काशी हिंदू विश्वविद्यालय के अस्पताल में रीच ट्रायल की शुरुआत की गई है। आईएमएस बीएचयू के निदेशक प्रो. एसएन संखवार ने कहा कि मातृ मृत्यु दर कम में ‘रीच ट्रायल उपयोगी होगा। इसकी मदद से प्रसव के दौरान माताओं की जान बचाई जा सकेगी।
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प्रो. उमा पांडेय ने इस प्रोजेक्ट को समझाते हुए बताया कि लेबर पेन होने के बाद जब अस्पताल महिलाएं आएंगी तो पहले उन्हें रक्तस्राव के बारे में बताया जाएगा। इसके साथ ही उनके पति से बात की जाएगी। महिला की सहमति के बाद उन्हें ट्रायल में शामिल किया जाएगा। प्रसव के दौरान अगर रक्त्स्राव पांच सौ एमएल से ज्यादा होगा तो उन्हे रैंडमाइज करके दवा दी जाएगी।
BHU से की गई कार्यक्रम की शुरुआत।
7 देश के विशेषज्ञ ने लिया भाग
रीच ट्रायल में 7 देश भाग लेंगे, 27 साइट्स पर अध्ययन होगा और 6,200 महिलाएं प्रतिभागी होंगी। यह ट्रायल WHO के “CHAMPION” ट्रायल नेटवर्क के अंतर्गत 27 तृतीयक स्तर के अस्पतालों में आयोजित किया जाएगा, जो अर्जेंटीना, केन्या, भारत, नाइजीरिया, युगांडा, दक्षिण अफ्रीका और यूनाइटेड किंगडम में स्थित हैं।
54 माह में 62 हजार महिलाओं को दी जायेगी ट्रेनिंग
उन्होंने बताया इस अध्ययन की अवधि 54 महीने है जिसमें ट्रायल की तैयारी के लिए 12 महीने,प्रतिभागियों के नामांकन के लिए 30 महीने और अंतिम विश्लेषण, ट्रायल प्रकाशन तथा परिणामों के प्रसार के लिए 12 महीने निर्धारित है।