Benefits Of Swastik Sign: हम सभी ने अपने घरों या कार्यस्थलों पर स्वास्तिक का चिन्ह देखा होगा. यह प्रतीक केवल धार्मिक या सांस्कृतिक महत्व का नहीं है, बल्कि इसे सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत भी माना जाता है. अक्सर लोग स्वास्तिक को अपने दरवाजे, पूजा स्थल, या शुभ अवसरों पर लगाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि स्वास्तिक का वास्तु से भी सीधा संबंध है? और क्या यह वास्तु दोषों को दूर करने में मदद करता है? आइए, इस विषय पर विस्तार से समझते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
स्वास्तिक एक ऐसा आकृति है, जो चार कोनों में समान रूप से फैलता है. इसे टेट्रा हाइड्रोजन या प्रिज्म जैसी ज्यामितीय आकृतियों से जोड़ा जा सकता है. इसे ओंकार के समान माना जाता है, जो हमारी भारतीय संस्कृति में ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है. स्वास्तिक का मूल रूप एक त्रिकोण या तिकोना आकृति से जुड़ा हुआ माना जाता है, जिसे चारों ओर विस्तार दिया गया है.
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स्वास्तिक को शुभ कामों की शुरुआत में लगाया जाता है. लोग इसे दरवाजे, दीवारों, और किचन के बाहर बनाते हैं ताकि वहां शुभता बनी रहे और सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित हो. यह मान्यता है कि स्वास्तिक की उपस्थिति से आपके घर या कार्यस्थल पर अच्छा वातावरण बनता है, जिससे परिवार और व्यवसाय में तरक्की होती है.
हालांकि, यह समझना आवश्यक है कि स्वास्तिक केवल एक शुभ संकेत है. यह वास्तु दोषों को सीधे दूर करने वाला उपाय नहीं है. वास्तु दोषों का समाधान तब ही संभव है जब उचित दिशा-निर्देशों और उपायों का पालन किया जाए. उदाहरण के लिए, घर के मुख्य दरवाजे की दिशा, कमरे की स्थिति, और भवन का निर्माण जैसे कारकों का वास्तु के हिसाब से सही होना जरूरी है. स्वास्तिक इस पूरे प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है, लेकिन अकेले इसका प्रयोग वास्तु दोषों को खत्म नहीं करता.
स्वास्तिक लगाने का प्रभाव मुख्य रूप से मनोवैज्ञानिक और सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ा है. जब हम किसी स्थान पर स्वास्तिक लगाते हैं, तो वह स्थान शुभ और पवित्र माना जाता है, जिससे लोगों का मनोबल बढ़ता है. यह सकारात्मक सोच को जन्म देता है, जो जीवन में अच्छे परिणाम लेकर आता है.
आपने देखा होगा कि कई शुभ अवसरों जैसे विवाह, घर प्रवेश, या किसी नए कार्य की शुरुआत पर स्वास्तिक का इस्तेमाल किया जाता है. इसका उद्देश्य नकारात्मकता को दूर रखना और नई शुरुआत के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार करना होता है.
स्वास्तिक का आकार इतना सरल और प्रभावशाली है कि इसे आसानी से विभिन्न सामग्रियों पर बनाया जा सकता है चाहे वह लकड़ी हो, धातु, या रंगों से बनाया गया चित्र. इसे हर जगह लगाने से सकारात्मकता का संचार होता है और जीवन में खुशहाली आती है.
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संक्षेप में, स्वास्तिक एक शक्तिशाली प्रतीक है जो शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है. इसे घरों और कार्यस्थलों पर लगाने से वातावरण में सकारात्मक बदलाव आता है. परन्तु, इसे वास्तु दोषों का समाधान नहीं समझना चाहिए. वास्तु दोषों के लिए वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक है, जो पूरी जांच-पड़ताल के बाद सही दिशा-निर्देश और सुधार बताएंगे.