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रामबन में लैंडस्लाइड, क्या हाईवे की वजह से आई तबाही: लोग बोले- पानी का रास्ता रोका; 5 साल पहले जहां खतरा बताया, वहीं दरके पहाड़


‘19 अप्रैल की रात करीब साढ़े 8 बजे मैं टैंकर लेकर रामबन पहुंचा था। बहुत तेज बारिश हो रही थी। बारिश बंद नहीं हुई तो टैंकर साइड में रोक दिया। आगे-पीछे जाम लगा था। इसलिए मैं गाड़ी में ही सो गया। सुबह होते-होते पूरा टैंकर मलबे में दब गया। मैं उसी में फंस

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सुदर्शन जिस टैंकर से जम्मू के रामबन आए थे, वो मलबे में दबा है। सुदर्शन इसे छोड़कर नहीं जा सकते, इसलिए तीन दिन से यहीं फंसे हैं। रामबन में 19 अप्रैल को भारी बारिश के बाद तीन जगह लैंडस्लाइड हुई। इसका मलबा 10 किमी एरिया में फैला है।

फोटो रामबन के करोल की है, जहां लैंडस्लाइड के बाद हाईवे पर वाहन बड़े-बड़े पत्थरों में दब गए। यहां करीब 6 से 8 फीट मलबा आ गया।

सबसे ज्यादा नुकसान करोल में हुआ है। यहां दुकानों में मलबा भर गया। लोग बताते हैं कि रामबन में पहले भी तेज बारिश होती रही है, लेकिन ऐसा हादसा पहली बार हुआ है। अभी मलबे के नीचे कितनी गाड़ियां फंसी हैं, कितने इंसान फंसे हैं, कुछ नहीं पता।

दैनिक भास्कर की टीम रामबन में लैंडस्लाइड वाली जगह पहुंची। हम जम्मू के रास्ते करोल पहुंचे। यहां आम लोगों के अलावा लैंडस्लाइड की वजहों पर एक्सपर्ट से बात की। इसमें दो बातें समझ आईं।

1. लोगों के मुताबिक, लैंडस्लाइड वाली जगह पर पहले पानी और मलबा निकलने के लिए बड़ा नाला था। यहां हाईवे का काम शुरू हुआ तो उसे ब्लॉक कर दिया गया। पहाड़ी की तरफ से मलबा आने के लिए 25 से 30 फीट चौड़ी जगह थी। हाईवे पर पुलिया बनाकर उसे सिर्फ 2 से 4 फीट का कर दिया गया। इससे पानी के साथ आया मलबा मेन रोड के पास आकर रुक गया। आगे रास्ता न होने से घरों और दुकानों में घुस गया।

2. जम्मू-कश्मीर के सभी 20 जिलों में रामबन लैंडस्लाइड के लिहाज से सबसे ज्यादा खतरे वाली कैटेगरी में है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने 2020 में इसी एरिया में सर्वे किया था। स्टडी में पता चला कि मारुब से लेकर रामबन का एरिया सबसे ज्यादा सेंसिटिव है। अब 5 साल बाद इसी जगह लैंडस्लाइड हुई है, जिसमें तीन लोग मारे गए। करीब 250 घर टूट गए।

दुकानों में घुसा मलबा, उबरने में 2 से 3 महीने लगेंगे कार्तिकेय की रामबन के मेन हाईवे पर हार्डवेयर की दुकान है। दुकान में पहाड़ों से आया मलबा भरा है। कार्तिकेय बताते हैं कि फिर से दुकान शुरू करने में 2 से 3 महीने लग सकते हैं। कार्तिकेय कहते हैं, ‘ये पूरी गलती नेशनल हाईवे अथॉरिटी के अधिकारियों की है। अगर वे पानी निकलने के लिए रास्ता छोड़ देते तो ये समस्या नहीं होती।’

‘मलबे में फंसा टैंकर, पैसे-फोन उसी में, किसी ने खाने के लिए भी नहीं पूछा’ करोल में लैंडस्लाइड की वजह से हाईवे बंद हो गया। हर तरफ मलबा ही मलबा था। इसी मलबे में एक टैंकर फंसा दिखा। इसके ड्राइवर सुदर्शन कहते हैं, ’मैं जम्मू से टैंकर लेकर श्रीनगर जा रहा था। उस दिन से अब तक फंसा हूं। मेरे पीछे कितनी गाड़ियां थीं। ये नहीं पता। रविवार सुबह से सब फंसे हुए हैं। कोई मदद नहीं कर रहा है। प्रशासन ने खाने-पीने के लिए भी नहीं पूछा। मैं सो भी नहीं पा रहा। मेरे पैसे, फोन सब टैंकर के अंदर ही है।’

सुदर्शन के साथ एक और टैंकर ड्राइवर कृष्णा मिले। वे कहते हैं, ‘सुदर्शन के टैंकर से आगे मेरा टैंकर था। मेरा टैंकर बच गया। बार-बार मौसम खराब हो रहा है। इसलिए दिक्कत हो रही है। पूरा रास्ता बंद है। इस मलबे के नीचे कौन-कौन दबा है। कोई गाड़ी दबी है या नहीं। अभी कह नहीं सकते।’

