बीएमडब्ल्यू की टक्कर से कांस्टेबल आनंद देव की मौत मामले में आरोपी की जमानत दूसरी बार खारिज।
चंडीगढ़ सेक्टर-9/10 की सड़क पर बीएमडब्ल्यू कार की टक्कर से कांस्टेबल आनंद देव कुमार की मौत के मामले में आरोपी ईशान शंकर रॉय को जमानत नहीं मिली है। चंडीगढ़ के जिला अदालत के सेशन जज एच.एस. ग्रेवाल ने आरोपी की ज़मानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह हादस
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वहीं सरकारी वकील राजिंदर सिंह, शिकायतकर्ता के वकील रमन सिहाग और मनीष गिरी ने विरोध किया। उन्होंने बताया कि ईशान और उसका एक दोस्त रेस कर रहे थे, और गाड़ी पर टेंपरेरी नंबर प्लेट थी। यह गंभीर लापरवाही का मामला है जिसमें एक कांस्टेबल की जान चली गई। उन्होंने कहा कि अभी जांच पूरी नहीं हुई है, इसलिए जमानत देना ठीक नहीं होगा।
11 मई की शाम करीब 6:54 बजे दो बीएमडब्ल्यू कारें मटका चौक से तेज़ रफ्तार में निकलीं और करीब 1.8 किलोमीटर दूर बैंक चौक तक महज़ 1 मिनट 2 सेकेंड में पहुंच गईं। इसी दौरान इनमें से एक कार ने साइकिल पर जा रहे कांस्टेबल आनंद को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी ज़ोरदार थी कि आनंद की मौके पर ही मौत हो गई।
रेस कर रहे थे कार सवार
जांच में सामने आया है कि दोनों कारें आपस में रेस कर रही थीं। गाड़ी की रफ्तार 180 किलोमीटर प्रति घंटा थी। पुलिस ने करीब 50 सीसीटीवी फुटेज चेक किए और उसी आधार पर केस दर्ज किया। पहले आरोपी पर लापरवाही से गाड़ी चलाने की धाराएं लगाई गई थीं, लेकिन बाद में जब रेस और तेज़ रफ्तार की पुष्टि हुई, तो गैर इरादतन हत्या की धारा 105 भी जोड़ दी गई।
आरोपी ईशान के वकीलों ने कोर्ट में कहा कि वह एक होनहार छात्र है, जिसने इकनॉमिक्स और मैनेजमेंट में पढ़ाई की है। वह यूपीएससी और स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड की परीक्षाएं दे रहा है। 2 जून को उसका इंटरव्यू भी है, इसलिए उसे ज़मानत दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि कार की रफ्तार 92 किलोमीटर प्रति घंटा थी, 180 नहीं।
क्या कहा आरोपी पक्ष ने?
ईशान रॉय के वकीलों मनजीत सिंह व अशोक चौहान ने कोर्ट को बताया कि उनका मुवक्किल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है और उसे 2 जून से 8 जून तक मैसूर में स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड का इंटरव्यू देना है। वह पहले भी 25 मई को सिविल सर्विसेज की परीक्षा में शामिल हो चुका है और उसके उपस्थिति प्रमाण दिए जा चुके हैं। उनका तर्क था कि जिस स्पीड (180 किमी प्रति घंटा) की बात की जा रही है, वह सीसीटीवी और गणना के अनुसार करीब 92 किमी प्रति घंटा थी। साथ ही यह दुर्घटना जानबूझकर नहीं हुई, इसलिए उसे राहत दी जाए।