डेवलपमेंट के काम, नए प्रोजेक्ट पर संकट के बादल: निगम की वित्तीय हालत पटरी से उतरी है। फंड की कमी के कारण आगामी महीने में निगम को डेवलपमेंट के काम, नए प्रोजेक्ट, समय से सैलरी देना आदि समस्या खड़ी हो सकती है। यह हाल तब है जब निगम लुधियाना सबसे बड़ा निगम
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पिछले कुछ सालों में 30 से अधिक कमिश्नर यहां तैनात रहे हैं और असिस्टेंट कमिश्नर, जॉइंट कमिश्नर, जोनल कमिश्नरों की फौज है। इसके बावजूद इनकम के स्रोत सिर्फ प्रॉपर्टी-कमर्शियल टैक्स, सीएलयू, विज्ञापन, तहबाजारी विंग है। इनसे एकत्र होने वाला रेवेन्यू कम है जिस कारण निगम को सरकार के जीएसटी शेयर पर निर्भर रहना पड़ता है।
हालांकि इनकम बढ़ाने के लिए स्रोत की फाइल बनकर कमिश्नर कार्यालय पहुंची थी लेकिन इन फाइलों पर धूल जमी है। कमिश्नर ब्रांचों को रिकवरी बढ़ाने की हिदायतें देते रहे हैं जिसमें टैक्स विंग ही हर साल टारगेट से अधिक वसूली करने में सफल रहता है। वहीं, अन्य ब्रांच निगम की आय बढ़ाने को लेकर संजीदा नहीं है।
भास्कर न्यूज | लुधियाना पंजाब सरकार ने नगर निगम को दोहरा झटका दिया है। एक तरफ जहां सरकार ने नगर निकायों को फंड देने से मना कर खुद इनकम जनरेट करने की हिदायत दी है, वहीं नगर निगम को अप्रैल में मिलने वाला जीएसटी शेयर तक जारी नहीं किया है। इससे डेवलपमेंट के कामों पर असर पड़ सकता है जबकि निगम कर्मचारियों की सैलरी भी समय से नहीं मिलने का अंदेशा है। पंजाब के सबसे बड़े नगर निगम लुधियाना की आर्थिक स्थिति कमजोर है।
हर महीने कमिश्नर समेत कर्मचारियों को वेतन के लिए 35 करोड़ की आवश्यकता होती है लेकिन निगम के खजाने में फंड की कमी अक्सर आड़े आती है। निगम के पास इनकम के सोर्स सीमित हैं जिस कारण कर्मचारियों को समय से वेतन नहीं मिलने की समस्या रहती है। हाल ही में सरकार ने निकायों के अधिकारियों की मीटिंग कर फंड देने में हाथ खींचे थे और निकायों को फंड जनरेट करने के लिए कहा था।
इस झटके से निगम अधिकारी उबरे नहीं थे कि अब सरकार की ओर से जारी होने वाला जीएसटी शेयर 28 अप्रैल तक जारी नहीं हो सका है। निगम के एडिशनल कमिश्नर परमदीप सिंह का कहना है कि निगम बकायेदारों को नोटिस जारी कर रहा है ताकि रिकवरी में इजाफा हो।