छोटे बच्चे समझते हैं कि यदि पापा नहीं डांट रहे हैं तो सब कुछ ठीक है और यदि वो डांट रहे हैं तो सब गलत है। बच्चा पिता का एक तरफा भक्त होता है। यही वो वक्त होता है जब पिता क्रोध कर करके बच्चे को विद्रोही बना देता है। क्रोध से बच्चे अनुशासित रहते हैं, लो
.
मुनिश्री कहते हैं कि मैंने कई महापुरुषों को देखा है, जब वो अपने चरम पर रहते हैं क्रोध आता है तो वो शालीन होते चले जाते हैं, उनकी जिंदगी बिल्कुल अलग रहती है। वो समझते हैं कि ये हमारे धैर्य की परीक्षा हो रही है। यदि घर में भय का वातावरण होगा तो बच्चा सब कार्य तो कर देगा किंतु वह कभी आपका नहीं हो पाएगा।
उन्होंने कहा जैन दर्शन में अच्छी व्यवस्था है लोगों को सही करने में साधु लगे रहते हैं सर्वज्ञ ने कहा और आचार्यों ने ग्रंथों को लिख दिया। पूरा जैन शासन तत्वार्थ सूत्र की कीमत जानता है। हमें उन सूत्रों का पालन करना होता है। दुनिया का कोई भी पाप गृहस्थ करें किंतु बच्चों को उसमें शामिल न करें। क्रोध लोभ या हंसी में भी कोई गलत बात बच्चों को ना सिखाएं।
दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया कि आज सर्वतो भद्र जिनालय के शिखर पुंज बनने का सौभाग्य सिंपल जैन को प्राप्त हुआ। अनिल सुनीता सेठी ने एक बड़ी रकम दान में दी। इस अवसर पर संगम नगर जैन समाज के राकेश सेठी, पारस जैन, जयदीप जैन,अमित जैन, कमलेश सिंघई, सचिन भाईजी, डॉ. प्रदीप बांझल सहित बहुत अधिक संख्या में समाज जनों ने मुनि संघ को श्रीफल समर्पित किए।दोपहर 4 बजे मुनि संघ का विहार दलाल बाग के लिए हो गया। जहां रविवार, 29 सितंबर को दोपहर 1.30 बजे से अखिल भारतीय सर्व धर्म सम्मेलन होने जा रहा है। विषय है अहिंसा, शाकाहार, क्षमा- विश्व शांति का आधार। धर्म सभा का संचालन सतीश जैन ने किया एवं आभार अजय जैन ने माना।