मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स में आज बात 16 साल पुराने एक रेप केस की। मुंबई के रहने वाले दंपती भोपाल के गांधी नगर थाने पहुंचे। दोनों के कपड़े फटे हुए थे। पति ने पुलिस को बताया कि तीन बदमाशों ने उसकी पत्नी के साथ चलती कार में रेप किया है। वह अपने साथ एक यू
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इस शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया और पड़ताल शुरू की। मगर, पुलिस उस समय चकरघिन्नी हो गई, जब पति-पत्नी दोनों गायब हो गए। क्या था ये पूरा मामला? पति-पत्नी कहां गायब हो गए थे? रेप की वारदात कैसे हुई थी?
ये जानने के लिए पढ़िए पूरी रिपोर्ट
17 जून 2009 का दिन… इस दिन रात लगभग 10.30 बजे गांधी नगर पुलिस स्टेशन में एक आदमी फटे कपड़े पहने दाखिल हुआ। उसके साथ एक महिला भी थी, जिसकी टी-शर्ट फटी हुई थी। पति ने खुद का नाम प्रमोद सिंह और पत्नी का नाम साधना( बदला हुआ नाम) बताया। ये भी कहा कि वह मुंबई का रहने वाला है। इसके बाद उसने जो बताया उसे सुनकर पुलिस सकते में आ गई।
पति ने कहा- उसकी तीन साल की बेटी है। बेटी का दाखिला आसाराम बापू आश्रम में संचालित स्कूल में कराने के लिए वह मुंबई से आए हैं। उसने बताया- आश्रम से निकलने के बाद हम सड़क पर खड़े होकर वाहन का इंतजार कर रहे थे तभी एक काली रंग की इनोवा हमारे सामने आकर रुकी।
सामने बैठे व्यक्ति ने हमें अंदर आने के लिए कहा और कहीं भी छोड़ने की बात कही। मैं और मेरी पत्नी उसमें बैठ गए। गाड़ी करौंद की ओर बढ़ने लगी और फिर राजपुर रोड की ओर बढ़ गई। कार में ड्रायवर सहित तीन लोग थे। एक ने मेरी कनपटी पर पिस्टल रख दी। मैं डर गया। फिर चलती कार में तीनों ने बारी-बारी से मेरी पत्नी के साथ रेप किया।
पत्नी चिल्लाती रही। मदद मांगती रही। बाद में बलात्कारियों ने मुबारकपुरा चौराहे के यहां कार से हमें उतार दिया। आरोपियों ने कार से कालीन भी फेंक दिया, जिस पर इस्तेमाल किया हुआ कंडोम और एक चांदी का कंगन चिपका हुआ था।
अगले दिन सुबह से मचा बवाल, सीएम तक पहुंचा मामला प्रमोद ने पुलिस को बताया कि बलात्कारियों की उम्र 40 साल के आसपास थी। तीनों व्यक्ति मध्यम कद के, गहरे रंग के, औसत लोगों की तुलना में भारी और साधारण पेंट और शर्ट पहने हुए थे। आरोपी अगर सामने आए तो वो उन्हें पहचान लेगा।
पीड़ित महिला को मेडिकल जांच के लिए पुलिस ने अस्पताल भेजा। रात का मामला था। लिहाजा गांधी नगर थाना पुलिस (तत्कालीन टीआई अनुराग पांडेय) ने सोचा सुबह वरिष्ठ अधिकारियों को घटना की जानकारी दे देंगे। मगर, मीडिया को अस्पताल से चलती कार में गैंगरेप घटना की जानकारी मिल गई। अगले दिन अखबारों में प्रमुखता से खबर प्रकाशित हुई।
तब प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान थे। तत्कालीन भोपाल आईजी शैलेंद्र श्रीवास्तव थे। उन्होंने सीएम से बात की। सीएम ने नाराजगी जाहिर की। कहा- पुलिस अपराधियों को तीन दिन में ढूंढ निकाले। राजधानी की सड़कों पर चलती कार में घंटों गैंगरेप की घटना ने सभी को हिला दिया था।
पीड़िता और पति होटल से हुए लापता रिपोर्ट दर्ज करवाने के बाद रात में पीड़िता और पति को एक होटल भेज दिया था। आरोपियों की जानकारी जुटाने में पुलिस खाली हाथ थी। वरिष्ठ अफसरों ने पीड़िता और पति से बातचीत कर कुछ क्लू ढूंढने की कोशिश की। एक महिला एसआई को उन्हें थाने लाने के लिए भेजा।
एसआई ने पुलिस अफसरों को बताया कि दोनों बिना बताए होटल छोड़ चुके हैं। अब पुलिस के सामने नया चैलेंज आ गया। दोनों के मोबाइल भी बंद थे। दोनों कहां गए? इस बारे में उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी थी। उनका स्थायी पता भी पुलिस को पता नहीं था। पुलिस अधिकारी समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर दोनों होटल छोड़ कर क्यों गए?
