लोयाबाद, 20 मई 2025:लोयाबाद में आयोजित सात दिवसीय श्री संकटमोचन प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतिम दिन सोमवार को अयोध्या से पधारे प्रसिद्ध कथा वाचक स्वामी प्रद्युम्न प्रियाचार्य प्रभाकर जी महाराज ने भक्तों को रासलीला के गूढ़ आध्यात्मिक अर्थों से अवगत कराया। उन्होंने कहा, “रासलीला काम की नहीं, काम-विजय की लीला है। यह सांसारिक नहीं, आत्मिक प्रेम और आत्मसमर्पण की पराकाष्ठा है।”
उन्होंने समझाया कि श्रीकृष्ण ने गोपियों की सांसारिक आसक्तियों को भस्म कर शुद्ध भक्ति को अपनाया। उन्होंने उपदेश दिया कि “हर स्त्री को अपने पति में ही परमेश्वर का रूप देखना चाहिए।” कथा के दौरान जरासंध वध, रुक्मिणी विवाह और सुदामा चरित्र के प्रसंगों ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।सुदामा चरित्र के दौरान गरीबी, श्रद्धा और सच्चे सखा-भाव की कथा ने श्रोताओं की आंखें नम कर दीं। स्वामी जी ने अंत में कहा, “भक्ति ही मुक्ति का मार्ग है, जीवन में कुछ भी शेष हो तो वह भजन और भगवान का स्मरण होना चाहिए।”
कार्यक्रम को सफल बनाने में राणा प्रताप चौहान, कृपाशंकर सिंह, बिनोद पासवान, मनोज मुखिया, शंकर केशरी, सुनील पांडेय, राजा शर्मा, मुकेश झा, राजा राय, समेत दर्जनों सदस्यों की सक्रिय भूमिका रही।समापन दिवस पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी और कथा स्थल भक्ति एवं भावनाओं से सराबोर हो गया।
