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महाकाली को क्यों चढ़ाई जाती है नींबू की माला? जानिए इसका रहस्य, प्रतीक और तांत्रिक महत्व


काल पर भी राज करने वाली आदिशक्ति दुर्गा के विकराल रूप को महाकाली कहते हैं. महाकाली दस महाविद्याओं में से एक हैं और वैष्णो देवी में दाईं पिंडी माता महाकाली की ही है. माता महाकाली का नाम लेने मात्र से सभी संकट व कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है. मां हमेशा भक्तों की रक्षा करती हैं और सभी तरह की नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करती हैं. लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि मां काली को विशेष रूप से नींबू की माला क्यों चढ़ाई जाती है? क्यों ये माला उनके गले में या उनके मंदिर में विशेष रूप से लटकाई जाती है? इस परंपरा के पीछे एक गहरा तांत्रिक और आध्यात्मिक रहस्य छिपा है , जो श्रद्धा और विज्ञान दोनों से जुड़ा है.

तांत्रिक दृष्टि से नींबू का महत्व
भारत के पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के कई तांत्रिक मंदिरों में यह परंपरा प्रमुखता से निभाई जाती है. खासकर महाकाली, चामुंडा, भैरवी और तारा मां को नींबू की माला चढ़ाना एक तांत्रिक अनुष्ठान का हिस्सा माना जाता है. नींबू को तंत्र शास्त्र में नेगेटिव एनर्जी को सोखने वाला फल माना गया है. नींबू को काले धागे या सूती धागे में पिरोकर मां काली को अर्पित किया जाता है. पहला माता काली को प्रसन्न करने के लिए बलि या नरमुंडों की माला चढ़ाई जाती थी, जो अब असंभव है. नींबू की माला इस रौद्र रूप को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए चढ़ाई जाती है. नींबू की माला को दुष्ट दैत्यों का प्रतीक माना जाता है, जो माता के गले में रहते हैं, जिससे भक्तों को कोई समस्या ना हो.

नींबू माला चढ़ाने के फायदे
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता काली को नींबू की माला चढ़ाने से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है और तंत्र-बाधा, कोर्ट-कचहरी के मामलों और पारिवारिक कलहों से मुक्ति मिलती है. नींबू का उपयोग अक्सर नजर उतारने या भूत-प्रेत बाधा हटाने में भी होता है. नींबू की माला महाकाली को चढ़ाना एक तांत्रिक उपाय है, जो नकारात्मक ऊर्जा का नाश करता है, साधना में शक्ति और साधक को आध्यात्मिक बल व सुरक्षा कवच प्रदान करता है. नींबू की माला चढ़ाकर अगर कोई मनोकामना मांगी जाए तो महाकाली उसे पूरा करती हैं. यह माला भोग से विराग और कामना से मुक्ति की प्रतीक भी माना जाता है.

आध्यात्मिक प्रतीक: नींबू यानी नियंत्रण
मां काली का रूप उग्र होता है, वे असुरों का विनाश करती हैं लेकिन भक्तों के लिए करूणामयी होती हैं. नींबू की शीतलता, देवी के उग्र स्वरूप को शांत करता है और यह बलि के प्रतीक के रूप में भी काम करता है. हिंसा के स्थान पर फल की आहुति दी जाती है. नींबू की माला उनके उग्र तत्त्व को शांत करने और साधना को संतुलित रखने में सहायक माना जाता है. नींबू का गोलाकार रूप चक्र का प्रतीक है, जो जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र को दर्शाता है, जिसे महाकाली नियंत्रित करती हैं.

कब और कैसे चढ़ाई जाती है नींबू की माला?
1. विशेष रूप से गुरुवार, अमावस्या, नवरात्रि की कालरात्रि, भैरव अष्टमी या काली पूजा की रात को चढ़ाई जाती है.
2. नींबू की संख्या सामान्यतः 11, 21 या 51 होनी चाहिए.
3. काले धागे या सूती धागे में नींबू पिरोकर माला बनाई जाती है और महाकाली की प्रतिमा या चित्र पर चढ़ाई जाती है.
4. चढ़ाने से पहले नींबू पर तिलक, हल्दी या सिंदूर लगाया जाता है. नींबू माला के साथ लाल पुष्प, मदिरा/मीठा जल (परंपरा अनुसार) और भस्म/काजल चढ़ाएं.



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