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समाज में अलग पहचान बनाते हैं गुरु-केतु युति के जातक ! कैसे पहचानें युति शुभ फल दे रही है या अशुभ


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Guru Ketu Yuti: केतु और बृहस्पति की युति अत्यंत प्रभावशाली होती है. यह व्यक्ति को न केवल आध्यात्मिक ऊँचाइयों तक पहुंचाती है, बल्कि भौतिक और व्यावसायिक स्तर पर भी सफलता दिलाती है. यदि इस संयोजन का सही उपयोग किया…और पढ़ें

गुरु-केतु युति के जातकों के बारे में जानिए

हाइलाइट्स

  • गुरु-केतु युति आध्यात्मिक और भौतिक उन्नति देती है.
  • जल तत्व राशि में यह युति छठी इंद्रिय को प्रबल बनाती है.
  • धर्म, दान और सेवा में लगे रहने से युति शुभ फल देती है.

Guru Ketu Yuti:आज हम बात करने जा रहे हैं गुरु और केतु की युति के बारे में. यह एक अत्यंत चमत्कारिक युति मानी जाती है. नौ ग्रह में से दो ग्रह सबसे अधिक आध्यात्मिक माने जाते हैं गुरु और केतु. गुरु धन, संतान, विवाह (स्त्री की कुंडली में) और मोक्ष का कारक है. केतु वैराग्य, आध्यात्मिकता और जीवन की सच्चाई का प्रतीक है. केतु के पास सिर नहीं होता, केवल धड़ होता है. जब उसमें गुरु का सार लगता है, तो व्यक्ति धर्म और सच्चाई के मार्ग पर आगे बढ़ता है. इस युति का क्या विशेष महत्व है, इसका व्यक्ति के जीवन पर क्या असर होता है. इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं भोपाल स्थित ज्योतिषाचार्य रवि पाराशर.

अगर यह युति कुंडली में किसी अच्छे भाव में हो, तो व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों रूपों में उन्नति मिलती है. ऐसे व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं और समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाते हैं.

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राशि के अनुसार प्रभाव
अगर यह जल तत्व राशि (कर्क, वृश्चिक, मीन)- में हो, तो ऐसे जातकों की छठी इंद्रिय (सिक्स्थ सेंस) अत्यंत प्रबल होती है. वे भविष्य का पूर्वाभास कर सकते हैं और दूसरों के मन की बात समझने में सक्षम होते हैं.

मिथुन/कन्या राशि (बुद्ध की राशि)- ऐसे लोग चार्टर्ड अकाउंटेंट, डेटा एनालिस्ट, वकील, जज आदि के रूप में सफल होते हैं.

तुला राशि (शुक्र की राशि)- सरकारी सेवाओं और राजनीति में सफलता दिलाती है.

धनु राशि (गुरु की राशि) – यह स्थिति अत्यधिक शुभ मानी जाती है. ऐसे लोग अध्यात्म, धार्मिक कार्यों और समाज सेवा में अग्रणी होते हैं.

शनि की राशि (मकर/कुंभ) – ऐसे लोग सामाजिक सेवा, गैर-लाभकारी संगठनों, प्रशासनिक कार्यों में सफलता प्राप्त करते हैं.

गुरु-केतु युति वाले जातकों के विशेष गुण
ये लोग उत्तम मार्गदर्शक, अच्छे शिक्षक और ज्योतिषी हो सकते हैं. जीवन की हर समस्या का समाधान निकालने में सक्षम होते हैं. यह युति बुद्धि और अंतर्ज्ञान को तीव्र बनाती है. अगर यह 12वें भाव में हो, तो व्यक्ति मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होता है. यह व्यक्ति को दैवीय ज्ञान, अंतर्ज्ञान और रहस्यमयी शक्तियों से जोड़ता है. ऐसे लोग सतही ज्ञान से संतुष्ट नहीं होते, बल्कि गहराई में जाकर सत्य की खोज करते हैं.

महिलाओं की कुंडली में गुरु-केतु युति
यह दर्शाता है कि उनके पति के साथ कोई पूर्व जन्म का कनेक्शन (कार्मिक रिश्ता) होता है. ऐसी महिलाएं परफेक्ट पति की खोज में रहती हैं, जिससे विवाह में विलंब हो सकता है. संतान के जन्म के बाद उनके जीवन में बड़े बदलाव आते हैं.

कैसे पहचानें युति शुभ फल दे रही है या अशुभ?
अगर आप धर्म, दान और माता-पिता की सेवा में लगे हैं, तो गुरु-केतु सकारात्मक फल दे रहे हैं.
अगर आपको वैराग्य की भावना आ रही है और आप जीवन से असंतुष्ट महसूस कर रहे हैं, तो यह नकारात्मक प्रभाव का संकेत है.

इस युति का सर्वोत्तम उपयोग कैसे करें?

गहरे अध्ययन और शोध में रुचि रखें.

आत्मज्ञान और ध्यान का अभ्यास करें.

किसी भी विषय में आधे-अधूरे ज्ञान के आधार पर निर्णय न लें.

सत्य को खोजने का प्रयास करें और धर्म के मार्ग पर चलें.

इच्छाओं की पूर्ति के लिए उन्हें स्पष्ट रूप से निर्धारित करें.

गुरु-केतु की युति का सबसे सरल उपाय

  • माफ करें और भूल जाएं.
  • कर्म करते रहें, बदले की अपेक्षा न रखें.
  • माता-पिता, गुरु और बड़े-बुजुर्गों की सेवा करें.
  • धर्म के मार्ग पर चलें और सत्कर्म करें.

गुरु-केतु के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के उपाय
पीला नींबू उपाय

मंदिर में 16, 24 या 48 दिन तक दो पीले नींबू चढ़ाने से बृहस्पति-केतु दोष शांत होता है.

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गुरु-केतु युति विभिन्न स्थानों पर

पहले स्थान पर: व्यक्ति बहुत आध्यात्मिक होगा और सत्य की खोज करेगा.

दूसरे स्थान पर: वित्तीय मामलों में गहराई से सोचने की प्रवृत्ति होगी.

चौथे स्थान पर: प्रॉपर्टी, भूमि, और घर से जुड़े मामलों में विशेष रुचि.

पांचवें स्थान पर: व्यक्ति आत्मज्ञान और ब्रह्मज्ञान की ओर उन्मुख रहेगा.

सातवें स्थान पर: छुपे हुए क्लाइंट और साझेदारी में सफलता मिलेगी.

आठवें स्थान पर: व्यक्ति गूढ़ विद्याओं और रहस्यों को समझने में माहिर होगा.

नौवें स्थान पर: व्यक्ति धर्म और आध्यात्मिकता का पालन करेगा.

दसवें स्थान पर: करियर और सामाजिक प्रतिष्ठा में अत्यधिक उन्नति.

ग्यारहवें स्थान पर: इच्छाओं की पूर्ति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होगा.

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