सरकार भले ही शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए नई-नई इमारतें खड़ी कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे जुदा है। बिहार के बेगूसराय जिले के तेघड़ा प्रखंड स्थित बजलपुरा गांव में एक मॉडल इंटर स्कूल की बिल्डिंग 2017 से तैयार है, लेकिन आज तक इसमें पढ़ाई शु
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स्थानीय लोगों की उम्मीदें उस वक्त जगी थीं जब बच्चों के लिए बेंच-कुर्सी, लैब का सामान, पीने के पानी के लिए इंडिया मार्का चापाकल व मोटर तक लगा दिए गए थे। लेकिन अब यह भव्य इमारत सांप और कीड़े-मकोड़ों का अड्डा बन चुकी है। खेल मैदान में खेती हो रही है और चारों तरफ झाड़-झंखाड़ उग आए हैं। भवन की खिड़कियों के शीशे टूट चुके हैं, और रखरखाव के अभाव में यह धीरे-धीरे जर्जर होता जा रहा है।
स्कूल कैंपस
स्थानीय अभिभावक नवनीत कुमार और अमरजीत सिंह बताते हैं कि आसपास के दस गांवों के बच्चों को इंटर की पढ़ाई के लिए 2 से 3 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। जबकि यह स्कूल अगर चालू हो जाए तो बड़ी राहत मिलेगी। उन्होंने कई बार स्थानीय विधायक से गुहार लगाई, दस्तावेज भी दिए, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला।
बिल्डिंग
अमरजीत सिंह ने बताया कि राजकीय बुनियादी विद्यालय बजलपुरा के प्रधानाध्यापक ने कई बार पत्राचार किया, यहां तक कि भवन की देखभाल एक स्थानीय निवासी 2017 से मुफ्त में कर रहा है, फिर भी अब तक एक गार्ड तक की नियुक्ति नहीं हो सकी है।
यह मामला सरकारी उदासीनता और विभागीय लापरवाही की बड़ी मिसाल बन गया है, जो यह दर्शाता है कि केवल इमारतें बना देने से शिक्षा की नींव नहीं मजबूत होती, जब तक उनमें पढ़ाई शुरू न हो। स्थानीय लोगों की यही मांग है कि इस स्कूल को जल्द से जल्द शुरू किया जाए ताकि बच्चों का भविष्य संवर सके।
चापाकल भी बेकार हो गया
पढ़ाई शुरू कराने का प्रयास जारी
जिला शिक्षा पदाधिकारी राजदेव राम ने बताया कि भारत सरकार के योजना से मॉडल विद्यालय बनाया गया, भवन हैंड ओवर हो गया, लेकिन पढ़ाई शुरू नहीं हो सका। पांच ऐसे मॉडल स्कूल बने थे, जिसमें तीन ही शुरू हो सका। शिक्षा विभाग प्रयास कर रहा है कि शुरू हो। मॉडल स्कूल का कॉन्सेप्ट बंद हो जाने के कारण ऐसा हुआ है। देख रहे हैं कि क्या कर सकते हैं, कुछ ना कुछ उपयोग किया जाएगा।