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मनमोहन सिंह ने टीचर्स के कहने पर इकोनॉमिक्स चुनी: अमृतसर हिंदू कॉलेज लेता था आधी फीस, क्लासमेट बोले-कम शब्दों में अपनी बात बोल जाते थे – Amritsar News


ये फोटो मार्च 2018 का है, जब पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अमृतसर के हिंदू कॉलेज में कार्यक्रम में पहुंचे थे।

देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह नहीं रहे। गुरुवार रात को उन्होंने दिल्ली AIIMS में अंतिम सांस ली। वे अविभाजित भारत में पंजाब के गाह गांव में पैदा हुए थे। उनका परिवार बंटवारे के समय पंजाब के अमृतसर में बस गया था।

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डॉ. मनमोहन सिंह ने 10वीं के बाद प्री कॉलेज करने के लिए हिंदू कॉलेज को चुना था। सितंबर 1948 में उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया और पहला स्थान पाया। तत्कालीन प्रिंसिपल संत राम ने उन्हें रोल कॉल ऑफ ऑनर के साथ सम्मानित किया।

वह पहले स्टूडेंट थे, जिन्हें इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। यह किस्सा खुद डॉ. मनमोहन सिंह ने हिंदू कॉलेज में 2018 में आयोजित एलुमनी मीट और कनवोकेशन के दौरान सुनाया था। डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था कि शिक्षक ही विद्यार्थी की विलक्षण शक्ति को पहचान सकते हैं।

उन्होंने बताया था कि टीचर्स के कहने के बाद उन्होंने बीए ऑनर्स इन इकोनॉमिक्स में दाखिला लिया था। 1952 में एक बार फिर टॉपर बने। डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने पूर्व प्रिंसिपल संत राम, प्रो. मस्त राम, प्रो. एसआर कालिया, डॉ. जुगल किशोर त्रिखा और डॉ. सुदर्शन कपूर को अपना हीरो बताया था।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की ये तस्वीर अमृतसर के हिंदू कॉलेज के स्टाफ के साथ है, जो 2018 में ली गई थी।

दोस्तों ने साझा की थीं डॉ. मनमोहन सिंह से जुड़ी बातें…

कॉलेज पूरा होने के 65 साल के बाद साल 2018 में डॉ. मनमोहन सिंह हिंदू कॉलेज में पहुंचे थे। इस कॉलेज में उन्होंने तकरीबन 4 साल 1948 से 1952 तक शिक्षकों के लेक्चर सुन ज्ञान हासिल किया था। इस दौरान उनके कई क्लासमेट भी कॉलेज पहुंचे थे, जिन्होंने 2018 में प्रिंसिपल रहे डॉ. पीके शर्मा को कई किस्से सुनाए।

कम शब्दों में अपनी बात बोल जाते थे मनमोहन डॉ. मनमोहन सिंह के बैचमेट रहे डीएवी लोकल मैनेजिंग कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट सुदर्शन कपूर ने बताया था कि वह 3 साल तक कॉलेज की डिबेट टीम का हिस्सा रहे थे। डॉ. मनमोहन के पास बोलने व दूसरों को प्रभावित करने की शैली शुरू से ही थी।

डिबेट में वह बहुत ही कम शब्दों में व शांति के साथ अपनी बात बोल जाते थे। वह बात इतनी प्रभावशाली होती थी कि कोई उन्हें पहला इनाम देने से खुद को रोक नहीं पाता था। डॉ. मनमोहन का अधिक समय लाइब्रेरी में ही बीतता थे। जब भी वह इकट्ठे बैठते तो फिल्मों व एक्ट्रेस की बातें भी चल पड़ती थीं, लेकिन यह बातें सुन वह शरमा जाते।

एडवोकेट सुदर्शन कपूर की डॉ. मनमोहन सिंह व उनकी पत्नी के साथ तस्वीर। मनमोहन सिंह और सुदर्शन कपूर एक साथ अमृतसर के हिंदू कॉलेज में पढ़े।

