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हिमालयन थार के शिकारी 6 दिन के रिमांड पर भेजे: जानवरों का मांस-अंग जांच को देहरादून लैब भेजा, खाल-सींग के अवैध व्यापार का अंदेशा​​​​​​​ – Kangra News


हिमालयन थार का शिकार करने वाले आरोपियों को आज छह दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया।

हिमाचल में कांगड़ा के जिया क्षेत्र में हिमालयन थार और घोरल का शिकार करने वाले आरोपियों को आज कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने सभी आरोपियों को 6 दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा है। वन विभाग की टीम ने मंगलवार रात के वक्त पांच आरोपी गिरफ्तार किए थे।

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इनसे हिमालय थार का मांस, खाल और सींग बरामद किए थे। आशंका है कि शिकारी अवैध व्यापार के उद्देश्य से शिकार करते थे। धर्मशाला के चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट बसु कौशल ने बताया कि पांचों आरोपियों को पालमपुर न्यायालय में पेश किया।

हिमालयन थार का अवैध शिकार

शिकारियों से ये हथियार किए बरामद

वन विभाग की टीम ने कार्रवाई के दौरान आरोपियों के पास से एक सिंगल बैरल राइफल, एक डबल बैरल राइफल, 16 कारतूस, दो खूंखरी, चार छुरे और पांच जंगली जानवरों की गर्दनें बरामद कीं। इसके अलावा 20 खुर और डेढ़ क्विंटल मांस भी जब्त किया।

आरोपियों ने चार हिमालयन थार को डबल बैरल राइफल से और घोरल को सिंगल बैरल राइफल से मार गिराया था।

वन विभाग ने गर्दन को संरक्षित किया

वन विभाग के अधिकारियों ने जंगली जानवरों की गर्दन को संरक्षित कर लिया है। मांस और अन्य अंगों को परीक्षण के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून भेजा गया है। हिमालयन थार वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 में शामिल है, जिससे इसका शिकार पूरी तरह प्रतिबंधित है।

DFO पालमपुर, डॉ. संजीव शर्मा ने बताया कि वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत हिमालयन थार के शिकार पर 3 से 7 साल की जेल और आर्थिक जुर्माना हो सकता है।

हिमालयन थार के अवैध शिकार में इस्तेमाल हथियार

इन आरोपियों को छह दिन के रिमांड पर भेजा

वन विभाग द्वारा पकड़े आरोपियों में विजय कुमार, विपिन कुमार (गांव जिया), आशीष कुमार (पुत्र पृथ्वी राज), यशपाल (पुत्र प्रताप चंद, गांव चकान) और संतोष कुमार (पुत्र स्व. शोक्त चंद, निवासी चिम्वलहर) शामिल है। इनमें चार शिकारी और एक वाहन चालक है।

वन विभाग की शिकारियों पर नजर

वन विभाग की टीम लंबे समय से क्षेत्र में शिकारियों पर नजर रखे हुए थी। मंगलवार रात की गई इस कार्रवाई को वन्यजीव संरक्षण की बड़ी सफलता माना जा रहा है।

विभाग ने आम जनता से अपील की है कि वे किसी भी अवैध शिकार या वन्यजीव अपराध की सूचना तुरंत दें। इससे न केवल वन्यजीवों का संरक्षण होगा, बल्कि हिमालयी पारिस्थितिकी संतुलन भी बना रहेगा।



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