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लापता युवती काे डॉक्टर ने मारा, कुत्ते के साथ दफनाया: क्लिनिक के पास दफना ऊपर से नमक डाला, घर वालों को करता था फर्जी मैसेज – Madhya Pradesh News


मध्य प्रदेश क्राइम फाइल्स के पार्ट 1 में आपने पढ़ा कि कैसे 24 साल की युवती अचानक लापता हो गई। घर वाले उसे ढूंढते रहे, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। जहां वो काम करती थी उस क्लिनिक के डॉक्टर से भी परिजनों ने पूछा मगर उन्होंने कोई जानकारी नहीं होने की बात क

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अब पढ़िए आगे की कहानी…।

आखिरी बार डॉक्टर से हुई थी युवती की बात

लापता युवती भानू की कॉल डिटेल में पता चलता है कि उसकी आखिरी बार बात डॉ. आशुतोष त्रिपाठी से हुई थी। पुलिस अब डॉक्टर के पास पहुंचती है और कॉल डिटेल का खुलासा करती है। डॉक्टर पुलिस को बताता है कि उसे भानू के बारे में कुछ नहीं पता। उसके यहां से काम छोड़ने के बाद वो दूसरी जगह नौकरी करने गई थी। बाद में भानू से उसकी बातचीत नहीं हुई।

पुलिसकर्मी वापस लौट जाते हैं। एक दिन बाद पुलिस स्टेशन से डॉक्टर आशुतोष को फोन आता है और कहा जाता है कि आपको पुलिस स्टेशन आना पड़ेगा।

अपराधियों पर पुलिस की सख्ती देखने पर डॉक्टर घबराने लगता है और थोड़ा असहज महसूस करता है। जानबूझकर पुलिस अधिकारी डॉक्टर को डराने के लिए एक-एक कर अपराधियों का नंबर लगाते हैं और सख्ती दिखाते हैं।

आखिर में कहते हैं कि अगला नंबर डॉक्टर आपका है। ये सुनकर डॉक्टर डर जाता है और सब कुछ बताने के लिए तैयार हो जाता है।

डॉक्टर ने किया खुलासा, क्लिनिक के पास ही दफनाया

डॉक्टर आशुतोष पुलिस अधिकारियों को बताता है कि युवती भानू लापता नहीं हुई है। सच ये है कि उसने भानू की हत्या कर दी है। ये सुनकर पुलिस अफसर चौंक जाते हैं।

डॉक्टर ये भी खुलासा करता है कि उसने युवती की बॉडी के ऊपर कुत्ते को भी दफनाया है।

पुलिस को लगता है कि पहले तो ये कुछ नहीं बता रहा था। अब अचानक इस तरह से लापता युवती की हत्या की बात कर रहा है। बिना थर्ड डिग्री दिए डॉक्टर ने सच कैसे बोल दिया। पुलिस अधिकारियों को लगा कि वो अब भी झूठ बोल रहा है। कभी कहता है कि बॉडी दफना दी है। कभी कहता है कि बॉडी के ऊपर कुत्ता भी दफनाया है।

खुदाई करने पर मिलता है भानू का कंकाल

सच्चाई जानने के लिए पुलिस की टीम क्लिनिक के पास डॉक्टर की बताई जगह पर पहुंचती है और खुदाई शुरू करवाती है। पुलिस के साथ-साथ प्रशासन की टीम भी वहां पहुंच जाती है। भानू के घर वाले भी मौके पर जा पहुंचते हैं।

शव पूरी तरह से सड़ चुका था। गर्दन पर दुपट्‌टा लिपटा हुआ था। दोनों आंखें सिकुड़ चुकी थीं। चेहरा पहचान में नहीं आ रहा था।

भानू को लापता हुए करीब डेढ़ महीने हो गए थे, इसलिए ये पहचान कर पाना मुश्किल होता है कि कंकाल किसका है। पुलिस फोरेंसिक जांच के लिए कंकाल को फोरेंसिक डिपार्टमेंट मेडिकल कॉलेज रीवा भेज देती है। रिपोर्ट में पुष्टि होती है कि ये कंकाल भानू का ही है।

अब मामले की तस्वीर पूरी तरह से साफ हो चुकी थी कि डॉक्टर ने ही भानू की हत्या की है, लेकिन अब भी इन सवालों के जवाब पुलिस को नहीं मिले थे कि डॉक्टर ने भानू को क्यों मारा, कब मारा और कैसे मारा है।

भानू की शादी तय होने के कारण हुआ झगड़ा

पुलिस की पूछताछ में उस दिन क्या हुआ था डॉक्टर आशुतोष सब कुछ बताता है। क्लिनिक पर नौकरी करने के दौरान भानू से उसकी अच्छी दोस्ती हो गई। बाद में दोनों करीब आ गए। भानू के घर वाले दूसरी जगह उसकी शादी की तैयारी में लगे थे। डॉक्टर के घर वालों ने भी उसकी शादी के लिए रिश्ते ढूंढने शुरू कर दिए थे। इस बीच भानू उस पर शादी के लिए दबाव बना रही थी।

इस बीच भानू का दुपट्‌टा उसके हाथ में आ जाता है। वो भानू का दुपट्‌टा खींचता है। भानू आगे जाने की कोशिश करती है। इसी में भानू सिर के बल गिर जाती है और बेहोश हो जाती है।

डॉक्टर आशुतोष को पहले तो लगता है कि शायद वो मर गई है, लेकिन जब उसकी सांसें चलती महसूस करता है तो वो उसे मौत की नींद सुलाने के लिए गला दबाने पास जाता है। फिर उसे लगता है कि इससे उसके फिंगर प्रिंट गले पर आ जाएंगे। तब वो गले में लिपटे दुपट्‌टे से ही भानू का गला घोंट देता है।

