Homeहरियाणागुरुग्राम में MCM सफाई एजेंसी पर 9 करोड़ का जुर्माना: आकांक्षा...

गुरुग्राम में MCM सफाई एजेंसी पर 9 करोड़ का जुर्माना: आकांक्षा इंटरप्राइजेज ने सफाई के काम में बरती कोताही, कर्मचारी, मशीनरी भी कम लगाई – gurugram News


गुरुग्राम के मानेसर नगर निगम (MCM) में सफाई व्यवस्था के नाम पर लापरवाही बरतने के मामले में सफाई एजेंसी आकांक्षा इंटरप्राइजेज पर 9.17 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है। सोमवार को हुई बैठक में सेनिटेशन स्टेंडिंग कमेटी ने यह पैनल्टी लगाई है।

.

कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार एजेंसी को सड़क की सफाई, नालियों की सफाई और झाड़ियों को उखाड़ने का काम सौंपा गया था। ठेकेदार ने तय संख्या में सफाई कर्मचारियों को तैनात नहीं किया और बढ़े हुए बिल जमा किए। फरवरी से मई 2025 की अवधि के लिए कुल 13.17 करोड़ रुपए के बिल बनाकर भेजा गया।

हालांकि, मशीनरी और मैनपावर की वास्तविक तैनाती के विस्तृत सत्यापन के बाद कुल 9,17,92,267 रुपए की कटौती की जाएगी। इसमें कहा गया है कि मौजूदा भुगतान अंतिम है और पूरी तरह से सत्यापित है। इसमें कहा गया कि इसे किसी भी कमी, अनुबंध संबंधी उल्लंघन या पहले लगाए गए जुर्माने की छूट के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए।

RWA ने उठाया था मामला

स्थानीय रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) ने जुर्माने की सराहना और आगे की जांच की मांग की है। यूनाइटेड एसोसिएशन ऑफ न्यू गुरुग्राम के अध्यक्ष प्रवीण मलिक ने कहा कि एमसीएम को कोई भी भुगतान जारी करने से पहले जमीनी हकीकत की समीक्षा करनी चाहिए। तीन महीने की सफाई के लिए 4 करोड़ रुपए अभी भी बढ़ा हुआ है। कोई भी काम नहीं हुआ है।

जब ठेकेदार को पहले दंडित किया गया था, तो उसने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, लेकिन वह पूरी तरह से सफाई में अक्षम रहा है। हम ऐसी एजेंसियों को ब्लैकलिस्ट करने और मानेसर को एक और बंधवाड़ी में बदलने से रोकने के लिए विश्वसनीय ठेकेदारों की नियुक्ति की मांग करते हैं।

सफाई के नाम पर घोटाला

प्रवीण मलिक ने बताया कि मानेसर नगर निगम में सफाई के नाम पर बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं। ठेकेदार ने कागजों में हेरफेर कर सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर दिखाई और पूरा बिल वसूल किया, जबकि वास्तव में केवल एक-चौथाई कर्मचारियों से ही काम करवाया गया। इस कारण मानेसर में सफाई व्यवस्था पिछले दो वर्षों से चरमराई हुई है।

घाेटाले में ठेकेदार और नेताओं की मिलीभगत का शक

उन्होंने आरोप लगाया कि इस घोटाले में न केवल ठेकेदार, बल्कि कुछ नेता भी शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह मामला प्रशासन और सरकार की नाक के नीचे चल रहा था, जिससे यह सवाल उठता है कि ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए?

ठेकेदार ने पूर्व कमिश्नर का ट्रांसफर करवा दिया

इस घोटाले की जांच के दौरान तत्कालीन नगर निगम आयुक्त रेणू सोगन ने विभागीय जांच करवाई, जिसमें ठेकेदार को दोषी पाया गया। इसके परिणामस्वरूप ठेकेदार की कंपनी पर 4.5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया था। हालांकि, ठेकेदार ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए न केवल आयुक्त रेणू सोगन, बल्कि उनके एडीसी पति का भी रातोंरात तबादला करवा दिया।

सीएम से दोबारा जांच की मांग

इस घटना ने प्रशासनिक अधिकारियों पर ठेकेदारों के दबाव की गंभीर स्थिति का खुलासा किया। आरडब्ल्यूए ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से दोबारा संज्ञान लेने और निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि अगर कोई अधिकारी जनता के पैसे की लूट को रोकने के लिए कदम उठाता है, तो उसे गलत ठहराना उचित नहीं है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि मानेसर में सफाई व्यवस्था की बदहाली कोई नई बात नहीं है। कूड़े के ढेर, गंदे नाले और सड़कों पर फैली गंदगी ने शहर की छवि को धूमिल किया है। इस घोटाले से अकुशल और भ्रष्ट ठेकेदारों के कारण सफाई की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। स्वच्छता स्थायी समिति के इस फैसले को कई लोग सकारात्मक कदम मान रहे हैं, लेकिन यह सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या यह जुर्माना ठेकेदारों की कार्यप्रणाली में सुधार करेगा।

इस मामले ने सरकार की कार्यशैली पर भी कई सवाल उठाए हैं। अगर ठेकेदार इतने प्रभावशाली हैं कि वे अधिकारियों का तबादला करवा सकते हैं, तो यह प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाता है।



Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version