पंजाब के राज्यपाल और यूटी प्रशासक गुलाब चंद कटारिया, पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) के दो प्रमुख मुद्दों, अनुदान जारी करने और हरियाणा के कॉलेजों की संबद्धता पर चर्चा के लिए पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे। इस उच्च स्तरीय बैठक का उद्
.
उत्तरी क्षेत्रीय परिषद (एनजेडसी) की स्थायी समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राज्यपाल कटारिया इन दोनों मुद्दों को हल करने के लिए दोनों मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करेंगे। बैठक में पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिवों सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया, हालांकि उन्होंने इस मामले को संबंधित राज्यों के राजनीतिक नेतृत्व पर छोड़ना उचित समझा।
पीयू के लिए वित्तीय सहायता
पंजाब विश्वविद्यालय के लिए अनुदान का मामला केंद्र और पंजाब सरकार से जुड़ा हुआ है। चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में केंद्र सरकार ने पीयू को मिलने वाले वार्षिक अनुदान को 294 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 346 करोड़ रुपए कर दिया है, जिसमें 6% की वार्षिक वृद्धि का प्रावधान है। इसके अलावा, पंजाब सरकार भी पीयू के लिए वित्तीय सहायता के लिए विचार कर रही है।
हरियाणा की संबद्धता की मांग
हरियाणा सरकार ने वित्तीय सहायता के बदले पंचकूला, अंबाला और यमुनानगर जिलों के कॉलेजों को पीयू से संबद्धता देने का अनुरोध किया है। हालांकि, यह मुद्दा अंतर्राज्यीय गतिरोध का कारण बन गया है, जिसमें पंजाब और हरियाणा के बीच आपसी सहमति नहीं बन पाई है। पिछली बार हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विश्वविद्यालय के कुल व्यय का 40% तक योगदान देने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे अस्वीकार कर दिया था।
पंजाब विधानसभा ने भी 30 जून 2023 को एक प्रस्ताव पारित कर पीयू की मौजूदा स्थिति को बदलने के किसी भी प्रयास का विरोध किया था। इसका कारण 1973 में गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना है, जिसके तहत हरियाणा ने पीयू से अपनी संबद्धता खो दी थी।
क्या है आगे की योजना?
सूत्रों के अनुसार, चूंकि यह मामला काफी समय से लंबित है और अब तक राजनीतिक सहमति नहीं बन पाई है, इसलिए नौकरशाहों के पास निर्णय लेने की भूमिका सीमित है। राजनीतिक स्तर पर चर्चा जरूरी है, जिससे दोनों राज्यों की सहमति से मुद्दों का हल निकल सके। अब राज्यपाल कटारिया की अध्यक्षता में होने वाली यह बैठक दोनों मुख्यमंत्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगी ताकि पंजाब विश्वविद्यालय के भविष्य को लेकर ठोस निर्णय लिया जा सके।