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सरगुजा कांग्रेसियों और किसानों ने घेरा सहकारी समिति का दफ्तर: सिंचित क्षेत्र को असिंचित घोषित करने का विरोध, मंहगे दाम पर दे रहे कम प्रभावी – Ambikapur (Surguja) News


सिंचित गांवों को अचानक “असिंचित” घोषित करने और खाद की कीमतों में बढ़ोतरी के विरोध में कांग्रेसियों ने सुखरी सहकारी समिति का घेराव किया।

सरगुजा जिले में घुनघुट्टा परियोजना से सिंचित गांवों को अचानक “असिंचित” घोषित करने और खाद की कीमतों में बढ़ोतरी के विरोध में कांग्रेसियों ने सुखरी सहकारी समिति का घेराव किया। कांग्रेस ने खाद के आपूर्ति पर कमी और खाद की कीमतों में बढ़ोतरी पर चिंता जताई

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कांग्रेस के पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता, कोषाध्यक्ष राजेश मलिक, ग्रामीण ब्लाक अध्यक्ष विनय शर्मा के नेतृत्व में सुखरी सहकारी समिति का घेराव कर प्रदर्शन किया। समिति प्रबंधक ने बताया कि जिला स्तर से मिले निर्देश के आधार पर ही क्षेत्र को असिंचित घोषित किया गया है। क्षेत्र को असिंचित घोषित करने से किसानों की कर्ज सीमा घट गई है और वे फसल बीमा सहित अन्य योजनाओं के लाभ से वंचित हो जाएंगे।

प्रशासन के निर्णय पर कांग्रेसियों व किसानों ने जताई नाराजगी

खाद की गुणवत्ता कम, कीमत बढ़ी कांग्रेस नेता राकेश गुप्ता ने बताया कि सरकार द्वारा दिए जा रहे 20:20:0 उर्वरक की कीमत प्रति बोरी 250 बढ़ा दी गई है। इसे प्रति एकड़ 70 किलो तक डालना पड़ता है। इसके अतिरिक्त पोटाश भी आवश्यक होता है, जिससे किसानों का खर्च बढ़ गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि एनपीके 12:32:16 की जगह 20:20:0 खाद का प्रयोग करने से उत्पादन पर 10 से 30 प्रतिशत तक असर पड़ सकता है।

घेराव के बाद प्रशासन हरकत में आया और तत्काल एक ट्रक खाद समिति को भेजा गया। जिला विपणन कार्यालय के प्रतिनिधियों ने अगले 24 घंटे में दो ट्रक 20:20:0 और एक ट्रक NPK 12:32:16 खाद भेजने का आश्वासन दिया है।

प्रदर्शन के दौरान शैलेन्द्र सोनी, आशीष वर्मा, नीतीश चौरसिया, फैसल सिद्दीकी, सुरेंद्र गुप्ता, लोलर सिंह सहित अन्य कांग्रेसी सहित बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए।

टीएस ने कहा-किसानों के साथ अन्याय पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने कहा कि सिंचित क्षेत्रों को असिंचित घोषित करना और किसानों को आवश्यक खाद न मिलना, सरकार की उदासीनता और असंवेदनशीलता का प्रमाण है। सिंहदेव ने कहा कि NPK 12:32:16 खाद खुले बाजार में उपलब्ध है, लेकिन सरकार सहकारी समितियों में उसे नहीं दे पा रही है। इससे खाद की कालाबाजारी बढ़ेगी और गरीब किसान आर्थिक संकट में आ जाएंगे।



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