5 मिनट पहलेलेखक: इंद्रेश गुप्ता
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‘स्कैम 1992’ के बाद प्रतीक गांधी दर्शकों के दिलों पर छा जाने वाले अभिनेता के रूप में उभरे हैं। वह अपनी हर भूमिका में नया रंग भरते हैं। ‘धूम धाम’ की सफलता के बाद, अब वे ‘फुले’ में ज्योतिबा फुले के किरदार में नजर आएंगे। इस इंटरव्यू में, उन्होंने अपने करियर, चुनौतियों और भविष्य की योजनाओं पर खुलकर बात की…
प्रतीक ने अपने करियर की शुरुआत गुजराती फिल्म से की थी।
‘धूम धाम’ को लेकर किस तरह की प्रतिक्रियाएं मिलीं?
‘धूम धाम’ के लिए बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली। लोगों ने बहुत प्यार और सराहना दी। मुझे बहुत मजा आया। सारा परिवार एक साथ बैठ के देख पाए ये वैसी फिल्म थी। इसलिए शायद हर एक अलग-अलग उम्र के लोगों को बहुत पसंद आई है। वैसे ज्यादा प्रतिक्रिया तो यही मिली कि फिल्म एंटरटेनिंग है। बाकी हम तक सोशल मीडिया के जरिए या अखबारों के जरिए जो प्रतिक्रियाएं आती हैं वहीं पहुंचती हैं। कभी-कभार जब इंटरव्यू में इंट्रैक्शन होता है, तब पता चलता है कि हम दर्शकों का कहां तक प्रभावित कर पाए हैं।
‘फुले’ के लिए किस तरह की तैयारियां रहीं? किरदार को आत्मसात करने में कितना समय लगा?
मैं इसके पहले भी ‘अग्नि’ में मराठी किरदार कर चुका हूं। ऐसे में मराठी भाषा या मराठी लहजा पकड़ने में उतनी दिक्कत नहीं हुई। कुछ सालों से मुंबई में रह के मराठी सुन-सुन के सीख गया हूं। मैं तो पढ़ा भी जलगांव में हूं। ग्रेजुएशन वहीं से की तो मराठी से इतना भी अपरिचित नहीं था। हां, उसका व्याकरण अभी एकदम से दिमाग में नहीं आता कि धारा-प्रवाह बोल पाऊं। लेकिन जब डायलॉग्स लिखे होते हैं उससे बोलने में आसानी होती है।
मैंने फिल्म ‘फुले’ में ज्योतिबा फुले का किरदार किया है। उन्होंने इतिहास, समाज या पूरे देश में परिवर्तन के लिए जो काम किया था, वो दिखाने की कोशिश की है। उनका किरदार निभाने से पहले उनके बारे में जानना ज्यादा जरूरी था। स्कूल में जो पढ़ा है, वो बहुत ही संक्षेप में था। फिर जब रिसर्च की तो इस कहानी के माध्यम से मुझे बहुत डिटेल में उनकी शख्सियत और जीवन के बारे में जानने को मिला है। बाकी इसके डायरेक्टर अनंत महादेवन जी हैं। राइटर भी वहीं है तो इसके लिए रिसर्च तो जमकर हुई है। उनका मानना था कि अंग्रेजों से अगर लड़ना है या किसी भी बाहरी ताकत से लड़ना है तो वो लड़ाई अस्त्र-शस्त्र से नहीं जीती जा सकती। वो सिर्फ ज्ञान से ही जीती जा सकती। तो उनके इस चरित्र के बारे में जानना ज्यादा जरूरी था।
प्रतीक की गुजराती फिल्म ‘रॉग साइड राजू’ को नेशनल अवॉर्ड मिला चुका है।
‘फुले’ के लिए आपको कब अप्रोच किया गया था?
