गोरखपुर एयरपोर्ट पर रविवार को अफसरों की लापरवाही और इंतजामों की बदहाली ने यात्रियों की हालत खराब कर दी। रनवे पर एक साथ कई फ्लाइट्स की आवाजाही ने ऐसी अफरा-तफरी मचाई कि न तो विमान वक्त पर उड़ सके और न ही यात्री समय से उतर सके। नतीजा—हजारों रुपये खर्च क
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दिल्ली जाने वाली इंडिगो की फ्लाइट सुबह 10:10 बजे उड़ान भरनी थी, लेकिन वह भी एक घंटे की देरी से रवाना हुई। इसके बाद दोपहर में बेंगलुरु, दिल्ली और मुंबई से आने-जाने वाली छह फ्लाइट्स को भी रनवे अव्यवस्था के चलते देर से उड़ान भरनी पड़ी।
रनवे पर फंसे यात्रियों ने कहा—ऐसे हालात कभी नहीं देखे
सबसे खराब हालात उस वक्त बने जब दिल्ली से आने वाली इंडिगो की फ्लाइट दोपहर 3:15 बजे पहुंचने के बजाय 1:15 घंटे देरी से आई। रनवे पर जगह नहीं होने की वजह से विमान को वहीं खड़ा कर दिया गया और यात्री उसी में बंद रहे। कई यात्रियों ने बताया कि गोरखपुर आकर भी प्लेन के अंदर कैद रहना अपमानजनक और बेहद थकाऊ अनुभव था।
टर्मिनल में न बैठने की जगह, न पूछने वाला
जिन यात्रियों ने समय से चेक-इन कर लिया था, वे भी टर्मिनल में घंटों खड़े रहे। बैठने की सीमित व्यवस्था होने के कारण बुजुर्ग और बच्चे तक जमीन पर बैठे दिखे। एयरपोर्ट प्रशासन की तरफ से न कोई स्पष्ट सूचना दी गई, न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई।
मुंबई की फ्लाइट 10 मिनट शहर के ऊपर चक्कर लगाती रही
मुंबई से आने वाली फ्लाइट तय वक्त से 10 मिनट पहले गोरखपुर पहुंच गई थी, लेकिन रनवे पर जगह नहीं मिलने की वजह से उसे शहर के ऊपर आसमान में चक्कर लगाते रहना पड़ा। बेंगलुरु जाने वाली अकासा एयर की फ्लाइट तो दो घंटे की देरी से रात 9:16 बजे “स्पेशल परमिशन” लेकर उड़ सकी।
प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
गोरखपुर जैसे सीमित ट्रैफिक वाले एयरपोर्ट पर इस तरह की भारी गड़बड़ी प्रशासन की तैयारी और सिस्टम की पोल खोलती है। रनवे मैनेजमेंट, टाइमिंग और यात्रियों की बेसिक सुविधाओं को लेकर कोई भी ठोस इंतजाम नज़र नहीं आया।