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शुभांशु शुक्ला मई में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाएंगे: ऐसा करने वाले पहले भारतीय होंगे, 14 दिन रहेंगे; 40 साल पहले राकेश शर्मा अंतरिक्ष गए थे


नई दिल्ली1 मिनट पहले

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शुभांशु शुक्ला एक्सिओम 4 मिशन के तहत स्पेस स्टेशन जाएंगे। चालक दल में भारत, पोलैंड और हंगरी के मेंबर शामिल होंगे।

इंडियन एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला एक्सिओम मिशन 4 के तहत मई में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाएंगे। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को सोशल मीडिया X पर इसकी जानकारी दी।

जितेंद्र सिंह ने लिखा- भारत अपनी अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखने के लिए तैयार है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाने वाले पहले और अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे भारतीय बनेंगे। इससे पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी।

इस मिशन में चार देशों के चार एस्ट्रोनॉट 14 दिन के लिए स्पेस स्टेशन जाने वाले हैं। नासा और इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए चुना गया है।

शुभांशु के साथ तीन और एस्ट्रोनॉट जाएंगे एक्सिओम 4 मिशन के चालक दल में भारत, पोलैंड और हंगरी के मेंबर शामिल हैं। स्लावोज़ उज़्नान्स्की 1978 के बाद स्पेस में जाने वाले पोलैंड के दूसरे एस्ट्रोनॉट होंगे। टिबोर कापू 1980 के बाद स्पेस में जाने वाले हंगरी के दूसरे एस्ट्रोनॉट होंगे। अमेरिकी की पैगी व्हिटसन का यह दूसरा कॉमर्शियल ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मिशन है।

शुभांशु शुक्ला: NDA क्लियर करके IAF पायलट बने

शुभांशु शुक्ला मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले हैं। इनकी की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई अलीगंज, लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से पूरी हुई। 12वीं के बाद उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) का एंट्रेंस एग्जाम क्लियर किया और यहीं से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।

NDA भारत में सशस्त्र बलों (थल सेना, नौसेना और वायुसेना) के लिए ऑफिसर कैडेट्स को प्रशिक्षण देने वाली एक प्रमुख संस्था है। ये ट्रेनिंग के साथ-साथ एकेडमिक डिग्री भी देती है, जो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), नई दिल्ली से एफिलिएटेड होती है।

2,000 घंटे से अधिक का फ्लाइंग एक्सपीरियंस

शुभांशु को 17 जून, 2006 को भारतीय वायुसेना के फाइटर विंग में शामिल किया गया। वे एक अनुभवी फाइटर और टेस्ट पायलट हैं। उनके पास 2,000 घंटे से अधिक का फ्लाइंग एक्सपीरियंस है। उन्होंने सुखोई-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और An-32 जैसे लड़ाकू विमानों को उड़ाया है।

मार्च 2024 में शुभांशु को ग्रुप कैप्टन के पोस्ट पर प्रमोट किया गया। वे एक फाइटर कॉम्बैट लीडर भी हैं।

अब जानिए मिशन के बारे में…

ड्रैगन कैप्सूल में चारों एस्ट्रोनॉट उड़ान भरेंगे

इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में ये एस्ट्रोनॉट उड़ान भरेंगे। इस मिशन को फाल्कन-9 रॉकेट से फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। लॉन्च की तारीख फाइनल अप्रूवल और मिशन की तैयारियों के अनुसार घोषित होगी।

मिशन का उद्देश्य

Ax-4 का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन करना है। यह मिशन प्राइवेट स्पेस ट्रैवल को प्रोत्साहित करने और भविष्य में एक कॉमर्शियल स्पेस स्टेशन (Axiom Station) स्थापित करने की दिशा में एक्सिओम स्पेस की योजना का हिस्सा है।

  • वैज्ञानिक प्रयोग: माइक्रोग्रैविटी में विभिन्न प्रयोग करना।
  • टेक्नोलॉजी टेस्टिंग: अंतरिक्ष में नई तकनीकों का परीक्षण और विकास।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: विभिन्न देशों के अंतरिक्ष यात्रियों को एक मंच प्रदान करना।
  • एजुकेशनल एक्टिविटीज: अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लोगों को प्रेरित करना और जागरूकता फैलाना।

प्राइवेट स्पेस मिशन है एक्सिओम 4

एक्सिओम मिशन 4 एक प्राइवेट स्पेस फ्लाइट मिशन है। अमेरिका की प्राइवेट स्पेस कंपनी एक्सिओम स्पेस और नासा के कोलेबोरेशन में यह मिशन हो रहा है।

एक्सिओम स्पेस का यह चौथा मिशन है। 17-दिवसीय मिशन एक्सिओम 1 अप्रैल 2022 में लॉन्च हुआ था। एक्सिओम का दूसरा मिशन 2 मई 2023 में लॉन्च हुआ था।

इस मिशन में चार एस्ट्रोनॉट्स ने आठ दिन स्पेस में बिताए थे। वहीं तीसरा मिशन 3 जनवरी 2024 में लॉन्च किया गया, जिसमें चालक दल ने स्पेस स्टेशन पर 18 दिन बिताए।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन क्या है?

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी के चारों ओर घूमने वाला एक बड़ा अंतरिक्ष यान है। इसमें एस्ट्रोनॉट रहते हैं और माइक्रो ग्रैविटी में एक्सपेरिमेंट करते हैं। यह 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रैवल करता है। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर लेता है। 5 स्पेस एजेंसीज ने मिलकर इसे बनाया है। स्टेशन का पहला पीस नवंबर 1998 में लॉन्च किया गया था।

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