करोल में हाईवे की ओर से आया मलबा बस्ती तक पहुंच गया। यहां कई कारें दब गईं। घरों को भी नुकसान हुआ है।

हमने करोल में काम कर रहे नेशनल हाईवे अथॉरिटी के अधिकारियों से बात की। उनसे पूछा कि मलबे में कोई गाड़ी या इंसान तो नहीं फंसे हैं। कैमरे पर आए बिना उन्होंने बताया कि हमें नहीं पता। किसी ने अब तक शिकायत नहीं की है। हम रास्ता साफ करा रहे हैं।

ट्रक ड्राइवर बोले– खराब मौसम का अलर्ट था, ट्रैफिक पुलिस ने रोका क्यों नहीं ट्रक ड्राइवर अमरीक सिंह भी तीन दिन से रास्ते में फंसे हैं। वे बताते हैं, ‘मैं ट्रक लेकर जम्मू से बनिहाल जा रहा था। 19 अप्रैल की रात 8 बजे बारिश की वजह से रुक गया। यहां 3-4 गाड़ियां थीं। रात ढाई बजे लैंडस्लाइड हुई। इसमें ट्रैफिक पुलिस की भी लापरवाही है। इतनी बारिश हो रही थी। उसी वक्त दोनों तरफ का ट्रैफिक रोकना चाहिए था।’

‘बारिश पहले भी हुई, लेकिन ऐसा हादसा इसी बार देखा’ रामबन के रहने वाले शकील अहमद बताते हैं, ‘सुबह 5 बजे के आसपास लैंडस्लाइड का पता चला। इससे पहले कई घंटे तक लगातार बारिश हुई थी। यहां तो सिर्फ रोड बंद हुआ। थोड़ा आगे तो लोगों की जानें गईं हैं। 30-35 घर बह गए। 20 अप्रैल से मलबा हटाने का काम चल रहा है। यहां बारिश होती रहती है, लेकिन पहली बार इतना बड़ा हादसा देखा है।’

लोग रेस्टोरेंट-होटल में फंसे, मलबे से निकलीं दो कारें करोल एरिया से आगे भी दो जगह लैंडस्लाइड हुई थी। पहला एरिया करोल से करीब 4-5 किमी दूर है। यहां हाईवे पर रेस्टोरेंट और दुकानें थीं। इनके अंदर मलबा भर गया है। बिजली के खंभे टूट गए हैं। एक रेस्टोरेंट के सामने मलबा हटाया जा रहा था। तभी मलबे से दो कारें निकलीं।

लैंडस्लाइड के बाद पानी के साथ आया मलबा होटल के ग्राउंड फ्लोर में भर गया। हालांकि होटल में मौजूद लोग समय रहते निकल गए थे।

हमने रेस्टोरेंट के मालिक गिरि से बात की। वे बताते हैं, ’19 अप्रैल को पूरी रात बारिश हुई। सुबह करीब 4 बजे अचानक मलबा आना शुरू हुआ। सिर्फ 15-20 मिनट में इतना मलबा आ गया। उस समय रेस्टोरेंट में स्टाफ के 15 लोग और 20-25 गेस्ट थे। सभी सेफ हैं।’

गिरि आगे कहते हैं, ‘ये सब नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट की वजह से हुआ है। पहाड़ की तरफ से 6 मीटर का गैप है। आगे बस 2 से 3 मीटर का ही रास्ता है। वहां कलवट (छोटी पुलिया) जैसा बना दिया है। वहां भी दीवार ऊंची कर दी। सिर्फ पानी निकलने के लिए जगह छोड़ी गई। इसलिए वहां मलबा ब्लॉक हो गया और चारों तरफ फैल गया।’

गिरि आगे कहते हैं, ‘अगर ये रास्ता ब्लॉक नहीं होता, तो पहाड़ से आया मलबा सीधा नीचे चला जाता। हम खुद 20-30 लेबर लगाकर सफाई करा रहे हैं।’

यहीं दुकान चलाने वाले तीरथ सिंह कहते हैं, ’हमारा परिवार दुकानों से ही चलता है। अभी मलबा हटाने में 3-4 दिन लगेंगे। उसके बाद 2-3 महीने में दुकानें खुल पाएंगी।’

लैंडस्लाइड की वजह से दुकानदारों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। उन्हें काम दोबारा शुरू करने में 2 से 3 महीने लग जाएंगे।

NHAI के अफसर बोले- तेज बारिश से आपदा आई, हमारी गलती नहीं लोगों के आरोपों पर हमने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी NHAI के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पुरुषोत्तम कुमार से बात की। वे बताते हैं, ‘कुल 10 किमी एरिया में लैंडस्लाइड हुई है। इसका असर करोल से मरोब एरिया तक है। हम कोशिश कर रहे हैं कि रास्ता खुल जाए। दिक्कत ये है कि मलबे को किसी भी जगह नहीं डाल सकते। उसके लिए सही जगह देख रहे हैं। 4 से 5 दिन में मलबा हटाकर रास्ता शुरू कर देंगे।’

