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Sheetala Ashtami 2025 Katha: इस साल शीतला अष्टमी 22 मार्च शनिवार को है. शीतला अष्टमी को पूजा करते समय शीतला अष्टमी की व्रत कथा सुनते हैं. इससे आपका व्रत पूरा होता है. शीतला अष्टमी का व्रत हर साल चैत्र माह के कृ…और पढ़ें
शीतला अष्टमी व्रत कथा.
हाइलाइट्स
- शीतला अष्टमी 22 मार्च को है.
- इस दिन माता शीतला की पूजा और व्रत कथा सुनते हैं.
- पूजा मुहूर्त: 22 मार्च, सुबह 06:23 से शाम 06:33 बजे तक.
इस साल शीतला अष्टमी 22 मार्च शनिवार को है. शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला की पूजा करते हैं और उनको बासी पकवानों के भोग लगाते हैं. इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाते हैं. शीतला अष्टमी को पूजा करते समय शीतला अष्टमी की व्रत कथा सुनते हैं. इससे आपका व्रत पूरा होता है और व्रत का पूर्ण फल मिलता है. साथ ही व्रत का महत्व भी पता चलता है. शीतला अष्टमी का व्रत हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणी भट्ट से जानते हैं शीतला अष्टमी की व्रत कथा और मुहूर्त के बारे में.
शीतला अष्टमी व्रत कथा
शीतला अष्टमी की कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण परिवार रहता था. ब्राह्मण दंपत्ति के दो बेटे थे, उनकी शादी हुई और दो बहुएं आ गईं. विवाह के काफी समय बाद उन दोनों ने बेटे को जन्म दिया. उस वर्ष शीतला अष्टमी का पर्व आया तो इसमें बासी भोजन ग्रहण करते हैं और चूल्हा जलाना वर्जित होता है. उन दोनों बहुओं ने सोचा कि शीतला अष्टमी के दिन बासी भोजन करने से वे और उनके बच्चे बीमार न हो जाएं. तब उन दोनों ने चुपके से खाने के लिए दो बाटियां बना ली और पशुओं के बर्तन में छिपा दी.
फिर वे दोनों अपनी सास के मंदिर गईं और शीतला अष्टमी की पूजा की, शीतला माता की कथा सुनी और घर वापस आ गईं. सास शीतला माता का भजन करने लगी, तो दोनों बहुएं बच्चों के रोने का बहाना करके पशुओं के पास पहुंची. वहां उनके बर्तन से बाटी निकालकर खा लिया. उधर सास ने भजन के बाद दोनों बहुओं को भोजन के लिए बुलाया. तब दोनों ने ठंडा भोजन किया और काम करने लगीं. कुछ समय बीतने के बाद सास ने दोनों से कहा कि बच्चे काफी समय से सो रहे हैं, उनको खाना खिलाकर फिर सुला दो.
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दोनों बहुएं बच्चों को उठाने गई, तो देखा कि दोनों के शरीर ठंडे पड़े हैं. ऐसा शीतला माता के क्रोध के कारण हुआ. दोनों बहुएं काफी डर गईं और अपनी सास को सारी बातें बता दी. इस पर सास ने कहा कि तुम दोनों ने शीतला माता के व्रत के नियमों को तोड़ा है. शीतला माता की अवहेलना की है. सास ने गुस्से में दोनों को घर से निकाल दिया और कहा कि दोनों बच्चों को पहले की तरह स्वस्थ्य लेकर ही आना.
दोनों बहुएं वहां से चली गईं. दोनों एक खेजड़ी के पेड़ के नीचे पहुंची. जहां पर दो बहनें शीतला और ओरी बैठी थीं. दोनों के बालों में जुएं थीं. दोनों बहुएं वहां पर बैठ गईं और उनके बालों से जुएं निकाली. इससे शीतला और ओरी को राहत मिली. उन दोनों ने कहा कि जैसे तुमने जुएं निकालकर राहत दी है, वैसे ही तुम्हें पेट की शांति मिले.
इस पर दोनों बहुओं ने कहा कि पेट का दिया ही लेकर भटक रही हैं, लेकिन अब तक शीतला माता के दर्शन नहीं हुए. इस शीतला माता ने कहा कि तुम दोनों ने शीतला अष्टमी के दिन गरम भोजन करके पाप किया है. यह सुनते ही उन दोनों ने शीतला माता को पहचान लिया. उनको प्रणाम करके अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी और कहा कि फिर आगे से ऐसी गलती नहीं करेंगे. उनके वचन देने पर शीतला माता प्रसन्न हुंई और उनकी कृपा से दोनों के बेटे जीवित हो गए.
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दोनों बहुएं खुश हो गई और अपने बच्चों के साथ गांव वापस आ गईं. उन दोनों ने अपनी सास से पूरी घटना बताई और शीतला माता के दर्शन देने की बात कही, तो पूरे गांव में उनका स्वागत किया गया. गांव के लोगों ने कहा कि वे गांव में शीतला माता मंदिर का निर्माण कराएंगे, ताकि पूरे गांव पर उनकी कृपा हो.
शीतला अष्टमी 2025 मुहूर्त
चैत्र कृष्ण अष्टमी तिथि का प्रारंभ: 22 मार्च, प्रात: 4 बजकर 23 मिनट से
चैत्र कृष्ण अष्टमी तिथि का समापन: 23 मार्च, सुबह 5 बजकर 23 मिनट तक
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त: 22 मार्च, सुबह 06:23 बजे से शाम 06:33 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर में 12 बजकर 04 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक