Homeमध्य प्रदेशग्वालियर में वायु प्रदूषण राष्ट्रीय औसत से चार गुना अधिक: ठंड...

ग्वालियर में वायु प्रदूषण राष्ट्रीय औसत से चार गुना अधिक: ठंड के दिनों में ग्वालियर में पीएम 2.5 का स्तर अंतरराष्ट्रीय मानक से 25 गुना ज्यादा – Gwalior News



प्रदेश के उत्तरी हिस्से में मौजूद ऐतिहासिक और राजसी विरासतों वाला शहर ग्वालियर मध्यप्रदेश का तीसरा बड़ा महानगर है, लेकिन यहां शहरी वायु प्रदूषण इतना अधिक है कि यह यहां के लोगों की न केवल उम्र घटा रहा है बल्कि कई तरह की दूरगामी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा

.

यहां वायु प्रदूषण मप्र के सभी शहरों की तुलना में अधिक है। मौजूदा क्षेत्रफल और आबादी में ग्वालियर से लगभग दोगुने बड़े शहर इंदौर की तुलना में यह दो से तीन गुना अधिक रहता है। कभी-कभी यह चार गुना तक हो जाता है। यह प्रदूषण न केवल बाहर घूमने वालों को, बल्कि घरों के भीतर रहने वालों का भी स्वास्थ्य बिगाड़ रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पिछले एक साल के आंकड़ों से पता चलता है कि मानसून सीजन को छोड़कर पूरे साल हवा में पर्टिकुलेट मैटर यानी पीएम 2.5 का स्तर भारतीय शहरों के राष्ट्रीय औसत से हमेशा अधिक रहा है। अक्टूबर से फरवरी के बीच ग्वालियर में पीएम 2.5 का स्तर 100 से 150 एमसीएम तक रहता है।

जो भारत के राष्ट्रीय औसत 40 एमसीएम से तीन से चार गुना और अंतरराष्ट्रीय मानक 5 एमसीएम से 20 से 25 गुना है। ग्वालियर में वायु प्रदूषण का स्तर वर्ष के हर माह में अंतरराष्ट्रीय मानक से ऊपर है। शिकागो यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (AQLI) के मुताबिक ग्वालियर में रहने वाले हर नागरिक की औसत उम्र 7.1 वर्ष घटती जा रही है। यहां वायु प्रदूषण लोगों में कई बीमारियों का कारण बना हुआ है।

प्रदूषित हवा में सांस लेने से स्ट्रोक, हृदय रोग, फेफड़ों के कैंसर, अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों से मरने की संभावना अधिक होती है। ग्वालियर में इन बीमारियों के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यह प्रदूषित हवा ऐसी समस्याएं भी पैदा करती है जो मृत्यु का कारण नहीं बनती हैं, लेकिन जिंदगी की मुश्किलें बढ़ा देती है। जैसे जन्म के समय कम वजन, अस्थमा और कमजोरी के कारण लोगों की उत्पादकता में कमी।

बंद रसोई और वेंटिलेशन न होने से घरों के भीतर भी बुरे हाल भारत में स्टडी से पता चला है कि लोगों के घरों के अंदर की हवा बाहर की हवा से थोड़ी कम प्रदूषित होती है, भले ही वायु प्रदूषण बाहर ज्यादा दिखाई देता है। घरों के भीतर वेंटिलेशन का पर्याप्त इंतजाम नहीं होना और बंद रसोई और ठोस ईधन के इस्तेमाल से घरों के भीतर हवा प्रदूषित होती है।



Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version