चंडीगढ़ पुलिस ने 4 साल पहले नशे के साथ पकडे़ थे 3 आराेपी।
4 साल पहले चंडीगढ़ से ऑस्ट्रेलिया में गैरकानूनी तरीके से प्रतिबंधित केमिकल ‘एफीड्रिन’ भेजे जाने के मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी है। पहले इस केस की जांच नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) कर रही थी, लेकिन अ
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इस सिलसिले में ईडी ने चेन्नई के 3 आरोपियों को समन भेजकर उनके और उनके परिवारों के बैंक खातों व संपत्ति की जानकारी मांगी है। सभी आरोपितों को 9 जून को ईडी ऑफिस में पेश होने के निर्देश दिए गए हैं।
2021 में पुलिस ने पहले बताया कोकीन
मामला मई 2021 का है, जब चंडीगढ़ पुलिस ने एक बड़े ड्रग तस्कर गिरोह का भंडाफोड़ किया था। पुलिस ने आरोपियों के पास से 10 किलो नशीला पदार्थ बरामद किया, जिसे पहले 100 करोड़ रुपए की कोकीन बताया गया था। बाद में जांच एनसीबी को सौंपी गई और जांच में स्पष्ट हुआ कि बरामद किया गया पदार्थ कोकीन नहीं बल्कि एफीड्रिन नामक प्रतिबंधित केमिकल था।
इस केस में एनसीबी ने चेन्नई के 3 युवकों – एस अशफाक रहमान, विजया कुमार और एन जफर शरीफ को आरोपी बनाया है। इन पर एनडीपीएस एक्ट सहित अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज है। जांच में खुलासा हुआ कि यह गिरोह एफीड्रिन केमिकल को बर्तनों के डिब्बों में छिपाकर कुरियर से ऑस्ट्रेलिया भेजने की कोशिश कर रहा था।
फर्जी आईडी से रुकने की कोशिश
तीनों आरोपी ट्रेन से चंडीगढ़ पहुंचे थे और यहां फर्जी आईडी कार्ड के जरिए सैक्टर-26 सत्संग भवन में रुके थे। उन्होंने एक स्थानीय कुरियर कंपनी से केमिकल भेजने की बात की, लेकिन कंपनी को शक हुआ और उन्होंने पुलिस को सूचित कर दिया। पुलिस ने तत्काल छापा मारकर तीनों को गिरफ्तार कर लिया।
एनसीबी की जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी जफर पहले चेन्नई के बर्मा बाजार में पुराने मोबाइल फोन खरीदने और बेचने का काम करता था। 2019 में उसकी मुलाकात सिकंदर अली नामक व्यक्ति से हुई, जिसने उसे बताया कि वह ऑस्ट्रेलिया में केमिकल एक्सपोर्ट करता है। यह काम गैरकानूनी है, लेकिन मुनाफा बहुत है। इसके बाद जफर भी इस गिरोह से जुड़ गया। बाद में अशफाक और विजय भी नेटवर्क का हिस्सा बने।
वकील बोला झूठा फंसाया गया
आरोपियों के वकीलों संदीप गुज्जर और अमरजीत सिंह का कहना है कि उनके क्लाइंट को बेवजह फंसाया जा रहा है।उन्होंने कहा,“पुलिस ने पहले इस केमिकल को 100 करोड़ की कोकीन बताया, लेकिन जांच में कुछ नहीं निकला। एनसीबी को भी कोई ठोस सबूत नहीं मिला, अब ईडी का समन भेजकर उन्हें फिर से परेशान किया जा रहा है।