थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली फ्लाई ऐश जिसे अब तक पर्यावरणीय बोझ और औद्योगिक कचरे की तरह देखा जाता था, लेकिन अब यह खेती के लिए वरदान साबित हो सकती है। भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान (आईआईएसएस) समेत देश के 5 प्रमुख केंद्रों में चल रही रिसर्च में सामने
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यह रिसर्च भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के नेतृत्व में देश के अलग-अलग मृदा क्षेत्रों भोपाल, झांसी, भुवनेश्वर, दिल्ली और मोहनपुर (प. बंगाल) में की जा रही है। हर क्षेत्र की मिट्टी अलग है और इन सभी पर फ्लाई ऐश का असर पॉजिटिव रहा है। भोपाल में काली चिकनी मिट्टी, झांसी में दोमट, भुवनेश्वर में लाल-पीली लैटराइट, मोहनपुर और दिल्ली में जलोढ़ मिट्टी पर रिसर्च की गई। इनमें से जलोढ़ मिट्टी वाले क्षेत्रों में धान की पैदावार में तेजी से इजाफा हुआ है।
फ्लाई ऐश में 16 पोषक तत्व… ये मिट्टी की सेहत सुधारता है, इससे जलधारण क्षमता भी बढ़ी
- वैज्ञानिकों के अनुसार, रिसर्च का यह चरण “अल्पकालिक श्रेणी” में आता है, लेकिन शुरुआती नतीजे बेहद उत्साहजनक हैं। फ्लाई ऐश को नियंत्रित मात्रा में मिलाने से मिट्टी की संरचना में सुधार और उपज दोनों में बढ़ोतरी देखी गई है।
- एनटीपीसी के डीजीएम रहे एसएम चौबे के मुताबिक, यूपी के ऊंचाहार प्लांट के पास दो साल तक किए गए प्रयोग में गेहूं और धान की पैदावार में 30% तक का इजाफा दर्ज किया गया है। वहां के किसानों को भी इसके इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया गया। उन्हें लागत में कमी के साथ-साथ अधिक मुनाफा मिला।
- फ्लाई ऐश खेती में कैसे मदद करती है?
- फ्लाई ऐश में ऐसे 16 पोषक तत्व होते हैं, जो पौधों की वृद्धि में सहायक होते हैं। इनमें मुख्य तत्व फॉस्फोरस, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, सल्फर हैं। इसके अलावा आयरन, मैंगनीज, जिंक, कॉपर, बोरॉन, कोबाल्ट जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व मौजूद होते हैं। फ्लाई ऐश मिट्टी की पीएच वैल्यू को संतुलित करता है, जिससे अम्लीय मिट्टी के लिए यह एक सस्ता और टिकाऊ विकल्प बन सकता है। हालांकि, इसमें जैविक कार्बन और नाइट्रोजन की कमी होती है।
- भोपाल में जिस चिकनी काली मिट्टी पर रिसर्च हो रही है, वह अपनी सिकुड़ने व फूलने वाली खासियत के लिए जानी जाती है। फ्लाई ऐश इसमें सिल्ट की मात्रा बढ़ाती है, जिससे मिट्टी व फसल दोनों की सेहत सुधरती है।
भविष्य की संभावनाएं
डंपिंग की समस्या से राहत, किसान की लागत घटेगी
1. बिजली की मांग बढ़ने के साथ फ्लाई ऐश उत्पादन भी बढ़ेगा। ऐसे में इसकी कृषि में उपयोगिता को लेकर नई संभावनाएं हैं। खासकर रेशेदार फसलें, सजावटी पौधों के लिए। डंपिंग समस्या खत्म होगी। 2. रेशेदार फसलें, सजावटी पौधे और बागवानी फसलें इसके प्रयोग से लाभान्वित हो सकती हैं। 3. किसान को कम लागत, ज्यादा पैदावार और कम उर्वरक उपयोग से फायदा होगा। 4. पर्यावरणीय प्रभाव सकारात्मक होगा, क्योंकि थर्मल प्लांट की फ्लाई ऐश का सही उपयोग हो पाएगा।