मैंने अनंत महादेवन जी के साथ ‘स्कैम 1992’ में भी काम किया था। ‘स्कैम’ सीरीज के रिलीज होने के बाद उन्होंने मुझे अप्रोच किया था। उन्होंने मेरा ‘मोहन नो मसालो’ नाम का नाटक भी देखा, जो हिंदी, गुजराती और अंग्रेजी में था। जब वह ‘फुले’ डायरेक्ट करने की सोच रहे थे, तब उन्होंने मुझसे कहा था कि एक सब्जेक्ट है, अगर आपको अच्छा लगता है तो हम साथ में काम करेंगे।
पत्रलेखा के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
पत्रलेखा के साथ काम करने के अनुभव अच्छा था। उनके साथ काम करने में बहुत मजा आया। वो बड़ी सुलझी हुई कलाकार हैं। उनकी परफॉर्मेंस देने और स्क्रिप्ट को समझने की एक बड़ी ही नेचुरल सी प्रक्रिया है। हम काफी कुछ सीन पर पहले ही चर्चा कर लेते थे। कई बार इम्प्रोवाइज भी करते थे, क्योंकि हमने ये पूरी फिल्म सतारा रीजन में शूट की है। हम सब लोग घर से दूर थे, एक कैंप में ही रह रहे थे। इस फिल्म के दौरान ही मैं पत्रलेखा से मिला, उनसे दोस्ती हुई। इसमें वह मेरी पत्नी सावित्री बाई फुले के रोल में हैं।
आपको ऑडियंस हर रोल में पसंद कर रही है। क्या कहना है?
अगर ऐसा है तो मैं क्या ही कहूं। मेरे लिए बड़ी बात है। जब ऐसी बातें कही जाती हैं तो अच्छा लगता है कि चलो मैं यही चाहता था। और अब यह हो रहा है। हर एक एक्टर की ख्वाहिश होती है कि वह ऑडियंस के दिल तक पहुंच जाए। बतौर एक्टर हमारी भी यह कोशिश होती है कि ऐसा काम करें कि लोगों को दिलों में उतर जाएं। मेकर्स के जेहन में बस जाएं। जब भी कोई फिल्ममेकर प्रोजेक्ट बनाने का सोचे तो सबसे पहले उनके दिमाग में आपका फेस आए।
क्या आपने एक्शन फिल्म करने का सोचा है?
मेरा बहुत मन है फुल ऑन एक्शन फिल्म करना का। मैं तो एक भी जॉनर नहीं छोड़ना चाहता हूं। मैं हर तरह का काम करना चाहता हूं। पर्सनली कहूं तो मुझे फिजिक्स के दायरे से बाहर का एक्शन खुद समझ नहीं आता है।
ऐसे एक्शन सीन में मुझे हंसी आ जाती है कि एक आदमी जमीन पर पैर पटकता है और कई लोग गिर जाते हैं। लेकिन क्या करें, लोगों को पसंद भी वही आ रहा है। मुझे ऐसे सीन देखकर वीडियो गेम वाली फील आती है। बाकी मौका मिलने पर जरूर करूंगा। मेरे पास एक-दो एक्शन फिल्म की स्क्रिप्ट आई थीं, लेकिन वो मुझे अच्छी नहीं लगीं।
हंसल मेहता की सीरीज ‘स्कैम’ से प्रतीक की करियर को नई दिशा मिली।
आने वाले प्रोजेक्ट्स को लेकर कुछ शेयर करेंगे कि किस स्टेज पर हैं?
‘घमासान’ करके एक फिल्म है, जो तिग्मांशु धूलिया ने डायरेक्ट की है। वह एक कॉप ड्रामा है। वह बनकर तैयार है। पिछले दिनों इसे सिनेवेस्टर अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में दिखाया गया। उससे पहले मामी मुंबई फिल्म फेस्टिवल में भी इसे सराहा गया था। ये फिल्म जल्द ही रिलीज होगी। बाकी 11 अप्रैल को ‘फुले’ रिलीज हो रही है।