आसाराम के आश्रम भी पहुंची पुलिस पुलिस की टीम पीड़िता और पति के बारे में पता करने आसाराम के आश्रम पहुंची। आश्रम का विजिटर रजिस्टर देखा, प्रबंधकों से पूछताछ की। दोनों के आश्रम आने के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। एक तरह जहां पुलिस को आरोपियों का सुराग नहीं मिल रहा था वहीं दूसरी तरफ पति-पत्नी के इस तरह लापता होने और आश्रम के इनपुट ने और शक पैदा कर दिया था।
पुलिस होटल में पहुंची तो पति-पत्नी चेकआउट कर चुके थे। कमरे में जाकर तलाशी ली मगर कुछ नहीं मिला। ( इमेज एआई जनरेटेड है)
पुलिस ने दो पॉइंट पर इन्वेस्टिगेशन शुरू किया पुलिस के इन्वेस्टिगेशन का पहला पॉइंट था, पीड़िता और पति की तलाश। पुलिस के पास पीड़िता और पति के बारे में जानकारी नहीं थी। रिपोर्ट लिखवाने के दौरान बातों बातों में पीड़िता ने खुद को कानपुर निवासी बताया था। जबकि, पति प्रमोद ने मुंबई निवासी होना बताया था। पीड़िता और उसके पति को ढूंढने के लिए पुलिस की एक टीम को मुंबई और दूसरी टीम को कानपुर भेजा गया।
इधर एक टीम भोपाल में ही सक्रिय रही। इस टीम को घटनास्थल के आसपास के सुराग तलाश करने के लिए कहा गया। पुलिस के पास क्लू के नाम पर केवल सत्तू लिखा चांदी का कंगन था। जांच के दौरान भोपाल टीम को एक सत्तू नामक व्यक्ति के बारे में पता चला। जो फूड पॉइंट चलाता था।
पुलिस ने सत्तू को गिरफ्तार किया, मगर केस उलझ गया पुलिस टीम ने सत्तू को पकड़ा। सफारी कार जब्त की। कार की छत पर किसी महिला के पैरों के निशान और मिट्टी लगी मिली। कालीन के धागे मिले। तलाशी में एक पिस्टल भी जब्त हुई, हालांकि वह खराब थी। पीड़िता की तरफ से थाने में कंडोम के साथ जमा कराए चांदी के ब्रेसलेट पर सत्तू लिखा था। सत्तू की टावर लोकेशन भी उस दिन घटना स्थल के आसपास की मिली।
पुलिस अधिकारियों को लगा कि उन्होंने मामले को ट्रेस कर लिया है। पूछताछ में सत्तू ने कबूल किया कि घटना की रात एक अनजान महिला से उसने शारीरिक संबंध बनाए थे। मगर, सब कुछ सहमति से हुआ था। उसने महिला को इसके एवज में पैसे दिए थे।
पुलिस अधिकारी फिर दुविधा में फंस गए, क्योंकि समय और स्थान पर सत्तू की मौजूदगी थी। ब्रेसलेट पर भी उसका नाम था। ये सिर्फ एक संयोग था, या फिर कहानी में कोई ट्विस्ट था? पुलिस पर केस सॉल्व करने का दबाव था, लिहाजा अधिकारियों ने सत्तू की गिरफ्तारी दिखाकर बताया कि सत्तू भी गैंगरेप का आरोपी है।
पुलिस ने सत्तू को उसकी लोकेशन और ब्रेसलेट के आधार पर गिरफ्तार किया। ( फोटो एआई जनरेटेड है।)
कानपुर गई टीम को मिला पीड़िता का सुराग सत्तू की गिरफ्तारी हो चुकी थी। इधर उसकी शिनाख्त के लिए पीड़िता या उसके पति का मिलना जरूरी था। कानपुर पुलिस टीम का नेतृत्व मनीष खत्री कर रहे थे। एक महिला को इतने बड़े शहर में तलाशना भूसे के ढेर में सुई ढूंढने जैसा था। खत्री कानपुर के थाने में बैठे हुए थे। वह पीड़िता का नाम लेकर जोर से चिल्लाए बोले- पता नहीं कहां गायब हो गई है।
