इससे पहले जयपुर में 6,000 बहनों ने घूमर नृत्य का रिकॉर्ड बनाया था।
राजस्थान के जयपुर में घूमर नृत्य का 3 साल पहले बना वर्ल्ड रिकॉर्ड रविवार को सूरत में टूट गया। राजस्थान स्थापना दिवस पर गोडादरा के मरुधर मैदान में होने वाले गुज-राज महासंगम में 12 हजार महिलाओं ने एक साथ घूमर नृत्य किया। कीर्तिमान स्थापित करने के लिए प
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जयपुर में 6,000 बहनों ने रिकॉर्ड बनाया था
गिनीज बुक के अधिकारी भी इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बने।
इससे पहले जयपुर में 6,000 बहनों ने घूमर नृत्य का रिकॉर्ड बनाया था। पांच सदस्यीय कोरियोग्राफर की टीम में घूमर नृत्य के मशहूर कोरियोग्राफर रोहित शर्मा, राजस्थान घूमर क्वीन-2022 सीमा सेठी, अल्का श्रीवास्तव, सोनू कुमावत और रानी खत्री शामिल हैं।
कोरियोग्राफर रोहित शर्मा ने बताया कि शहर में 9 जगहों पर अलग-अलग समय पर कई बैचों में 8 साल की बेटियों से लेकर बुजुर्ग महिलाओं तक को घूमर के स्टेप्स सिखा रहे थे। एक बैच में 500 से 1000 महिलाएं घूमर सीख रही थीं। महिलाओं से केसररिया बालम, मेरी घूमर…, बाजूबंद री लूम..और रंग दे.. और गोरी-गीरी बनी ठनी गीतों पर एक साथ 20 मिनट तक लगातार प्रैक्टिस करवाई गई।
8 साल की बेटियों से लेकर 70 साल की दादी तक ने नृत्य किया
8 साल की बेटियों से लेकर 70 साल की दादी तक ने नृत्य कर रिकॉर्ड बनाया।
गुज-राज महासंगम राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का साक्षी बना। इसमें राजस्थान की पारंपरिक वेशवूषा में सजीं-धजी 8 साल की बेटियों से लेकर 70 साल की दादी मां तक ने एक साथ लागातर 20 मिनट तक घूमर नृत्य कर विश्व रिकॉर्ड बनाया। संघ के अध्यक्ष विक्रम सिंह शेखावत ने बताया कि कार्यक्रम में सीरवी समाज, आंजणा समाज, घांची समाज और कुमावत समाज की ओर से पारंपरिक गेर नृत्य प्रस्तुत किया गया।
इन प्रमुख संस्थाओं की भागीदारी रही कार्यक्रम में गुज-राज महासंगम में शहीद भगत सिंह क्लब, महाराणा क्लब, प्रजापति समाज, कुमावत समाज ट्रस्ट, विप्र फाउंडेशन, सुरभि सेवा समिति, राजस्थान नवयुवक मंडल पांडेसरा, नागदा ब्राह्मण समाज, पारीक विकास ट्रस्ट, सैनी समाज सेवा समिति, पीपा क्षत्रिय समाज, बेलीया समाज, श्री श्याम गौ सेवा मंडल ने सेवाएं दीं।
महिलाओं से केसररिया बालम, मेरी घूमर…, बाजूबंद री लूम..और रंग दे.. जैसे गीतों पर डांस किया।
कार्यक्रम की रूपरेखा
- घूमर नृत्य में भाग लेने वाली महिलाओं का प्रवेश QR कोड और रजिस्ट्रेशन रसीद के जरिए हुआ।
- जो महिलाएं केवल दर्शक थीं, उनके लिए अलग खंड तैयार किया गया था।
- पुरुषों के लिए अलग बैठने की व्यवस्था की गई थी।