भोपाल की शाहपुरा झील के पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए सागर पब्लिक स्कूल के छात्रों ने एक अभिनव पहल की है। साकेत नगर स्थित स्कूल के छात्र पुण्य वर्धन पाटीदार और अरविका सिंह ने फ्लोटिंग आइलैंड तकनीक का उपयोग कर झील के पुनर्स्थापना का बीड़ा उठाया ह
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इस प्रोजेक्ट में पौधों और उपयोगी सूक्ष्म जीवों के तैरते द्वीप बनाए गए हैं। यह पायलट प्रोजेक्ट पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (EPCO) के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में संचालित किया जा रहा है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य झील में घुले ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाना और जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD) को कम करना है, जिससे जल की गुणवत्ता सुधरे और जलीय जीवों के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार हो सके।
कैसे काम करेगा फ्लोटिंग आइलैंड?
छात्रों ने अपने शोध में पाया कि शाहपुरा झील में सीवेज और अन्य अपशिष्ट जल के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे झील की पारिस्थितिकी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इस समस्या का समाधान करने के लिए उन्होंने ऐसे तैरते द्वीप (फ्लोटिंग आइलैंड) विकसित किए हैं, जिनमें विशेष प्रकार के पौधे और सूक्ष्मजीव मौजूद हैं।
इस तकनीक में विशेष रूप से कन्ना पौधे और स्फाग्नम मॉस का उपयोग किया गया है। कन्ना पौधा पानी से हानिकारक तत्वों को अवशोषित करने में सहायक होता है, जबकि स्फाग्नम मॉस सूक्ष्मजीवों के विकास में सहायता करता है, जो जैविक कचरे का अपघटन कर जल शुद्धि में मदद करते हैं।
पायलट परीक्षण में मिले सकारात्मक परिणाम
छात्रों ने इस तकनीक का पायलट परीक्षण कर इसका प्रभाव आंका, जिसमें बेहद सकारात्मक परिणाम सामने आए। फ्लोटिंग आइलैंड ने झील में प्रदूषण को कम करने और जल की गुणवत्ता सुधारने में प्रभावी भूमिका निभाई। यदि इस मॉडल को बड़े पैमाने पर लागू किया जाता है, तो यह झीलों और जलाशयों की सफाई के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है।
इस परियोजना को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने में सागर पब्लिक स्कूल के मेंटर मधु सिंह, अरुणा त्रिवेदी, और EPCO के वरिष्ठ वैज्ञानिक मनोज विश्वकर्मा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। स्कूल की प्रिंसिपल पंकज शर्मा और सागर ग्रुप के चेयरमैन सुधीर कुमार अग्रवाल ने छात्रों की इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी है।