बसपा के पूर्व एमएलसी हाजी इक़बाल बाला के सहयोगी मोहम्मद अली व अन्य को हाईकोर्ट ने दुष्कर्म मामले में राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने इन लोगों के विरुद्ध चल रहे मुकदमे की कार्रवाई को रद्द करने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी। मोहम्मद अली और
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याचीगण के खिलाफ सहारनपुर के मिर्जापुर थाने में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज है। इस मामले में पुलिस चार्ज शीट दाखिल कर चुकी है। मुकदमे की कार्रवाई रद्द करने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई।
याचियों की ओर से दलील दी गई कि उनके खिलाफ झूठा और निराधार मुकदमा दर्ज कराया गया है। इसी मामले में आरोपी हाजी इकबाल बाला के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे की कार्रवाई को रद्द कर दिया है। इसी आधार पर अधीनस्थ न्यायालय ने भी याचीगण के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही समाप्त कर दी थी । मगर उस आदेश के विरुद्ध दाखिल निगरानी याचिका में स्पेशल जज एमपी/ एमएलए ने अवर न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया और याचियों के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही को पुनर्स्थापित कर दिया।
याचियों के अधिवक्ता का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाजी इकबाल बाला के मामले में दिए आदेश के आधार पर उनके विरुद्ध भी मुकदमे की कार्रवाई समाप्त की जाए।
याचिका का विरोध करते हुए सरकार की तरफ से कहा गया कि याचीगण के विरुद्ध विवेचना पूरी करने के बाद आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है। इकबाल बाला के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में याचियों के प्रकरण को इकबाल बाला के प्रकरण से अलग कर दिया था। इसलिए उस आदेश से समानता का लाभ इनको नहीं दिया जा सकता है।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि हाजी इकबाल बाला के केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का लाभ याचियों को नहीं दिया जा सकता है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इकबाल बाला से याचियों के प्रकरण को पृथक कर दिया था। उनके विरुद्ध मुकदमे की कार्रवाई समाप्त करने का कोई अन्य आधार नहीं है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।