क्लिनिक में बोरे में लाश थी, डॉक्टर ने मरीज देखे

इसके बाद डॉक्टर क्लिनिक में एक बोरा लेकर आता है और भानू की लाश को बोरे में रख पेशेंट को देखने वाली टेबल के पास रख देता है। इसके बाद क्लीनिक बंद कर चला जाता है।

अगले दिन सुबह क्लिनिक पहुंचता है। रोजाना की तरह पेशेंट भी डॉक्टर को दिखाने के लिए क्लिनिक पर पहुंचते हैं। डॉक्टर इस तरह से बर्ताव करता है कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है।

नमक खरीदने बाजार गया तो रास्ते में मिला मरा कुत्ता

डॉक्टर ने देखा कि उसकी क्लिनिक के बाहर रैन बसेरा है। रैन बसेरा और क्लिनिक के बीच में कुछ जगह खाली रहती है। डॉक्टर खुदाई के लिए कुछ लोगों को बुलाता है। मजदूरों से खुदाई करवाता है। लोग पूछते हैं तो डॉक्टर बताता है कि सीवरेज का पानी जाने में परेशानी होती है, इसलिए गड्‌ढा खोदना पड़ रहा है। लोग बात मान जाते हैं। किसी को शक भी नहीं होता है। मजदूर दिनभर खुदाई के बाद शाम को चले जाते हैं।

रात को डॉक्टर ने पहले भानू की लाश को गड्‌ढे में रखा। लाश को गलाने के लिए डॉक्टर बाजार से बड़ी मात्रा में नमक खरीदकर लाया, ताकि लाश जमीन के नीचे पड़े-पड़े तेजी से गल जाए।

अगर कोई खुदाई भी करेगा तो मरा हुआ कुत्ता निकलेगा और इससे नीचे कोई गड्‌ढा नहीं खोदेगा, जिससे वह बच जाएगा। डॉक्टर ने ऐसा ही किया। भानू की लाश को नमक के बाद मिट्‌टी डालकर ढंक देता है और ऊपर से कुत्ते को दफना देता है। ऊपर से दोबारा मिट्‌टी डाल मैदान को समतल कर देता है।

कोर्ट में आरोपों से साफ मुकर गया डॉक्टर

डॉक्टर ने अपना जुर्म तो कबूल कर लिया, लेकिन पुलिस के सामने चुनौती ये थी कि आखिर कोर्ट में कैसे सबूतों के साथ ये साबित किया जाए कि हत्या डॉक्टर ने ही की है। पुलिस जांच के बाद कोर्ट में चालान पेश कर देती है और केस की सुनवाई कोर्ट में शुरू हो जाती है।

सुनवाई के दौरान डॉक्टर आशुतोष अपने ऊपर लगे आरोपों से साफ इनकार कर देता है और कहता है कि उसने भानू की हत्या नहीं की है। पुलिस उसे झूठे केस में फंसा रही है।

पुलिस ने डॉक्टर के बताए ठिकाने से लाश बरामद कर लिया, लेकिन कोर्ट में वो मुकर गया।

जांच अधिकारी दांत साफ करवाने आए, पैसे मांगे तो नाराज हुए

इतना ही नहीं डॉक्टर आशुतोष त्रिपाठी ने कोर्ट में कहा कि उसने पुलिस को कोई सूचना नहीं दी। उससे कोई मोबाइल जब्त नहीं हुआ है। पुलिस ने डरा धमकाकर कई कोरे कागजों पर साइन करा लिए थे। कोतवाली थाने के एसआई अजय शुक्ला उसके क्लिनिक में जनवरी 2021 में आए थे। उनके दांत में दर्द और मसूढ़ों में सूजन थी। उन्होंने अपना इलाज करवाया और बिना पैसे दिए चले गए।

दूसरी बार अजय शुक्ला फरवरी 2021 में क्लिनिक पर आए। अपने दांत साफ कराए और बिना पैसे दिए चले गए। इसके बाद थाने से फोन लगाकर कोतवाली थाने बुलाया। उससे कुछ सवाल पूछे जिनका उसने जवाब दिया।

उसे यह भी बताया कि भानू आखिरी बार उसके क्लिनिक आई थी। फिर 2 फरवरी 2020 को उसके क्लिनिक आए और कहा कि दो दांत निकल गए हैं। उन्हें लगाने के लिए नाप लेने को कहा। उस दिन नाप नहीं ले पाया। फिर 5 फरवरी 2020 को अजय शुक्ला क्लिनिक आए। तब उनके दांतों का नाप लिया। ये भी बताया कि जब शुक्ला से कहा कि दांत बनवाने के लिए 6 हजार रुपए जमा करवा दीजिए तो वे नाराज होकर चले गए।

डॉक्टर के आरोप बेबुनियाद साबित हुए। पुलिस ने पर्याप्त प्रमाण कोर्ट के सामने रखे।

कोर्ट ने सुनाई ये सजा

जांच अधिकारी अजय शुक्ला ने कोर्ट में बताया कि डॉक्टर के फोन और भानू के परिजनों से जो फोन वो लेकर गया था दोनों की लोकेशन एक ही जगह मिली। आरोपी डॉक्टर के घर से दो मोबाइल और रेलवे ट्रेक के पास से एक मोबाइल बरामद किया।

भानू का टच स्क्रीन वाला फोन आरोपी डॉक्टर ने रेलवे कॉलोनी के पास रेलवे लाइन के नीचे एक पत्थर में छिपाकर रखा था। कोर्ट ने सभी सबूत और गवाहों के मद्देनजर आरोपी डॉ. आशुतोष त्रिपाठी को 16 मार्च 2023 को उम्रकैद की सजा सुनाई।



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