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कोयंबटूर5 मिनट पहले
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मंगलवार सुबह 9 दोषियों को भारी पुलिस सुरक्षा के बीच कोर्ट लाया गया था।
तमिलनाडु के पोलाची यौन उत्पीड़न मामले में कोयंबटूर महिला अदालत ने मंगलवार को 9 लोगों को मौत तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने आज सुबह ही सभी को दोषी ठहराया था। जज आर नंदिनी देवी ने इन्हें गैंगरेप और बार-बार रेप का दोषी पाया। कोर्ट ने पीड़ित महिलाओं को कुल 85 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश भी दिया है।
पोलाची में 2016 से 2018 के दौरान 9 युवकों के ग्रुप ने 50 से ज्यादा महिलाओं का यौन शोषण किया था। पीड़ितों में कॉलेज की छात्राएं और शादीशुदा महिलाएं थीं। दोषियों ने यौन शोषण का वीडियो भी बनाया था और उसके जरिए ब्लैकमेल करके महिलाओं का कई बार रेप किया और पैसे भी मांगे।
यह घटना 24 फरवरी, 2019 को तब सामने आई जब एक छात्रा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उसने आरोप लगाया कि 12 दिन पहले पोलाची के पास चलती कार में चार लोगों ने उसका रेप किया। 19 साल की छात्रा दोषियों के खिलाफ बोलने वाली पहली पीड़िता थी।
2019 में गिरफ्तारी के बाद से नौ लोगों को सलेम सेंट्रल जेल में रखा गया है।
युवकों ने 50 से ज्यादा महिलाओं का रेप किया छात्रा की शिकायत पर 2019 में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया। तब से सभी सलेम सेंट्रल जेल में बंद है। दोषियों में सबरीराजन उर्फ रिशवंत (32 साल), थिरुनावुकारसु (34 साल), टी वसंत कुमार (30 साल), एम सतीश (33 साल, आर मणि उर्फ मणिवन्नन, पी बाबू (33 साल), हारोन पॉल (32 साल), अरुलानंथम (39 साल) और अरुण कुमार (33 साल) हैं।
9 युवकों का यह ग्रुप 2016 से महिलाओं को बहला-फुसलाकर उनका यौन शोषण कर रहा था। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, पीड़ित महिलाओं की संख्या 50 से भी ज्यादा है। युवकों के खिलाफ आपराधिक साजिश, यौन उत्पीड़न, रेप, गैंगरेप और जबरन वसूली का मामला दर्ज किया गया था।
पोलाची की घटना से तमिलनाडु में आक्रोश फैल गया था। इसकी गूंज राज्य विधानसभा में भी उठी। शुरू मे स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच की, लेकिन बाद में इसे CB-CID को सौंप दिया गया। 2019 में मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दिया गया था।
28 अप्रैल, 2025 को कोयंबटूर स्थित कोर्ट कैंपस में यौन उत्पीड़न मामले के दोषियों की तस्वीर।
दोषियों ने रेप के वीडियो लीक करने की धमकी दी थी CBI जांच के दौरान, सिस्टमेटिक तरीके से महिलाओं के साथ यौन शोषण का एक पैटर्न उजागर हुआ था। पीड़ितों ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने धमकी दी थी कि अगर उन्होंने उनकी बात मानने से इनकार किया तो वे उनके वीडियो परिवारों और रिश्तेदारों को लीक कर देंगे।
CBI के स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर सुरेंद्र मोहन ने बताया कि दोषियों ने अपनी कम उम्र और बुजुर्ग माता-पिता का हवाला देते हुए सजा में नरमी की मांग की थी। हालांकि, एजेंसी ने आरोपियों के लिए कम से कम आजीवन कारावास की सजा की मांग की थी। CBI ने पीड़ित महिलाओं के लिए मुआवजा भी मांगा था।
सुरेंद्र मोहन ने बताया कि जांच के दौरान कुल 48 गवाहों से पूछताछ की गई थी। उनमें से कोई भी अपने बयान से पलटा नहीं। इलेक्ट्रॉनिक सबूतों ने आरोपों को साबित करने में अहम भूमिका निभाई, क्योंकि वे साइंटिफिक तौर पर साबित किए गए थे।
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