अष्टानिका पर्व के समापन दिवस पर चौक धर्मशाला में आध्यात्मिक उल्लास का अनुपम नजारा देखने को मिला, जब मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज ससंघ के सान्निध्य में भोपाल में पहली बार 1008 मंत्रों से महाशांतिधारा संपन्न हुई। इस पावन अवसर पर 24 तीर्थंकरों के प्रथम
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मंत्रों की गूंज और भक्तों की भक्ति में सराबोर हुआ माहौल
मुनि श्री प्रमाण सागर जी, मुनि श्री निर्वेग सागर जी एवं मुनि श्री संधान सागर जी महाराज ने जब 1008 मंत्रों का शुद्ध उच्चारण किया गया, तो समूचा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा। भक्तगण मंत्रोच्चार के साथ तालियां बजाकर भक्ति के रस में डूबते गए।
मंगल प्रवचन में मिला आध्यात्मिक रंगों का संदेश
इस अवसर पर मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज ने रंग, अंग, तरंग और अंतरंग विषय पर मंगल प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि लोग क्षणिक बाहरी रंगों में तल्लीन हो जाते हैं, जबकि असली प्रयास आध्यात्मिक रंग को आत्मा में चढ़ाने का होना चाहिए। यह रंग कभी फीका नहीं पड़ता और आत्मा को मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर करता है।
श्रद्धालुओं ने किया पुण्य अर्जित
उत्साह, उल्लास और उमंग की त्रिवेणी में डूबे श्रद्धालुओं ने इस पावन आयोजन में पुण्य अर्जित किया। इस अवसर पर पंचायत कमेटी ट्रस्ट भोपाल के अध्यक्ष मनोज बांगा, मंत्री मनोज आर. एम., हुकमचंद विपिन (MPT), अमित तड़ैया, अरविंद जैन अभिराज, सुनील पब्लिशर्स, प्रदीप कुट्टू, अशोक सराफ, अरविंद सुपाड़ी, अनुभव सराफ समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।