मलबे में कोई फंसा तो नहीं है? इस सवाल पर पुरुषोत्तम कहते हैं, ‘हमें अब तक किसी के फंसे होने की जानकारी नहीं मिली है। अगर कोई गाड़ी फंसती, तो उसके पीछे वालों से सूचना मिल जाती। अभी तक तो किसी ने सूचना नहीं दी है।’

लोग कह रहे हैं कि हाईवे के काम की वजह से मलबा निकलने की जगह नहीं बची, क्या सच में ऐसा है? पुरुषोत्तम कुमार जवाब देते हैं, ‘ऐसा नहीं है। लोगों को गलतफहमी हुई है। इसका पूरा ध्यान रखा गया है। इस आपदा के पीछे बादल का फटना वजह है।

कुछ घंटे में ही मूसलाधार बारिश होने से पहाड़ों से मलबा एक साथ आ गया। आप देख सकते हैं कि कितनी दूर तक मलबा फैला हुआ है। रामबन पहले से सेंसिटिव एरिया है। लगातार कई घंटे तेज बारिश होने से ये सब हुआ है।

जम्मू-कश्मीर में लैंडस्लाइड से 30 साल में 1 हजार मौतें, सबसे ज्यादा खतरा रामबन में रामबन में ही इतनी बड़ी त्रासदी क्यों हुई, इसकी वजह समझने के लिए हमने जियोलॉजिस्ट और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी के साइंटिस्ट रियाज अहमद मीर से बात की। रियाज ने जम्मू-कश्मीर में लैंडस्लाइड के लिहाज से सबसे सेंसिटिव एरिया पर रिसर्च रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा सेंसिटिव और खतरे वाला एरिया रामबन ही है।

1990 से 2020 तक की स्टडी में पता चला है कि लैंडस्लाइड से जम्मू-कश्मीर में करीब 1 हजार मौतें हुई हैं। 267 लोग घायल हुए हैं। रिपोर्ट में लिखा है कि जम्मू-कश्मीर के 20 जिलों में से 16 में लैंडस्लाइड का खतरा है। सड़कें चौड़ी करने और टनल बनाने की वजह से पहाड़ों के ढलान कमजोर हो गए हैं।

रामबन सबसे ज्यादा खतरे वाली कैटेगरी में है। रामबन और उसके आसपास के एरिया में काफी कंस्ट्रक्शन हुआ है। बिल्डिंग और 4 लेन हाईवे बने हैं। रेलवे टनल बनी है। इसलिए यहां मलबा गिरने और चट्टानों के खिसकने का सबसे ज्यादा खतरा है।

रामबन में 10 किमी एरिया में सबसे ज्यादा खतरा रियाज अहमद मीर बताते हैं, ‘जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के लिए 2020 में हमने इस एरिया का सर्वे किया था। स्टडी में पता चला कि मारुब से रामबन तक का एरिया लैंडस्लाइड के खतरे के लिहाज से सबसे ज्यादा संवेदनशील है।’

स्टडी में पहले ही बताया था कि ये एरिया करीब 10 किमी का है। ये एरिया पहाड़ों के फ्रैक्चर जोन में आता है। यहां के पहाड़ काफी कमजोर हैं। इसलिए ज्यादा बारिश होने से टूटकर नीचे आ गए।

‘यहां बादल फटने के बारे में पहले से अनुमान लगाना मुश्किल हैं। हालांकि मौसम विभाग ने पूरे एरिया में तेज बारिश की चेतावनी दी थी, लेकिन इतनी बारिश का अंदाजा नहीं था।’

CM उमर अब्दुल्ला ने कहा- नेशनल हाईवे के काम में गड़बड़ी रामबन एरिया के सेरी बागना में 3 लोगों की मौत हुई है। 100 से ज्यादा लोगों को बचाया गया। CM उमर अब्दुल्ला ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया है। उन्होंने कहा कि ‘लोगों ने शिकायत की है कि नेशनल हाईवे के ठेकेदारों ने कलवट (पुलिया) बनाने में गड़बडी की है। इसी से नुकसान ज्यादा हुआ है। अधिकारियों को देखना होगा कि उनके गलत काम का खामियाजा लोगों को न भुगतना पड़े। सुविधा के लिए बनी ये सड़क अब नुकसान पहुंचा रही है।’

जम्मू-कश्मीर के CM उमर अब्दुल्ला लैंडस्लाइड से प्रभावित एरिया में पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि वे नितिन गडकरी से हाईवे का काम देखने की गुजारिश करेंगे।

वहीं पूर्व CM महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ये प्राकृतिक आपदा नहीं है। अंधाधुंध तरीके से जंगलों की कटाई और पहाड़ तोड़ने की वजह से ऐसा हुआ है।

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