थाने के एक पुलिसकर्मी ने ये नाम सुना और खत्री को बताया कि पास ही के रेडलाइट एरिया में इस नाम की महिला रहती है। पुलिस की टीम तत्काल ही रेड लाइट एरिया पहुंच गई। गांधी नगर थाने के पुलिसकर्मियों ने पीड़िता को पहचान लिया। पुलिस ने उसे अपने साथ चलने को कहा, लेकिन रेड लाइट एरिया की महिलाओं ने इसका विरोध किया। बाद में यूपी पुलिस के सहयोग से पीड़िता को भोपाल लाया गया।
कानपुर के रेडलाइट एरिया से पुलिस ने पीड़िता को गिरफ्तार किया और भोपाल लेकर आई।( तस्वीर एआई जनरेटेड है)
पीड़िता ने जो बताया, उससे कहानी और उलझ गई कानपुर से भोपाल लौटने के दौरान महिला पुलिस अधिकारी ने पीड़िता से पूछताछ की- उसने बताया कि वह शादीशुदा नहीं है। प्रमोद उसका पति नहीं है। उसका किसी और से अफेयर था, जिसकी मौत हो चुकी है। उसी से उसकी साढ़े तीन साल की बेटी है। ये सुनकर पुलिस के होश उड़ गए।
पुलिस ने पीड़िता से पूछा कि प्रमोद से कैसे मिली? पीड़िता ने बताया कि वो मुंबई के डांस बार में काम करती थी। वहां पहली बार प्रमोद से मुलाकात हुई। प्रमोद ने उसे भोपाल चलने के लिए कहा था। इसके एवज में 20 हजार रु. देने की डील हुई। पहले वह उसे मुंबई से सूरत ले गया।
वहां दो लोगों से मुलाकात हुई। एक नाम राजेश और दूसरे का संजय था। उसके बाद हम दोनों भोपाल आ गए। दिन भर घूमे। बेटी के स्कूल में एडमिशन के संबंध में आश्रम गए। बेटी की उम्र साढ़े तीन साल की होने के कारण स्कूल वालों ने उसे एडमिशन देने से मना कर दिया।
कार में बैठने के बाद पीड़िता से रेप पीड़िता ने बताया कि जैसे ही कार आगे बढ़ी। कार में बैठे राजेश ने ड्राइवर से गाड़ी रूकवाई। वह पीछे आकर बैठ गया। तीनों ने छेड़छाड़ शुरू कर दी। मेरे कपड़े फाड़ दिए। गाड़ी में मेरे साथ रेप किया। बाद मुझे और प्रमोद को गाड़ी से उतार दिया। किसी को कुछ बताने पर जान से मारने की धमकी दी।
प्रमोद मुझे थाने लेकर आया। मुझसे कहा कि ऐसा बयान देना कि अज्ञात लोगों ने रोप किया। संजय और राजेश का नाम नहीं लेना। मैं बहुत डर गई थी। प्रमोद ने जो कहा मैंने वैसा ही किया। अगले दिन प्रमोद मुझे होटल से सूरत ले गया। जहां एक बार फिर संजय और राजेश मिले। यहां से वह मुझे मुंबई ले गया, फिर कानपुर छोड़ दिया।
इन्वेस्टिगेशन के पांच पॉइंट पुलिस के सामने थे
- सूरत में रहने वाले राजेश और संजय कौन है?
- प्रमोद कहां छिपा हुआ था?
- जिस सत्तू को रेप के आरोप में गिरफ्तार किया उसकी क्या भूमिका थी?
- क्या गैंगरेप की कहानी झूठी बनाई गई थी?
- इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड कौन था?
कल पार्ट-2 में पढ़िए इन सभी सवालों के जवाब