नई दिल्ली24 मिनट पहले
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दिल्ली हाई कोर्ट ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव के पक्ष में एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी उनकी आवाज, चेहरा, पहनावा, बोलने का अंदाज या और किसी भी तरीके से उनकी पहचान को बिना इजाजत इस्तेमाल नहीं कर सकता खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए।
दरअसल कुछ वेबसाइट और सोशल मीडिया अकाउंट्स AI तकनीक के जरिए सदगुरु की आवाज और वीडियो में बदलाव करके उन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे थे। इसे लेकर सदगुरु ने कोर्ट में याचिका दायर की कि उनकी पहचान का गलत तरीके से इस्तेमाल हो रहा है।
कोर्ट ने क्या- सद्गुरु का चेहरा, उनकी आवाज खास
कोर्ट ने कहा कि सद्गुरु की पहचान (जैसे उनका चेहरा, आवाज, पहनावा वगैरह) बिलकुल खास है और उसका दुरुपयोग नहीं होने दिया जा सकता। अगर इसे नहीं रोका गया तो यह गलत जानकारी फैलाने वाली महामारी की तरह इंटरनेट पर फैल सकती है।
कोर्ट ने कई वेबसाइटों और यूट्यूब चैनलों को बंद करने का आदेश दिया है, जो सद्गुरु की नकली वीडियो और कंटेंट चला रहे थे। सोशल मीडिया कंपनियों को इन अकाउंट्स की जानकारी देने के लिए भी कहा गया है। इसके साथ ही, टेलीकॉम विभाग और इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मिनिस्ट्री को भी निर्देश दिया गया है कि वो इस तरह की वेबसाइट्स और अकाउंट्स को ब्लॉक करें।
कोर्ट बोला- बौद्धिक संपदा वाले लोगों के लिए खतरा बढ़ गया
कोर्ट ने कहा कि आज के समय में दुनिया भर के डेवलपर्स और इनोवेटर्स को बहुत ज्यादा आजादी मिली हुई है। ऐसे में उन लोगों के लिए खतरा और भी बढ़ जाता है, जिनके पास बौद्धिक संपत्ति के अधिकार हैं, जैसे सद्गुरु। इन ‘धोखेबाज वेबसाइट्स’ की हरकतों से इन लोगों की बौद्धिक संपत्ति का गलत इस्तेमाल हो सकता है, लिहाजा उन्हें सही सुरक्षा दी जानी जरूरी है।
कोर्ट ने आगे कहा, ‘यह जो खतरा है, वह और भी ते हो गया है, क्योंकि अब कुछ ‘हाइड्रा-हेडेड’ यानी बार-बार अलग रूप में सामने आने वाली वेबसाइट्स बहुत तेजी से बन रही हैं। इन्हें अगर एक बार ब्लॉक या हटा भी दिया जाए, तो ये छोटे-मोटे बदलाव के साथ दोबारा लौट आती हैं।’
कोर्ट ने कहा कि ऐसी ‘हाइड्रा-हेडेड’ वेबसाइट्स प्राइवेसी का बहाना बनाकर अपने रजिस्ट्रेशन या कांटेक्ट डिटेल्स छिपा लेती हैं, जिससे उनके चलाने वालों तक पहुंचना और उनसे नकल या उल्लंघन रोकने की मांग करना लगभग नामुमकिन हो जाता है। इस मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी।