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गुरुग्राम के मानेसर में नहीं चला बीजेपी का जादू: मेयर तो हारे ही, 13 पार्षद भी नहीं जीत सके, यहां राव इंद्रजीत का दबदबा – gurugram News


मानेसर नगर निगम से निर्दलीय प्रत्याशी डा. इंद्रजीत ने जीत हासिल की।

गुरुग्राम समेत हरियाणा में बीजेपी ने 10 में से 9 नगर निगमों में अपनी जीत दर्ज की, लेकिन मानेसर में पार्टी की अप्रत्याशित हार ने सबको चौका दिया है। इस हार से बीजेपी के सामने कई सवाल खड़े हो गए हैं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर ल

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मानेसर में भाजपा के सुंदरलाल यादव को हराने वाली नवनिर्वाचित मेयर डा. इंद्रजीत

खामोश रहे राव इंद्रजीत

केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का अहिरवाल क्षेत्र में अच्छा प्रभाव माना जाता है। उनके अपने वोट बैंक की ताकत को देखते हुए बीजेपी को उनसे बड़ी उम्मीदें थीं। लेकिन टिकट वितरण में उनकी पसंद को नजरअंदाज किया गया, जिसके बाद वह चुनाव प्रचार से दूर हो गए। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप नरूला का कहना है कि बेशक केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के समर्थकों को टिकट नहीं दी गई, लेकिन उनकी खामोशी ने भाजपा की बाजी पलट दी।

मानेसर में डा. इंद्रजीत ने शुरू से ही लोगों के बीच अपनी उपस्थिति बनाए रखी थी।

अहीरवाल में राव इंद्रजीत का दबदबा

उन्होंने बताया कि शुरू से ही खुद को राव इंद्रजीत का कार्यकर्ता बताने वाली निर्दलीय प्रत्याशी डॉक्टर इंद्रजीत ने बीजेपी के उम्मीदवार को 2293 वोटों के अंतर से हराकर मेयर की कुर्सी हासिल की। इसके साथ साथ जो पार्षद जीते हैं, उनमें भी अधिकतर राव इंद्रजीत के कार्यकर्ता हैं। ऐसे में एक तरह से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की जीत मानी जा सकती है। इस चुनाव से ये साबित हो गया कि अहीरवाल क्षेत्र में फिलहाल उनके कद का दूसरा कोई नेता नहीं है, जो खामोश रहकर भी जीत हासिल करने की ताकत रखता हों। चुनाव से पहले डॉ. इंद्रजीत ने कहा था कि अगर वह जीतती हैं तो सरकार के साथ मिलकर काम करेंगी। अब जीत के बाद सवाल ये है कि क्या वह बीजेपी में शामिल होंगी या निर्दलीय रहकर काम करेंगी।

मानेसर में चुनाव प्रचार के दौरान जहां भी डा. इंद्रजीत जाती थी तो उनका जोरदार स्वागत होता था।

मानेसर का पहला चुनाव

मानेसर नगर निगम का गठन साल 2020 में हुआ था, लेकिन पहला चुनाव 2025 में हुआ है पहले चुनाव को लेकर स्थानीय लोगों में उत्साह रहा और यहां गुरुग्राम से ज्यादा 65% वोटिंग हुई थी। डा. इंद्रजीत पहले से ही धरातल पर काम कर रही थी, जिसका उसको ज्यादा फायदा मिला। जबकि बीजेपी के प्रत्याशी का नाम नामांकन से कुछ दिन पहले घोषित किया गया था, जिसके कारण वे ज्यादा समय प्रचार में नहीं दें पाए। हालांकि उनकी जीत के लिए मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व सीएम व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली और कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह ने ताबड़तोड़ जनसभाएं की, लेकिन जीत नहीं दिला पाए।

मानेसर में निर्दलीय प्रत्याशी डा. इंद्रजीत ने कुछ इस तरह दमदार प्रचार किया था।

सभी राउंड में डा. इंद्रजीत जीती

मतगणना के पहले राउंड में ही डॉ. इंद्रजीत यादव ने 1638 वोटों की बढ़त हासिल कर ली थी। दूसरे राउंड में यह अंतर थोड़ा कम होकर 200 वोटों तक पहुंचा, लेकिन इसके बाद हर राउंड में उनकी लीड बढ़ती गई। पांचवें राउंड तक यह अंतर 5000 वोटों के करीब पहुंच गया और आखिरी राउंड में कुछ कमी के बाद वह 2293 वोटों से जीत गई।



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