टाइम्स’ (जब लोग ज्यादा एक्टिव या इंगेज होते हैं) से पता चली।

पनामा से लेकर डेजर्ट स्टॉर्म तक, पिज्जा ने दी चेतावनी

पेंटागन पिज्जा रिपोर्ट के मुताबिक, इतिहास में जब-जब पिज्जा डिलीवरी बढ़ी तो उसने जंग का संकेत दिया-

  • 1989: पनामा पर अमेरिकी हमले से ठीक पहले की रात में पिज्जा डिलीवरी लगभग दोगुनी हो गई थी।
  • 1991: फारस की खाड़ी युद्ध (पर्शियन गल्फ वॉर) के दौरान ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म से पहले भी ऑर्डर बढ़ गए थे.
  • शीत युद्ध: सोवियत खुफिया एजेंसियां भी अमेरिकी सरकारी दफ्तरों में पिज्जा की डिलीवरी में अचानक बढ़ोतरी पर नजर रखती थीं, इसे आने वाली सैन्य कार्रवाई के संकेत के तौर पर देखा जाता था।

ऐसा क्यों होता है? इस ‘पिज्जा थ्योरी’ के मुताबिक, जब अमेरिकी राजनयिक किसी बड़ी सैन्य कार्रवाई के लिए देर रात तक काम करते हैं, तो वे जल्दी और सुविधाजनक खाना पसंद करते हैं, और पिज्जा उनकी पहली पसंद होता है।

हालांकि, पेंटागन के एक प्रवक्ता ने इस पर मजाकिया अंदाज में कहा- ये पूरी सच्चाई नहीं है, क्योंकि उनके पास सुशी, सैंडविच और डोनट्स भी आते हैं।

3. AI का नया मॉडल, सोचते ही AI जवाब देगा

ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में वैज्ञानिकों ने एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल बनाया है, जो आपके दिमाग की तरंगों (Brain Waves) से ही शब्दों और वाक्यों को पहचान सकता है। अब इसके साथ ही इंसान और कंप्यूटर के बीच बातचीत का तरीका भी बदल सकता है।

ये ‘मैजिकल AI’ कैसे काम करेगा? यह मॉडल डीप लर्निंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है, जिससे ये दिमाग के सिग्नलों को सीधे शब्दों में बदल देता है। इस मॉडल पर काम करने वाले वैज्ञानिक चिन-टेंग लिन ने बताया कि अभी ये AI मॉडल कम शब्दों और वाक्यों से सीख रहा है, ताकि शुरुआत में अलग-अलग शब्दों को पहचानना आसान हो। इसके लिए वैज्ञानिक डीप लर्निंग टेक्नोलॉजी से लैस डिवाइस वाली कैप पहनाकर लोगों से टेक्स्ट रीड करवा रहे हैं, ताकि इस मॉडल को और बेहतर बनाया जा सके।

तो ये थी आज की रोचक खबरें, कल फिर मिलेंगे कुछ और दिलचस्प और हटकर खबरों के साथ…

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