भोपाल के आशीष व्यास और ग्वालियर की कल्पना इंदौर के रविंद्र नाट्य गृह में आयोजित दिव्यांग युवक-युवतियों के अखिल भारतीय परिचय सम्मेलन में पहुंचे थे।
वे दोनों अपने-अपने परिवार के साथ इंदौर में आयोजित दिव्यांग युवक-युवतियों के अखिल भारतीय परिचय सम्मेलन में रिश्ता देखने आए थे। उनके परिवार काफी समय से उनके लिए योग जीवनसाथी की तलाश कर रहे थे, लेकिन दिव्यांगता के कारण उचित संबंध नहीं बन पा रहा था।
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रविवार को संयोग ऐसा बना कि परिचय सम्मेलन शुरू होने से पहले ही वे परिसर में एक-दूसरे से मिले। बातचीत के दौरान उन्होंने एक-दूसरे की पीड़ा और भावनाओं को समझा और विवाह बंधन में बंधने का निर्णय लिया।
यह मामला भोपाल के आशीष व्यास और ग्वालियर की कल्पना सविता का है। दोनों अपने परिवार के साथ रविवार को रविंद्र नाट्य गृह में आयोजित दिव्यांग युवक-युवतियों के अखिल भारतीय परिचय सम्मेलन में पहुंचे थे। खास बात यह थी कि कार्यक्रम सुबह 11 बजे शुरू होना था, लेकिन इससे पहले ही 40 से अधिक दिव्यांग युवक-युवतियां अलग-अलग शहरों से वहां आ चुके थे।
आशीष भोपाल के जिला कोर्ट में वकील हैं और बचपन से ही दोनों पैरों से दिव्यांग हैं। वे वर्षों से ट्राइसिकिल का इस्तेमाल करते हैं।
आशीष भोपाल के जिला कोर्ट में वकील हैं और बचपन से ही दोनों पैरों से दिव्यांग हैं।
कल्पना और आशीष को मिला जीवनसाथी
दूसरी ओर, कल्पना जब मात्र तीन साल की थी, तब से ही उनके एक पैर ने काम करना बंद कर दिया था। उनके परिवार में केवल उनकी मां हैं। कल्पना ग्वालियर के एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका हैं और कैलिपर्स के सहारे चलती हैं।
परिसर में जब दोनों ने एक-दूसरे को देखा, तो सामान्य बातचीत हुई। धीरे-धीरे उन्होंने एक-दूसरे की पीड़ा, भावनाएं और व्यावहारिक कठिनाइयों को समझा। इसके बाद दोनों ने विवाह बंधन में बंधने पर सहमति जताई। उनके परिवारजन भी इस रिश्ते से सहमत हो गए और उन्होंने सहर्ष अपनी स्वीकृति दे दी।
इसके बाद, दोनों को परिचय सम्मेलन में शिरकत करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी। हालांकि, बाद में उन्हें और उनके परिवारों को हॉल में बुलाया गया, जहां सम्मेलन का पहला सफल रिश्ता तय होने की जानकारी दी गई तो सभी को काफी खुशी हुई।
कल्पना ग्वालियर के एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका हैं और कैलिपर्स के सहारे चलती हैं।
आशीष-कल्पना का रिश्ता सम्मेलन शुरू होने से पहले ही तय
आशीष ने कहा, “मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि मुझे कल्पना जैसी जीवनसंगिनी मिली। यह ईश्वर की कृपा है कि इंदौर आने का अवसर मिला और सम्मेलन शुरू होने से पहले ही हमारा रिश्ता तय हो गया। कल्पना भी बेहद प्रसन्न हैं। उन्होंने कहा, “मैं आशीष की भावनाओं से प्रेरित हूं। वे दोनों पैरों से दिव्यांग हैं, इसलिए जो कार्य वे नहीं कर सकते, उसमें मैं उनकी मदद करूंगी।” कल्पना ने आगे कहा, “शरीर की दिव्यांगता कोई समस्या नहीं है, लेकिन दिमाग में दिव्यांगता (नकारात्मक सोच) नहीं होनी चाहिए। हम दोनों एक-दूसरे को पाकर बेहद खुश हैं।”
संस्था द्वारा जल्द ही सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसमें विभिन्न शहरों से तय हुए दिव्यांगजनों के रिश्तों को मूर्त रूप देकर विवाह संपन्न कराया जाएगा। आशीष और कल्पना भी इसी आयोजन में विवाह बंधन में बंधेंगे। रविवार को इंदौर में कुल पांच रिश्ते तय हुए। संस्था देशभर के विभिन्न शहरों में दिव्यांगजनों के परिचय सम्मेलन आयोजित करती है। इंदौर में इससे पहले 2023 में यह आयोजन किया गया था।
संस्था के बुजुर्ग दिव्यांग फोटोग्राफर ने सम्मेलन में आए दिव्यांगों के इस अंदाज में खींचे फोटो। उनके इस जज्बे की सभी ने तारीफ।
इंदौर सम्मेलन में 5 रिश्ते तय हुए
संयुक्त सचिव, दिव्यांग उत्थान फाउंडेशन, राजस्थान, बाबूलाल मीणा ने बताया कि, रविवार तक सम्मेलन में कुल 13,500 रजिस्ट्रेशन हुए, जिनमें से इंदौर में 450 रजिस्ट्रेशन दर्ज किए गए। दिव्यांगजन के रिश्तों के लिए ‘दिव्यांग हमसफर’ नाम से एक वेबसाइट उपलब्ध है, साथ ही प्ले स्टोर पर भी इसी नाम से एक ऐप मौजूद है। यह संस्था पूरे देश में दिव्यांगजन के उत्थान और उनके विवाह संबंधी पहलुओं पर कार्य करती है। सम्मेलन में 5 रिश्ते तय हुए हैं।