पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए सुशील नथानियल की पार्थिव देह बुधवार रात में इंदौर पहुंची। सीएम ने श्रद्धांजलि अर्पित की
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में जान गंवाने वाले सुशील नथानियल का अंतिम संस्कार गुरुवार को इंदौर में होगा। सुबह करीब 9 बजे ईसाई रीति रिवाज से जूनी इंदौर क्रबिस्तान में उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी। इससे पहले सुशील नथानियल का शव परदेशीपुरा स्थ
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इससे पहले बुधवार रात करीब 9 बजे सुशील नथानियल की पार्थिव देह इंदौर एयरपोर्ट लाई गई। यहां से शव को उनके B68 वीणा नगर में ले जाया गया। सीएम डॉ. मोहन यादव ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और शोकाकुल परिवार के प्रति शोक संवेदना जताई।
सीएम से मिलते ही उनके परिजन फूट-फूटकर रोने लगे। सीएम ने उन्हें दिलासा दिया। कहा कि दुख और शोक की इस घड़ी में न केवल प्रदेश बल्कि पूरा देश उनके साथ है।
सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा –
दिवंगत सुशील के परिजनों से मुलाक़ात की। उनसे मिलकर हमारा मन द्रवित हो गया है, बेहद दुखी हो गया है। सुशील की पत्नी ने बताया कि गोली मारने के पहले उनके पति को कलमा पढ़ने का कहा गया, जब उन्होंने बताया कि वो क्रिश्चियन है तो उन्हें गोली मार दी गई। दुख की इस घड़ी में हमारी पूरी सरकार पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसारन घाटी इलाके में मंगलवार दोपहर में आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला कर दिया। इस हमले में 27 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें इंदौर के वीणा नगर निवासी सुशील नथानियल की भी जान चली गई। उनकी बेटी आकांक्षा गोली लगने से घायल हुई हैं।
सुशील आलीराजपुर स्थित एलआईसी की सैटेलाइट शाखा में पदस्थ थे। वे 4 दिन पहले ही 21 वर्षीय बेटे ऑस्टिन गोल्डी, 30 वर्षीय बेटी आकांक्षा और पत्नी जेनिफर के साथ कश्मीर गए थे।
बुधवार को सीएम से मिलते ही परिजन फूट-फूटकर रोने लगे। सीएम ने उन्हें ढांढस बंधाया।
सुशील की बेटी आकांक्षा पैर में गोली लगने से घायल हो गई। सीएम ने उन्हें भी दिलासा दिया।
आतंकियों ने कलमा पढ़ने को कहा, फिर गोलियों से भूना इंदौर के सुशील नथानियल के भाई विकास ने बताया- आतंकवादियों ने पहले सुशील को घुटनों पर बैठाया, फिर उन्हें कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया। जब उन्होंने अपना धर्म ईसाई बताया, तब आतंकवादियों ने उन्हें गोलियों से भून दिया। आकांक्षा को पैर में गोली लगी है। घटना से पहले सुशील ने अपनी पत्नी को छिपा दिया था और स्वयं आतंकवादियों के सामने खड़े हो गए थे।
जेनिफर खातीपुरा के सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं। घायल आकांक्षा सूरत में बैंक ऑफ बड़ौदा में फर्स्ट क्लास ऑफिसर जबकि ऑस्टिन गोल्डी बैडमिंटन खिलाड़ी है। परिवार मूल रूप से जोबट का रहने वाला है।
आतंकी हमले से पहले सुशील ने परिवार के साथ फोटो खिंचवाया था।
ममेरे भाई ने कहा- सुशील को सरप्राइज देने की आदत थी सुशील नथानियल के ममेरे भाई संजय कुमरावत ने बताया कि भैया-भाभी और उनके दोनों बच्चे जम्मू-कश्मीर घूमने गए थे। हमें पता नहीं था। कल शाम करीब 8 से 9 बजे के बीच भतीजे ऑस्टिन का फोन आया। उसका रो-रोकर बुरा हाल था। कुछ बोल ही नहीं पा रहा था। दो बार फोन काट दिया। तीसरी बार में उसने बताया कि आतंकवादियों ने पापा को गोली मार दी है। बहन आकांक्षा के पैर में भी गोली लगी है। मां और मैं जैसे-तैसे बचे हैं। भतीजे की बात सुनकर हमारे भी हाथ-पैर ढीले पड़ गए।