कपूर बोले- उन्हें मनमोहन कहना आसान नहीं था डॉ. सुदर्शन कपूर ने बताया कि डॉ. मनमोहन ने उन्हें दिल्ली अपने निवास पर बुलाया था। वह उन्हें डॉक्टर साहिब कह कर बुलाते थे, जिस पर उनकी पत्नी गुरशरण कौर ने उन्हें टोका था। उनका कहना था कि आप दोस्त हैं। इन्हें मनमोहन कह क्यों नहीं बुलाते? हर बार इन्हें डॉक्टर साहिब कहते हैं।

इस पर उन्होंने कहा था कि जिस शख्सियत के सामने अब वह बैठे हैं, उनके आगे बैठ अब मनमोहन बोलना आसान नहीं। मुंह से खुद ही डॉक्टर साहिब निकलता है। इस बैठक में उन्होंने सभी दोस्तों और प्रो. जैन, प्रो. त्रिखा और प्रो. जय गोपाल को भी याद किया था।

पढ़ाई में शुरू से तेज, आधी फीस लेता था कॉलेज कॉलेज रिकॉर्ड के अनुसार डॉ. मनमोहन का रोल नंबर 19 और सीरियल नंबर 1420 था। वह पढ़ाई में इतने तेज थे कि उनकी आधी फीस माफ थी। ग्रेजुएशन में उनके सब्जेक्ट इकोनॉमिक्स, पॉलिटिकल साइंस और पंजाबी थे। वह बाद में विश्व विख्यात इकोनॉमिस्ट और देश के प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे।

सिग्नेचर में 3 ट्रायंगल डालते थे उनके क्लासमेट रहे राम प्रकाश सरोज ने तत्कालीन प्रिंसिपल को बताया था कि डॉ. मनमोहन सिंह के सिग्नेचर यूनीक थे। वह 3 जगह ट्रायंगल बनाते थे। पहला मनमोहन का M डालते हुए, दूसरा S लिखते हुए और तीसरा सिंह का G लिखते हुए।

2018 में गोल्डन टेंपल में माथा टेकने के बाद डॉ. मनमोहन सिंह ने विजिटर रजिस्टर पर यह संदेश लिखा था। उन्हों लिखा था स्वर्ण मंदिर के दर्शन करना एक वास्तविक आनंद है।

प्रो. कालिया दिल्ली पहुंचे, पता चला तो खुद भागते हुए आए क्लासमेट और यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन से सीनियर लेक्चरर पद से रिटायर्ड सुदर्शन भास्कर ने प्रिंसिपल डॉ. पीके शर्मा से एक किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि डॉ. मनमोहन फाइनेंस डिपार्टमेंट में इकोनॉमिक सेक्रेटरी थे। कॉलेज के प्रो. कालिया उनसे मिलने दिल्ली पहुंच गए। जैसे ही डॉ. सिंह को उनके आने का पता चला, वह सारा काम छोड़ रिसेप्शन की तरफ भागे और खुद डॉ. कालिया का स्वागत किया।

अपने दो सहपाठियों को याद कर भावुक हुए थे डॉ. मनमोहन सिंह ने अपनी स्पीच में कहा था कि जिस समय वह हिंदू कॉलेज में पढ़ रहे थे, उस समय डी. बचिंद्रा गोस्वामी और राज कुमार पठारिया भी यहां थे। इन्होंने भी भारत का नाम विश्व में ऊंचा किया।

इसके अलावा हिंदू कॉलेज के अन्य एलुमनी सतिंदर लूंबा का नाम लिया। उन्होंने कहा कि जिस समय वह प्रधानमंत्री थे, सतिंदर लूंबा उनके सलाहकार थे। उन्हें यह जानकार खुशी हुई थी कि सतिंदर लूंबा भी हिंदू कॉलेज का ही हिस्सा रहे।

अमृतसर से जुड़े डॉ. मनमोहन सिंह के PHOTOS…

साल 2018 में डॉ. मनमोहन सिंह गोल्डन टेंपल पहुंचे थे।

2018 में डॉ. मनमोहन सिंह अमृतसर में पार्टीशन म्यूजियम में पहुंचे थे।

गोल्डन टेंपल में मनमोहन सिंह कड़ाह प्रसाद लेते हुए।

साल 2018 में अपनी पत्नी के साथ डॉ. मनमोहन सिंह गोल्डन टेंपल में नतमस्तक होने पहुंचे थे।



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