HomeदेशUP के अस्पतालों में बिहार के मुर्दों का इलाज: UP में...

UP के अस्पतालों में बिहार के मुर्दों का इलाज: UP में बिक रहे बिहार के मरीज, डॉक्टर ने कहा– ‘सीरियस पेशेंट दीजिए, 30 हजार लीजिए’ – Bihar News


बिहार के मरीजों का UP के अस्पतालों में सौदा किया जा रहा है। एजेंट्स का सामान्य मरीज भेजने पर टोटल बिल पर 40% और सीरियस मरीजों के लिए 30 हजार रुपए का रेट फिक्स है। वेंटिलेटर पर मरीजों की सांस बढ़ी तो कमीशन भी बढ़ता जाएगा। दवा और जांच के साथ बेड तक के रे

.

भास्कर ने 30 दिनों तक बिहार के बगहा से लेकर यूपी के गोरखपुर तक पड़ताल की। इस दौरान 10 प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक, 1 बिहार सरकार का स्वास्थ्य कर्मी, 1 आशाकर्मी, 5 प्राइवेट हॉस्पिटल मैनेजर और 1 एजेंट हमारे कैमरे पर डील करते हुए रिकॉर्ड हुए। सिलसिलेवार तरीके से पढ़िए और देखिए ये इनवेस्टिगेटिव रिपोर्ट।

पहले ऐसे 3 केस पढ़िए, जो मरीजों की खरीद–फरोख्त से जुड़े हैं…

केस : 1

‘मैं लक्ष्मीदेवी (पत्नी विकास चौहान) देवरिया जिले के भरौली की रहने वाली हूं। 17 जनवरी को रात 1 बजे मेरी देवरानी लीलावती देवी के बच्चे की तबीयत बिगड़ गई। उसे 108 एंबुलेंस से गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराने लेकर आई। वहां के डॉक्टरों ने बताया कि अभी वेंटिलेटर खाली नहीं हैं। दो दिन इंतजार करना पड़ेगा।’

‘इस बात पर 108 एम्बुलेंस के ड्राइवर ने कहा कि बच्चे को अर्पित हॉस्पिटल में भर्ती करवा दो। इंतजार किया तो बच्चा मर जाएगा। हम उसकी बातों में आ गए। एम्बुलेंस ड्राइवर हमें अर्पित हॉस्पिटल के लिए लेकर निकला। कुछ दूर सुनसान जगह पर उसने हमें दूसरी प्राइवेट एम्बुलेंस में शिफ्ट कर दिया। फिर बच्चे को अर्पित हॉस्पिटल में भर्ती करा दिए। वहां के मालिक ने एम्बुलेंस ड्राइवर को 500–500 रुपए के नोट दिए।

ड्राइवर ने हमसे भाड़ा भी नहीं लिया। 5 दिन से मेरा बच्चा भर्ती है। 60 हजार रुपए ले लिए। पैसे न होने के चलते हमने अर्पित हॉस्पिटल से बच्चे को सरकारी अस्पताल में शिफ्ट करने को कहा। इस पर उन्होंने कहा कि पैसे लाओ नहीं तो बच्चे को उल्टा–सीधा इंजेक्शन लगाकर मार देंगे। मेरे बच्चे को अर्पित हॉस्पिटल में जान का खतरा है।’

22 जनवरी को यह शिकायत गोरखपुर की गुलरिहा पुलिस से देवरिया के लक्ष्मी देवी ने की। उनके बच्चे की मौत हो चुकी है। पुलिस जांच कर रही है।

मरीजों के खरीद-फरोख्त के मामले में अर्पित हास्पिटल के संचालक प्रवीन सिंह को जेल भेजा जा चुका है। (फाइल फोटो)

केस : 2

9 दिनों के व्रत के बाद तबीयत बिगड़ने पर बगहा के मटियरिया गांव के रहने वाले मिंटू ने मां को हरनाटाड़ में एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट करवाया। एक दिन इलाज के बाद डॉक्टरों ने गोरखपुर रेफर कर दिया। हॉस्पिटल ने खुद एम्बुलेंस बुलवाई और गोरखपुर के बशारतपुर स्थित श्री वेदना मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में भेज दिया।

मिंटू का आरोप है कि मां की मौत हो गई थी, फिर भी उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। जब हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था, तब मिंटू को शक हुआ कि कुछ गड़बड़ है। उन्होंने अपनी पहचान के एक डॉक्टर को परिजन बनाकर मां तक भेजा। उन्होंने बताया कि तुम्हारी मां की डेथ हो चुकी है।

मिंटू ने बताया कि, इलाज के दौरान डेढ़ लाख रुपए की दवा मंगवाई गई। मौत के कारण मां का शरीर फूल गया था और बदबू आ रही थी। इसके बाद भी डॉक्टर इलाज के लिए पैसे की डिमांड कर रहे थे। पुलिस को बुलाया तो हॉस्पिटल ने मां को मृत घोषित किया।

