वैशाख अमावस्या का पर्व वैशाख माह के कृष्ण पक्ष में आता है. वैशाख अमावस्या के अवसर पर लोग स्नान और दान करते हैं. ऐसा करने से पास मिटता है और पुण्य की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या को पितर धरती पर आते हैं, इसकी वजह से उनको खुश करने के लिए या उनकी तृप्ति के लिए तर्पण, दान, श्राद्ध आदि करते हैं. इस काम को करने से पितृ दोष दूर होता है. इस बार वैशाख अमावस्या के दिन सुबह से ही सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि वैशाख अमावस्या कब है? वैशाख अमावस्या के स्नान, दान का मुहूर्त और तर्पण का समय क्या है?
वैशाख अमावस्या 2025 किस दिन है?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस बार वैशाख अमावस्या की तिथि 27 अप्रैल दिन रविवार को प्रात: 4 बजकर 49 मिनट पर प्रारंभ होगी. यह तिथि अगले दिन 28 अप्रैल सोमवार को 01:00 ए एम तक मान्य रहेगी. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल रविवार को है. उस दिन ही स्नान और दान किया जाएगा.
वैशाख अमावस्या 2025 मुहूर्त
वैशाख अमावस्या के दिन स्नान और दान के लिए ब्रह्म मुहूर्त सबसे उत्तम माना जाता है, लेकिन जो लोग इस समय में स्नान और दान न कर पाएं, वे सूर्योदय के बाद भी कर सकते हैं. वैशाख अमावस्या को ब्रह्म मुहूर्त 04:17 ए एम से 05:00 ए एम तक है. उस दिन का अभिजीत मुहूर्त 11:53 ए एम से दोपहर 12:45 पी एम तक है.
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सर्वार्थ सिद्धि योग में है वैशाख अमावस्या 2025
इस साल की वैशाख अमावस्या सर्वार्थ सिद्धि योग में है. उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात:काल 05 बजकर 44 मिनट से बन रहा है, जो देर रात 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. सर्वार्थ सिद्धि योग अत्यंत शुभ योग होता है. इसमें किए गए कार्य शुभ फल देते हैं और सफल होते हैं.
वैशाख अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग के अलावा सिद्धि योग भी बनेगा. सिद्धि योग सुबह से लेकर देर रात 12 बजकर 19 मिनट तक है. उसके बाद से आयुष्मान योग बनेगा. वैशाख अमावस्या अश्विनी नक्षत्र सुबह से लेकर देर रात 12 बजकर 38 मिनट तक है, उसके बाद से भरणी नक्षत्र है.
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वैशाख अमावस्या पर तर्पण और श्राद्ध का समय
जो लोग वैशाख अमावस्या पर अपने पितरों के लिए तर्पण करना चाहते हैं, वे लोग सुबह में स्नान करने के बाद जल, सफेद फूल और काले तिल से तर्पण दें. तपर्ण देने के लिए कुश के पोरों की मदद लें. इससे दिया गया तर्पण पितरों को प्राप्त होता है. वे तृप्त होकर खुश होते हैं और संतान को उन्नति का आशीर्वाद देते हैं.
वैशाख अमावस्या पर जो पितरों के लिए श्राद्ध या पिंडदान करना चाहते हैं, वे लोग सुबह में 11:30 बजे से लेकर दोपहर 02:30 बजे के बीच कर सकते हैं.