जिले में 1 साल में सिर्फ पिकअप की बात की जाए तो 50 से ज्यादा यात्रियों से भरी पिकअप दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी हैं, जिसमें कई लोगों की जान चली गई तो 100 से ज्यादा इन दुर्घटनाओं में गंभीर घायल भी हो चुके हैं। बावजूद इसके गुड्स व्हीकल पिकअप में सवारियों क
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पिकअप में ड्राइवर और 1 अन्य के बैठने की अनुमति होती है, वाहन दुर्घटना ग्रस्त होने पर 2 लोगों को ही इंश्योरेंस कंपनी क्लेम देती है। दंतेवाड़ा में आरटीओ विभाग साफ तौर पर उड़नदस्ता टीम सालों से कर्मचारियों की कमी का हवाला देते आ रहा है, पुलिस के द्वारा लोक अदालत के लिए चालानी कार्रवाई इन्हीं पिकअप पर की जाती है और उसके बाद इनको 50 से 60 लोगों को भरकर जाने की खुली छूट दे दी जाती है। पिछले 15 दिन में 3 पिकअप हादसे में 52 घायल और 2 की मौत हो चुकी है।
पिकअप में सुरक्षा को लेकर कोई व्यवस्था नहीं होती। इस वाहन में आसानी से 30 से 35 लोग सवार हो जाते हैं, पर हाट-बाजार, नेताओं के आगमन पर पिकअप में 50 से 60 लोगों को बिठाया जाता है। दंतेवाड़ा में सिर्फ अप्रैल की बात की जाए तो 15 दिन में 3 पिकअप दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी हैं। जिसमें 52 घायल और 2 की मौत हो गई है। कुआकोंडा, कटेकल्याण क्षेत्र में ये पिकअप दुर्घटना ग्रस्त हुई थी।