केस : 3

बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से सटे घोटवा गांव की सुनीता सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गईं। बेहतर इलाज के लिए गोरखपुर गईं, लेकिन वहां दलालों के नेटवर्क में फंस गई। इलाज के दौरान जब डॉक्टरों का पता चला कि वह सोशल वर्कर हैं तो उन्हें अपना एजेंट बनाने का प्रयास किया गया।

सुनीता ने बताया कि एक नहीं वह जहां-जहां भी इलाज के लिए गईं, अस्पताल उन्हें कमीशन पर मरीज लाने का ऑफर करते रहे। बोला गया बिहार से हैं, वहां बहुत मरीज हैं। एक मरीज पर 10 हजार कमाने का ऑफर दिया गया।

लक्ष्मीदेवी, मिंटू और सुनीता के मामले सामने आने के बाद हमने पड़ताल शुरू की…

हमारी पड़ताल बिहार के बगहा से शुरू हुई, क्योंकि यह UP बॉर्डर से सटा है। यहां से मरीजों को गोरखपुर ले जाया जाता है, इसलिए हम गोरखपुर तक पहुंचे। सिलसिलेवार तरीके से पढ़िए पूरी पड़ताल।

पहला पॉइंट : बिहार के बगहा का सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, मधुबनी

यहां हमारी मुलाकात प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मधुबनी के सीनियर ऑपरेटर चंद्रभानू से हुई। अब पढ़िए चंद्रभाून और रिपोर्टर के बीच हुई डील…

रिपोर्टर – आप मरीजों को किस प्राइवेट हॉस्पिटल में भेजते हैं, पडरौना में हमारा हॉस्पिटल है।

चंद्रभानु – हम लोग यहां से एक माह में 30 से अधिक मरीज बिहार से बाहर भेजते हैं।

रिपोर्टर – एक मरीज पर हॉस्पिटल से क्या हिसाब होता है ?

चंद्रभानु – हर मरीज पर 30 प्रतिशत मिलता है, दवा पर 20 प्रतिशत अलग से देते हैं।

रिपोर्टर – दवा पर तो हर जगह नहीं मिलता है?

चंद्रभानु – ऐसा थोड़े है, एक हॉस्पिटल नहीं है, बहुत ऑप्शन है। जो नहीं देगा वहां मरीज क्यों देंगे।

रिपोर्टर – आप हमारे यहां मरीज भेजिए, हिसाब हो जाएगा।

चंद्रभानु – हम डॉक्टर साहब से बात कर लेंगे, इसके बाद सेटिंग हो जाएगी।

दूसरा पॉइंट : गोरखपुर का सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल

बगहा से हमें गोरखपुर के खजांची चौक स्थित हेरिटेज मल्टी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की लीड मिली। हॉस्पिटल संचालक बनकर हम हॉस्पिटल पहुंचे तो हमारी मुलाकात निदेशक डॉ. अभय नंदन सिंह से हुई।

रिपोर्टर – मेरा बिहार में हॉस्पिटल है, आपके यहां रेफर मरीजों का क्या सिस्टम है?

डॉक्टर – अब तक आपके मरीज कहां जाते थे, क्या सिस्टम था।

रिपोर्टर – पड़रौना में मरीजों को दिया जाता था, लेकिन हम लोगों को पैसा कम मिलता है।

डॉक्टर – यहां 50 बेड के हॉस्पिटल में हर सुविधा है, हम एम्बुलेंस और आईपी सिस्टम चलाते हैं।

रिपोर्टर – दोनों सिस्टम में क्या अंतर है?

डॉक्टर – मरीजों का IPD, मेडिसिन और लैब का बिल बनता है। IPD में बाहर से आने वाले डॉक्टर की फीस काटकर हम कुल बिल का 40% आपको दे देंगे। दवा में 20 और लैब के बिल पर 30% कमीशन दे देंगे। पेशेंट के डिस्चार्ज होते ही आपका पैसा UPI से चला जाएगा।

रिपोर्टर – एम्बुलेंस सिस्टम क्या है?

डॉक्टर – आपका सीरियस मरीज आएगा तो हम तत्काल आपको UPI कर देंगे। नवजात बच्चे का 25 और बड़े का 30 हजार रुपए देंगे।

रिपोर्टर – मरीज भर्ती होने के बाद मर जाएगा तो क्या होगा?

डॉक्टर – हम आपको पैसा दे देंगे। हम कैसे कितना लेंगे ये हमारा मामला है। पेशेंट 20 दिन भर्ती रहे, ये हमारा रिस्क होगा।

रिपोर्टर – हमारे पास एम्बुलेंस वाले सीरियस केस अधिक हैं, यही सिस्टम रखिए?