संजय कुमरावत रोते हुए कहा, मेरा दोस्त जैसा भाई चला गया। सुशील को सरप्राइज देने की आदत थी, इसीलिए उसने इस टूर के बारे में हमें नहीं बताया। वहां से लौटकर हमें सरप्राइज देना चाहता था। वह सरप्राइज देकर ही हमसे विदा हो गया। लेकिन उसने इस बार समय गलत चुन लिया।
संजय ने कहा, कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद से ही हम लोग वहां घूमने का प्लान बना रहे थे। लेकिन वहां के हालात ठीक नहीं हैं। यदि सुशील ने हमें पहले बताया होता या चर्चा की होती तो हम जाने ही नहीं देते। वहां ऐसे लोग रहते हैं जो कायर हैं, हमसे द्वेष भाव रखते हैं।
मृतक सुशील बीच लाल शर्ट में। उनके दाईं ओर बेटी आकांक्षा, दूसरी ओर बेटा ऑस्टिन और पत्नी जेनिफर। यह तस्वीर हादसे के पहले खींची गई थी।
कलमा पढ़ने के लिए घुटनों के बल नहीं बैठ सके, तो गोली मार दी सुशील के छोटे भाई की पत्नी जैमा विकास ने बताया कि पूरा परिवार बाहर रहता है। कुछ दिन साथ रह सकें, इसलिए वे साथ घूमने गए थे। कल हमले के बाद बेटे ऑस्टिन का फोन आया तो कहा, “आतंकियों ने पापा से बोला- कौन से धर्म के हो?” तब हम सब चुपचाप खड़े रहे। फिर आतंकी ने कहा, “कलमा पढ़ सकते हो?” ये सुनकर पापा ने हम सबको वहां से जाने के लिए कहा।
फिर आतंकी ने पापा को घुटनों के बल पर बैठने को कहा। पापा वैसे नहीं बैठ सके जैसे कलमा पढ़ने के लिए बैठा जाता है। तब आतंकवादी ने पापा से पूछा, “कौन से धर्म के हो?” पापा ने जैसे ही ईसाई कहा, उसने पापा को गोली मार दी। एक गोली कुछ दूर खड़ी बहन आकांक्षा के पैर में भी लगी। फायरिंग के बाद आतंकी वहां से भाग गए। हम पापा के पास पहुंचे, तब तक उनकी जान जा चुकी थी।
सुशील के छोटे भाई की पत्नी जैमा विकास ने बताया कि ऑस्टिन से बात होने के बाद भाभी से भी बात हुई, उनका भी रो-रोकर हाल बुरा है।
बुआ बोलीं- इजराइल का प्लान था, छुट्टी नहीं मिली तो कश्मीर गए सुशील की जोबट (आलीराजपुर) की रहने वाली बुआ इंदु डावर ने बताया कि सुशील परिवार के साथ गर्मी में हर बार घूमने के लिए कहीं न कहीं जाते थे। इस बार उनका इजराइल जाने का प्रोग्राम था। लेकिन उनकी पत्नी जेनिफर को लंबे समय के लिए छुट्टी नहीं मिली, इसलिए कश्मीर चले गए। उनका परिवार इंदौर में ही रहता था, लेकिन वे मुझसे मिलने आलीराजपुर से जोबट जरूर आते थे।
सुशील कहता था, जीवन में आए तो कुछ अच्छा करके जाएंगे इंदु ने कहा कि सुशील के दादाजी सेकेंड वर्ल्ड वॉर में सैनिक थे। पहले हम सब लोग साथ में रहते थे। लेकिन जैसे-जैसे नौकरियां लगती गईं, सब यहां से जाते गए। सुशील के पिता 87 साल के हैं। पिता को कम सुनाई देता है, इस वजह से सुशील हमेशा उनके साथ रहते थे। सुशील हमेशा कहते थे, “जीवन में आए हैं तो कुछ अच्छा करके जाना चाहिए।” वह अपना काम मेहनत व लगन से करते थे।
एलआईसी अफसर सुशील की छोटी बुआ इंदु डावर ने कहा- उनसे 8-10 दिन पहले बात हुई थी।
पिछले साल पिता को खोया, इस साल दोस्त जैसा भाई सुशील के भाई संजय ने बताया कि 22 अप्रैल मेरे जीवन में दोहरा दुःख लेकर आया। पिछले साल 22 अप्रैल को ही मेरे पिता जी की मौत हुई थी और आज इसी दिन मेरा दोस्त जैसा भाई चला गया। हम काका-मामा-बुआ के 10-12 भाई-बहन हैं। हमेशा साथ ही पिकनिक मनाते हैं और घूमने भी साथ ही जाते हैं। हम दोस्त जैसे रहते हैं।
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