दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में सदानंद महाराज ने शराब पीने वाले लोगों के घर पानी-अन्न न लेने की बात कही।
श्रीकृष्ण प्रणामी मिशन के प्रमुख संत स्वामी सदानंद महाराज ने ऐलान किया कि जिन घरों में लोग शराब का सेवन करते हैं, वह न तो उन घरों का अन्न खाएंगे और न ही पानी पिएंगे। इतना जरूर है कि वे उनके घर सत्संग करने जरूर जाएंगे ताकि वह सुधर सकें।
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स्वामी सदानंद महाराज मूल रूप से हरियाणा के भिवानी जिले के रहने वाले हैं। उनके फॉलोअर्स में अपर मिडिल और एलीट क्लास के लोग होते हैं। उनके श्रद्धालु़ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हैं। अब तक वह दुनिया भर में 2260 से ज्यादा भागवत कथा कर चुके हैं।
वैराग्य लेकर संत बनने से पहले सेना में कैप्टन के पद पर थे। वह 2 बार पाकिस्तान से लड़ाई भी लड़ चुके हैं। उनके श्रद्धालुओं का कहना है कि महाराज हमेशा से ही नशे के खिलाफ रहे हैं, यही कारण है कि उन्होंने अब ये फैसला लिया है।
भारत विभूषण सम्मान से हो चुके सम्मानित गरीबों के उत्थान, गो-सेवा व सामाजिक विकास के लिए स्वामी सदानंद महाराज को भारत विभूषण सम्मान मिल चुका है। उन्हें द इकॉनोमिक एंड रिर्सोस डेवलपमेंट एसोसिएशन ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में यह सम्मान दिया था।
इसके अलावा उन्हें निजानंद सम्प्रदाय की सबसे बड़ी उपाधि परम हंस से भी नवाजा गया है। भिवानी की चौधरी बंसी लाल यूनिवर्सिटी में उन्हें डाक्टरेट की उपाधि भी दी गई थी। इसके अलावा नेपाल सरकार भी सदानंद महाराज को सम्मानित कर चुकी है।
नेपाल तक हैं स्वामी सदानंद महाराज के अनुयायी करीब 80 वर्षीय स्वामी सदानंद महाराज के अनुयायी हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, असम से लेकर नेपाल तक हैं। इन अनुयायियों की संख्या लाखों में है। श्रीकृष्ण प्रणामी चैरिटेबल ट्रस्ट के बैनर तले स्वामी सदानंद महाराज गोशालाओं, वृद्धाश्रमों व बेसहारा लोगों के लिए अपना घरों का संचालन करते हैं।
स्वामी सदानंद महाराज के कार्यक्रम में नजर आ रहे हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, राज्यपाल बंड़ारू दत्तात्रेय एवं दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता।
पाकिस्तान के खिलाफ दो युद्धों में भी ले चुके भाग वैराग्य धारण करने से पहले स्वामी सदानंद महाराज सरहद पर दो युद्धों के भी गवाह रह चुके हैं। उन्होंने 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध को देखकर सेना में जाने का मन बनाया और 1964 में सेना में शामिल हो गए। इसके बाद 1965 व 1971 में पाकिस्तान के साथ दो बार हुए युद्ध में भाग लिया। 1971 के युद्ध के बाद ही उन्हें कैप्टन पद पर प्रमोशन मिला, लेकिन इसके बाद उन्होंने सेना छोड़कर भगवा चोला पहन लिया।
ये तस्वीर तब की है जब सदानंद महाराज भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे थे।
भागवत कथा का बनाया रिकॉर्ड, 10 वर्षों में बनवाई 113 गोशाला 1972 से स्वामी सदानंद महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा का वाचन शुरू किया। अब तक वह देश-विदेश में 2260 से ज्यादा भागवत कथाएं कर चुके हैं, जो की एक रिकॉर्ड बन चुका है। वे अभी तक स्विटजरलैंड, सिंगापुर, थाईलैंड, मलेशिया, यूएसए, हॉन्गकॉन्ग, नेपाल, भूटान आदि देशों में भागवत कथा के माध्यम से गीता का ज्ञान दे चुके हैं। सदानंद महाराज करीब 10 वर्षों में 113 गोशालाओं का निर्माण करवा चुके हैं।