डॉक्टर – इसमें आपका और हमारा दोनों का फायदा है। मरीज भर्ती होने के एक घंटे बाद भी मर जाए तो आपको पूरा पैसा मिलेगा। आपके एम्बुलेंस ड्राइवर और स्टॉफ को भी पैसा देंगे।

रिपोर्टर – सीरियस पेशेंट का कितना बिल बन जाता है?

डॉक्टर- मरीज कितने दिन रहेगा, यह उसकी कंडीशन पर तय होगा। अब तक आप लोग गलत जगह मरीज भेजकर नुकसान में थे, यहां एम्बुलेंस सिस्टम में अच्छा पैसा कमा लीजिएगा। क्योंकि यहां तो मरीज पैसा देकर ही जाएगा।

रिपोर्टर – मरीज भेजने से पहले आपको कॉल करना होगा?

डॉक्टर – आप मैसेज कर देना और वीडियो कॉल कर मरीज से बात करा देना। हम कंडीशन जान लेंगे, इसके बाद इलाज की व्यवस्था कर देंगे।

रिपोर्टर – कैसे पता चलेगा किस मरीज पर कितना मिलेगा।

डॉक्टर – 9 साल तक 25 हजार और उसके ऊपर 30 हजार रुपए देंगे। बच्चों में जांच और दवाएं कम होती है, इसलिए ज्यादा नहीं दे रहे हैं।

रिपोर्टर – रेट कुछ बढ़ा दीजिए, हम लोगों की भी कमाई हो जाए।

डॉक्टर – आप केस दीजिए, अधिक केस रहा तो 35 हजार दे देंगे।

रिपोर्टर के साथ डील होने के बाद डॉक्टर अभय नंदन सिंह वीडियो कॉल पर मरीज देखने के बहाने हमारी पड़ताल करना चाहते थे। उन्होंने वीडियो कॉल पर मरीज को देखने और उसके पेरेंट्स से बात कराने की बात कही थी।

डॉक्टर की बात जांचने के लिए हमने सीरियस मरीज का पूरा माहौल क्रिएट किया। हमारे अंडर कवर रिपोर्टर मरीज और परिजन बन गए। डॉक्टर पर विश्वास जमाने के लिए हमने किराए पर ऑपरेशन थिएटर लिया। डॉक्टर को वीडियो कॉल किया और जब उन्हें भरोसा हुआ तो मरीज के पहुंचते ही 30 हजार रुपए UPI करने की बात कही। पढ़िए डॉक्टर से हुई पूरी बातचीत…

रिपोर्टर – सर, वीडियो में देखिए मरीज एक्सीडेंट में काफी सीरियस है।

डॉक्टर – आप जल्दी से अपनी एम्बुलेंस से मेरे हॉस्पिटल भेज दीजिए।

रिपोर्टर – अपने भाई को एम्बुलेंस में मरीज के साथ भेज रहा हूं।

डॉक्टर – ठीक है आप कहिएगा तो भाई को कैश दे दूंगा, नहीं तो UPI कर दूंगा।

रिपोर्टर – सर क्या करना होगा, क्या दवा देकर भेजे।

डॉक्टर – आप झटके (पैनिक अटैक) का इंजेक्शन देकर ऑक्सीजन के साथ भेजिए।

क्या मरीजों को मौत के बाद भी हॉस्पिटल में एडमिट किया जाता है, इसकी सच्चाई जानने के लिए हमने डॉक्टर सिंह से परिजन की मौत होने की बात कही। हमने उन्हें बताया कि एम्बुलेंस में हमारा आदमी आ रहा है। वो आपको कॉल करेगा।

रिपोर्टर– सर, मैं गोरखपुर के पास पहुंचा हूं, लेकिन मरीज की मौत हो चुकी है। परिवार वालों को अभी इसकी जानकारी नहीं है।

डॉक्टर – मरीज को ले आओ घर वालों को समझा बुझाकर भेज दिया जाएगा, जो हिसाब होगा, हो जाएगा।

तीसरा पॉइंट : गोरखपुर का गोरक्ष हॉस्पिटल

गोरखनाथ मंदिर से संचालित गुरु गोरखनाथ हॉस्पिटल गोरखपुर का प्रमुख हॉस्पिटल है। हॉस्पिटल से मिलता जुलता नाम रखकर खुद को 3 पीढ़ी से मंदिर से जुड़ा होने का दावा करने वाले गोरक्ष हॉस्पिटल के एमडी विक्रांत त्रिपाठी खुद तो डॉक्टर नहीं हैं, लेकिन बिहार के मरीजों के इलाज के लिए बड़ी डील की।

रिपोर्टर – आपका हॉस्पिटल गोरखनाथ मंदिर से जुड़ा है क्या?

विक्रांत – हॉस्पिटल से जुड़ाव नहीं है, लेकिन गोरखनाथ मंदिर से जुड़ाव है। हमारी 3 पीढ़ियां मंदिर में रह रही है। मेरा मरीज भी गोरखनाथ हॉस्पिटल पहुंच जाए तो वहां के डॉक्टर मेरे पास भेज देते हैं।

रिपोर्टर – पता चला है कि गोरखपुर में दलाल मरीज लाकर बेच देते हैं?

डॉक्टर – यहां पूरा कल्चर यही है। बिहार में हॉस्पिटल की कमी से 70% मरीज गोरखपुर आते हैं। यहां दलाल मरीजों को हॉस्पिटल में बेच देते हैं।

रिपोर्टर – हम आपको मरीज देते हैं तो एक मरीज पर क्या मिल जाएगा?

डॉक्टर – टोटल बिल में डॉक्टर राउंड का काटकर 30 प्रतिशत मिल जाएगा और जांच में भी 30 प्रतिशत मिल जाएगा। दवा पर हम 10 प्रतिशत दे देंगे।

रिपोर्टर – सर्जरी वाले मामलों में क्या होगा?

डॉक्टर – बड़ी सर्जरी में हम आपको अलग से 10 हजार देंगे। अगर पैकेज वाली सर्जरी है तो उसमें भी 10 हजार मिल जाएगा।

रिपोर्टर – हमको पैसा कैसे मिलेगा?

डॉक्टर – पेशेंट की छुट्‌टी होते ही आपको UPI कर दिया जाएगा।

चौथा पॉइंट, गोरखपुर का न्यू शिवाय मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल

यहां हमारी मुलाकात डॉ. डीके राय से हुई। उन्होंने मुर्दों को वेंटिलेटर पर रखकर इलाज की पूरी प्लानिंग बताई। पढ़िए, मुर्दे को वेंटिलेटर पर रखकर इलाज करने वाले डॉक्टर का कबूलनामा…।

डॉ. राय के मुताबिक, ‘ हर जिले में हमारी एम्बुलेंस है। आप मरीज दीजिए आपको पैसा UPI हो जाएगा। ट्रामा और एक्सीडेंटल केस में आप चाहिए तो कमीशन वाला लीजिए या फिर फिक्स ले लीजिए।’

‘जनरल सर्जरी पर ऑपरेशन चार्ज काटकर 38 से 40 प्रतिशत दे देंगे। जबकि, दवा और जांच पर अलग से देंगे। अगर न्यूरो सर्जरी का हुआ तो 40 हजार तक ऑनलाइन कर दिया जाएगा। बड़ी सर्जरी पर 40 से 45 हजार दे दिया जाएगा। अगर मरीज रास्ते में भी मर गया तो हम यहां जांच कराकर मैनेज करते हैं।’

मैं तो हर स्तर पर सहयोग करता हूं। मरीजों की मौत के बाद भी वेंटिलेटर पर रखा हूं। देवरिया में अंबे हॉस्पिटल है, वहां नंदलाल यादव शराब पीकर सर्जरी कर देते हैं। मरीज मर जाता है तो यहां भेज देते हैं, उनको भी मैनेज करके बचाया।

डेड बॉडी को ढाई घंटे वेंटिलेटर पर रखा

डॉ राय ने बताया- एक बार कसया के अलसिफा हॉस्पिटल में डॉ प्रशांत ने सर्जरी की थी। मरीज की मौत हो गई। डॉक्टर परेशान हो गए, लगातार डॉक्टरों की कॉल आने लगी। तब हमने 22 साल के मरे हुए मरीज को ढाई घंटे तक वेंटिलेटर पर रखा। 5 हजार से अधिक की दवा लगवाई। इसके बाद डेथ सर्टिफिकेट जारी किया।

बाकी हॉस्पिटलों से भास्कर की डील ग्राफिक्स के जरिए पढ़िए…

जिम्मेदारों का क्या कहना है…

UP के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, ‘बिहार में ऐसी व्यवस्था बननी चाहिए जिससे ऐसे लोगों को रोका जा सके। दलालों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। बेईमानी मक्कारी करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हम पूरे मामले की जांच कराएंगे और ऐसा करने वाले हॉस्पिटल और डॉक्टर पर कार्रवाई कराएंगे।’

वहीं, खबर में शामिल सभी हॉस्पिटल और डॉक्टरों से हमने बातचीत की। सबने किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार कर दिया। इसका ऑडियो और वीडियो हमारे (भास्कर) के पास उपलब्ध है।

बिहार के बेतिया के DM दिनेश कुमार राय ने बताया कि ‘अगर इस तरह के मामले हैं तो इसकी जांच कराई जाएगी। सिविल सर्जन को हम जांच के आदेश दिए हैं। इसमें कौन लोग शामिल है और गोरखपुर कौन भेज रहा है। इसकी भी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।’



Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version